दिग्गज अभिनेता दिलीप कुमार का बुधवार को मुंबई में निधन हो गया. वह अक्सर पेशावर के दिल में बनी अपनी उस हवेली को याद करते थे, जहां उनका बचपन बीता था. मोहम्मद यूसुफ खान उर्फ दिलीप कुमार पेशावर शहर के दिल में एक हवेली में पले-बढ़े. पेशावर के किस्सा ख्वानी बाजार में स्थित इस हवेली में सपनों के शहर मुंबई में स्टारडम हासिल करने से पहले दिलीप कुमार का बचपन यहीं बीता था. संयोग से दिलीप कुमार की ये हवेली हिंदी सिनेमा के एक और दिग्गज अभिनेता राजकपूर के पैतृक घर के पड़ोस में थी. दोनों इन्हीं हवेलियों में पले-बढ़े जिन्हें पिछले महीने खैबर पख्तूनख्वा प्रांत की सरकार के पुरातत्व विभाग ने अपने कब्जे में ले लिया है. अब इन हवेलियों में म्यूजियम बनाया जाएगा.
2014 में दिलीप कुमार और राज कपूर के पैतृक घरों को तत्कालीन नवाज शरीफ सरकार ने राष्ट्रीय विरासत स्थल घोषित कर दिया था. ये मामला पिछले साल सितंबर में और सुर्खियों में आ गया जब प्रांतीय सरकार ने घोषणा की कि वे दोनों संपत्तियों का अधिग्रहण कर इसे म्यूजियम में तब्दील करेंगे. उस वक्त दिलीप कुमार ने एक पाकिस्तानी पत्रकार की बदौलत अपने पुश्तैनी घर की झलक देखी थी.
पाकिस्तानी पत्रकार शिराज हसन ने ट्विटर पर दिलीप कुमार के 100 साल से भी ज्यादा पुराने पुश्तैनी घर की चार तस्वीरें पोस्ट की थीं. दिलीप कुमार ने तस्वीरें साझा करने के लिए उन्हें धन्यवाद दिया और पेशावर के लोगों से उनके पुश्तैनी घर की तस्वीरें साझा करने का अनुरोध किया था.
पिछले महीने पुरातत्व विभाग के निदेशक डॉ अब्दुल समद ने पाकिस्तानी समाचार डॉन को बताया कि दोनों संपत्तियां का स्वामित्व सरकार के पास आ गया है. पेशावर के जिला आयुक्त खालिद महमूद ने कहा कि अभिनेताओं के घरों के मालिकों की आपत्तियों को खारिज कर दिया गया. सरकार ने राजकपूर के घर की कीमत डेढ़ करोड़ और दिलीप कुमार के घर की कीमत 80 लाख तय की. राजकपूर की हवेली के मालिक अली कादिर ने इसकी कीमत 20 करोड़ लगाई थी, जबकि दिलीप के घर के मालिक गुल रहमान ने इसकी कीमत साढ़े तीन करोड़ लगाई थी.