घर छोड़कर और पूरी तरह से किसी अलग शहर में नौकरी या पढ़ाई के लिए जाना और एक नई लाइफ शुरू करना काफी हिम्मत का काम है. ये हर किसी के बस की बात नहीं है. क्योंकि नए शहर में जाकर अकेले रहकर अपनी सभी जिम्मेदारियों को अकेले उठाना काफी मुश्किल होता है. जो लोग ऐसा कर चुके हैं, वे इस बात को भलि भांति समझ सकते हैं कि नया घर ढूंढना, शिफ्ट करना, एक अच्छी मेड ढूंढना, अपने खर्चों पर नज़र रखना वास्तव में आपको अपने आत्मनिर्भर होने की वास्तविकता दिखाता है.
अब मेट्रो शहर (metro city) में रहने को लेकर सोशल मीडिया पर एक बहस चल रही है. जिनमें से एक है मेधा गंती का यह ट्विटर थ्रेड. जिसमें मेधा ने लिखा है कि 50,000 रुपये की सैलरी पर मेट्रो शहर में सर्वाइव करना कितना मुश्किल होता है.
ट्वीट में लिखा है, “फ्रेशर्स की सैलरी इतनी कम क्यों है? मेट्रो शहर में कोई इतनी कम सैलरी पर कैसे सर्वाइव कर सकता है? महीने के 50 हजार रुपए के साथ आप मुश्किल से कोई बचत कर सकते हैं. हर कोई अपने परिवार से पैसे नहीं ले सकता!”
"जवाब बेहतर करियर विकल्प नहीं बना सकता! लोगों के पास अलग-अलग स्किल सेट होते हैं. तीसरे साल में तो आपको अंदाजा लगना शुरू हो जाता है कि आप क्या करना चाहते हैं.'
पोस्ट को 1.2 मिलियन से अधिक बार देखा गया और ढेर सारी प्रतिक्रियाएं मिलीं हैं. ट्विटर के एक बड़े वर्ग ने बताया कि 50 हजार रुपये वास्तव में किसी भी शहर में सर्वाइव करने के लिए पर्याप्त है, अगर खर्चों का ठीक से ध्यान रखा जाए. बस फिर क्या था, इस बात पर कमेंट सेक्शन में एक बहस शुरू हो गई. और लोगों ने अपने रिएक्शन देने शुरु कर दिए.
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