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Shaniwar ke Upay: शनिवार के दिन श्रद्धाभाव से करें ये खास उपाय, प्रसन्न हो जाएंगे शनिदेव, शनि दोष से भी मिलेगी मुक्ति

अगर आप भी शनिदेव को प्रसन्न कर उनकी विशेष कृपा पाना चाहते हैं तो आप शनिवार के दिन दशकृत शनि स्त्रोत का पाठ कर सकते हैं. कहा जाता है कि ऐसा करने से व्यक्ति को धन, सुख- समृद्धि प्राप्त होती है.

Written by Updated : December 27, 2025 7:32 AM IST
Shaniwar ke Upay: शनिवार के दिन श्रद्धाभाव से करें ये खास उपाय, प्रसन्न हो जाएंगे शनिदेव, शनि दोष से भी मिलेगी मुक्ति
शनिवार के उपाय
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Shaniwar ke Upay: हिन्दू धर्म में शिनवार का दिन कर्मफलदाता शनिदेव को समर्पित होता है. मान्यता है कि इस दिन शनिदेव की पूजा करने से उनकी विशेष कृपा प्राप्त की जा सकती है. यह भी कहा जाता है जिसपर शनिदेव की कृपा रहती है, उसके जीवन से सभी तरह के कष्ट दूर हो जाते हैं और खूब सफलता हासिल होती है. अगर आप भी शनिदेव को प्रसन्न कर उनकी विशेष कृपा पाना चाहते हैं तो आप शनिवार के दिन दशकृत शनि स्त्रोत का पाठ कर सकते हैं. कहा जाता है कि ऐसा करने से व्यक्ति को धन, सुख- समृद्धि प्राप्त होती है.

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दशकृत शनि स्त्रोत का पाठ क्यों है लाभकारी?

शनिवार के दिन पूजा के दौरान दशकृत शनि स्त्रोत का पाठ करना बहुत ही ज्यादा लाभकारी माना जाता है. मान्यता है कि इससे शनिदेव प्रसन्न होते हैं और शनि दोष से भी मुक्ति मिल जाती है. साथ ही इससे जीवन में आने वाले संकट भी टल जाते हैं और साढ़ेसाती का प्रभाव भी कम हो जाता है. इसके अलावा मानसिक शांति और जीवन में स्थिरता पाने के लिए भी दशकृत शनि स्त्रोत का पाठ करना बेहद फायदेमंद होता है.

शनि स्तोत्रम पाठ (Dashratha Shani Sotra Lyrics in Hindi)

नम: कृष्णाय नीलाय शितिकण्ठ निभाय च।
नम: कालाग्निरूपाय कृतान्ताय च वै नम:।।

नमो निर्मांस देहाय दीर्घश्मश्रुजटाय च।
नमो विशालनेत्राय शुष्कोदर भयाकृते।।

नम: पुष्कलगात्राय स्थूलरोम्णेऽथ वै नम:।
नमो दीर्घाय शुष्काय कालदंष्ट्र नमोऽस्तु ते।।

नमस्ते कोटराक्षाय दुर्नरीक्ष्याय वै नम:।
नमो घोराय रौद्राय भीषणाय कपालिने।।

नमस्ते सर्वभक्षाय बलीमुख नमोऽस्तु ते।
सूर्यपुत्र नमस्तेऽस्तु भास्करेऽभयदाय च।।

अधोदृष्टे: नमस्तेऽस्तु संवर्तक नमोऽस्तु ते।
नमो मन्दगते तुभ्यं निस्त्रिंशाय नमोऽस्तुते।।

तपसा दग्ध-देहाय नित्यं योगरताय च।
नमो नित्यं क्षुधार्ताय अतृप्ताय च वै नम:।।

ज्ञानचक्षुर्नमस्तेऽस्तु कश्यपात्मज-सूनवे।
तुष्टो ददासि वै राज्यं रुष्टो हरसि तत्क्षणात्।।

देवासुरमनुष्याश्च सिद्ध-विद्याधरोरगा:।
त्वया विलोकिता: सर्वे नाशं यान्ति समूलत:।।

प्रसाद कुरु मे सौरे वारदो भव भास्करे।
एवं स्तुतस्तदा सौरिर्ग्रहराजो महाबल:।।

इन मंत्रों का करें जाप

1. ऊँ शं शनैश्चाराय नमः।
2. ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनये नमः।
3. ॐ नीलाजंन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्।
छाया मार्तण्ड सम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्।।

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.