Mizoram Assembly Election 2023: मिजोरम में लंबे समय तक शासन कर चुकी कांग्रेस को 2018 में शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा. राज्य के कांग्रेस प्रमुख लालसावता (Lalsawata) का लक्ष्य अब राज्य की सत्ता में फिर से कांग्रेस की वापसी है. कांग्रेस ने 2018 में राज्य में सिर्फ पांच सीटें जीती थीं. अब इस 71 वर्षीय नेता के हाथ में पार्टी की सत्ता में वापसी का बड़ा लक्ष्य है.
कांग्रेस मिजोरम (Mizoram) में ललथनहवला युग के बाद अपना पहला चुनाव लड़ने की तैयारी में है और लालसावता इस अभियान की कमान संभाल रहे हैं. पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस की राज्य इकाई के प्रमुख ललथनहवला ने 1978 से 2018 के बीच नौ चुनाव जीते थे. वे साल 2021 में सक्रिय राजनीति से दूर हो गए.
लालसावता की न केवल राज्य में एक ईमानदार नेता की छवि है, बल्कि वे एक अनुभवी प्रशासक भी हैं. वे 2008 से 2018 तक मिजोरम के वित्त मंत्री रहे हैं. उन्हें 2021 में प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष नियुक्त किया गया और इस तरह वे राज्य में सबसे पुरानी पार्टी का नेतृत्व करने वाले थनहवला के उत्तराधिकारी बने.
लालसावता ने 2008 और 2013 में आइजोल पूर्व-2 से विधानसभा चुनाव जीता था, लेकिन 2018 में वे इसी सीट पर हार गए थे. सिर्फ वे ही नहीं, तत्कालीन मुख्यमंत्री सहित कांग्रेस के कई शीर्ष नेता चुनाव में पराजित हुए थे. कांग्रेस की सीटें 34 से गिरकर पांच हो गई थीं.
इस बार लालसावता आइजोल पश्चिम-3 सीट से जोरम पीपल मूवमेंट (ZPM) के मौजूदा विधायक वीएल ज़ैथनज़ामा और मिज़ो नेशनल फ्रंट (MNF) के के लालसावमवेला के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं.
कांग्रेस का एक लाख नौकरियां देने का वादालालसावता ने मिजोरम में कांग्रेस के सत्ता में आने पर एक लाख नौकरियों का सृजन करने और प्रत्येक परिवार को 15 लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा कवर देने का वादा किया है. यह लाभ ऐसे परिवारों को मिलेगा जिनका कोई भी सदस्य नियमित सरकारी कर्मचारी नहीं है. उन्होंने यह भी कहा है कि केंद्र से बीजेपी और राज्य से एमएनएफ को हटाने की तत्काल जरूरत है.
एमएनएफ ने 2018 में मिजोरम विधानसभा चुनाव जीता था. एमएनएफ बीजेपी के नेतृत्व वाले नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस (NEDA) और केंद्र में एनडीए की एक घटक है.
मिजोरम में विधानसभा की 40 सीटें हैं. राज्य में विधानसभा चुनाव 7 नवंबर को होंगे.
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