Astrology: कुंडली का छठा भाव काफी महत्वपूर्ण होता है. यह आपके प्रतिदिन के कार्यों को भी बताता है. इस भाव को रोग का भाव भी माना जाता है, लेकिन यह बीमारी से उबरने का भी संकेत देता है. इस भाव से शत्रु, नौकरी, व्यवसाय और कर्ज आदि की भी गणना की जाती है. ज्योतिष में बुध, चंद्रमा, गुरु और शुक्र को शुभ ग्रहों की श्रेणी में रखा गया है. हालांकि कुंडली के छठे भाव में सूर्य, मंगल और राहु भी शुभ फल देने वाले माने जाते हैं, लेकिन अगर ये ग्रह दूषित हों तो परिणाम विपरीत हो सकता है. कुंडली में सूर्य, शनि, राहु और केतु अशुभ ग्रह माने जाते हैं. ऐसे में अगर आपकी कुंडली के छठे भाव में अशुभ ग्रह हों, तो आपके जीवन पर इसका क्या प्रभाव हो सकता है, आइए जानते हैं.
कुंडली के छठे भाव में अशुभ ग्रह
कालचक्र की कुंडली में छठे भाव के स्वामी ग्रह बुध होते हैं. इसके अलावा कारक ग्रह केतु हैं. छठा भाव स्वास्थ्य के साथ ही सेवा और संघर्ष का भी प्रतिनिधित्व करता है. छठा भाव खर्च करने की प्रवृत्ति, लड़ाई-झगड़े आदि के बारे में भी बताता है.
सूर्य के प्रभाव से हो सकती है हाई ब्लड प्रेशर की समस्या
छठे भाव में सूर्य के होने के कारण आपको लगातार काम करने यानी मेहनत करने की जरूरत है. आपको अपने काम के जरिए ही प्रसिद्धि मिलेगी. सूर्य के मजबूत होने की स्थिति में आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहतर होती है. सूर्य के प्रभाव से आपकी स्थिति मजबूत होगी और आप शत्रुओं को परास्त करने भी में समर्थ होंगे. महिलाओं के प्रति आप में झुकाव देखने को मिल सकता है. व्यापार और नौकरी से भी आपको लाभ होगा. छठे भाव में सूर्य मामा पक्ष के लिए अनुकूल नहीं माना जाता है. आपके जन्म के बाद दादा या दादी भी बीमार हो सकते हैं. आपको हाई ब्लड प्रेशर की समस्या भी हो सकती है.
मंगल के प्रभाव से देखने को मिलता है क्रोध
छठा भाव मंगल के लिए अच्छा माना जाता है. यह पराक्रम का प्रतिनिधित्व करता है. यहां मंगल के होने से आपको दुश्मनों को हराने में भी मदद मिलती है. अगर आप बीमार होते हैं, तो आपके परेशानी हो सकती है. कार्यस्थल पर भी दुर्घटनाओं की चपेट में आ सकते हैं. आपको अपनी मेहनत से जबरदस्त आय होगी. आपमें क्रोध भी देखने को मिल सकता है. आपके खर्चे भी जरूरत से ज्यादा हो सकते हैं. छठे भाव में स्थित मंगल छोटे भाई-बहनों के लिए भी अच्छा नहीं माना जाता है.
शनि के कारण हो सकती हैं पाचन संबंधी समस्याएं
छठे भाव में शनि आपको कठिनाइयों का सामना करने की शक्ति देता है. आप काफी दृढ़ होंगे. आप अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखेंगे. हालांकि आपको अपने आहार आदि पर भी ध्यान देने की जरूरत है. आपको पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं. अनावश्यक चिंता के कारण मानसिक रूप से भी परेशानी देखने को मिल सकती है. छठे भाव में शनि अक्सर शुभ फल देता है. आपको खुद में अहंकार आने से रोकना होगा. विषय वासना से भी खुद को दूर रखें. आपकी दान-पुण्य में भी रूचि रहेगी.
राहु के कारण हो सकती है नौकरी में परेशानी
छठा भाव राहु के लिए उचित स्थान माना जाता है. आपको सफलता मिलेगी. हालांकि, कई मामलों में आपको परेशानी भी हो सकती है. राहु के प्रभाव से जीवन की परेशानियों से मुक्ति मिलती है. ये लोग बुद्धिमान और धैर्यवान हो सकते हैं. राहु के प्रभाव से निरोगी और दीर्घायु हो सकते हैं. ऐसे लोगों के पास वाहन और आभूषण भी होगा, यानी आप आर्थिक रूप से संपन्न होंगे. राहु की यह स्थिति आपकी गलत संगति की ओर भी इशारा करती है. इस कारण नौकरी में भी परेशानी देखने को मिल सकती है. आपको कोई ऐसी बीमारी भी हो सकती है, जिसके बारे में आपको पता भी ना चले.
केतु के कारण बना रहता है चोट का खतरा
छठे भाव में केतु आपको विपरीत परिस्थितियों से बचा सकता है. वैसे छठा स्थान केतु के लिए सही नहीं है. आपको अक्सर चोट आदि का भी सामना करना पड़ सकता है. हालांकि, आप काफी मेहनती होंगे और आपको इसके अनुकूल परिणाम भी देखने को मिल सकते हैं. छठे भाव में केतु के कारण व्यक्ति निरोगी होता है. ऐसे लोग पढ़ाई भी खूब करेंगे और इस कारण उनका नाम भी होगा. इस भाव में केतु के प्रभाव से मनोवांछित फल की भी प्राप्ति होती है. आर्थिक लाभ भी होगा. ऐसे लोगों को दांत या होंठों से संबंधित परेशानी हो सकती है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)