महिला ने भारत और अमेरिका में क्वालिटी ऑफ लाइफ को किया कंपेयर, छिड़ गई बहस, यूजर्स बोले- इंडिया के गांव में ही...

संयुक्त राज्य अमेरिका का दौरा करने के बाद, उन्हें एहसास हुआ कि साफ हवा और अच्छी तरह से बनाए रखी गई सड़कें जैसे कारक क्वालिटी ऑफ लाइफ निर्धारित करते हैं.

विज्ञापन
Read Time: 4 mins
भारत बनाम अमेरिका के पोस्ट ने छेड़ दी बहस

हाल ही में एक महिला ने भारत और यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका (United States) में रहने के अपने अनुभव को शेयर करने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया. निहारिका कौर सोढ़ी ने एक्स पर जाकर दोनों देशों में क्वालिटी ऑफ लाइफ (Quality Of Life) पर बहस छेड़ दी. शुरू में, उन्होंने माना कि किराने का सामान घर पर पहुंचाने और किफ़ायती घरेलू मदद जैसी सुविधाएं भारत में एक शानदार जीवनशैली में योगदान करती हैं. हालांकि, संयुक्त राज्य अमेरिका का दौरा करने के बाद, उन्हें एहसास हुआ कि साफ हवा और अच्छी तरह से बनाए रखी गई सड़कें जैसे कारक क्वालिटी ऑफ लाइफ निर्धारित करते हैं.

निहारिका ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स पर लिखा, ‘आज अमेरिका में 11वां दिन है और यहां एक विचार है जो मुझे कल शाम को आया. यह आप में से कुछ लोगों को परेशान कर सकता है. लेकिन अगर किसी की राय वाला ऑनलाइन टेक्स्ट आपको परेशान करता है तो आपको उस जगह पर पूरी तरह से काम करना चाहिए और अपनी ऊर्जा के लिए उसे सुरक्षित रखना चाहिए'.

बताया कौन से देश में बेहतर है क्वालिटी ऑफ लाइफ

उन्होंने आगे लिखा, ‘तो विचार यह है - मैंने हमेशा महसूस किया है कि भारत में जीवन कितना शानदार हो सकता है: क्विक फूड डिलीवरी, 10 मिनट में ग्रोसरी डिलीवरी, किफायती डोमेस्टिक हेल्प. मैं सचमुच किराने की डिलीवरी पर जीवित रहती हूं. लेकिन जीवन की वास्तविक गुणवत्ता वास्तव में ऐसी चीजें हैं जो बहुत बुनियादी हैं. यह स्वच्छ हवा, निरंतर बिजली, पानी की उपलब्धता, भरपूर हरियाली, अच्छी सड़कें हैं.'

Advertisement

यूजर ने कहा कि अगर किसी व्यक्ति के पास बिना किसी डर के स्टोर पर जाने के लिए साफ हवा है तो उसे क्विक डिलीवरी सर्विस की जरूरत नहीं है. उन्होंने लिखा, "और असली विलासिता सेंट्रल एयर कंडीशनिंग है, कुछ दिनों में बिना बिजली के 45 डिग्री सेल्सियस में मरने के बजाय, आपके पास जो चाहें पहनने की स्वतंत्रता है और कोई आपको घूरता नहीं. क्योंकि पिछले कुछ दिनों में परिवार के साथ समय बिताने के अलावा जिन चीजों ने मुझे खुश किया है, वे हैं सुबह की सैर, अच्छी हवा, हरी चरागाह, सूर्योदय और सूर्यास्त देखना, हॉर्न बजाने के बजाय पक्षियों की आवाज़."

Advertisement

निहारिका ने कहा कि "शायद यह क्वालिटी ऑफ और विलासिता की मेरी परिभाषा है जो बदल गई है. मुझे नहीं पता कि मैं कभी इनमें से कुछ भी हासिल कर पाऊंगी या नहीं. लेकिन यह निश्चित रूप से मेरे दिमाग में एक विचार है."

Advertisement

यहां देखें पोस्ट

Advertisement

शेयर किए जाने के बाद से, माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफ़ॉर्म पर इस पोस्ट को पांच लाख व्यूज़ और तीन हज़ार लाइक्स मिल चुके हैं. पोस्ट पर कमेंट करते हुए एक यूजर ने लिखा, "100 प्रतिशत सहमत हूं. इस राय को व्यक्त करने के लिए साहस की ज़रूरत होती है. नागरिक भावना एक बहुत ही कम मूल्यांकित विशेषता है." एक दूसरे व्यक्ति ने कमेंट किया, "15 साल से मेलबर्न में रहने के बाद अस्थायी रूप से मुंबई चले गए और मैं अंतर को स्पष्ट रूप से देख सकता हूं. आप 100 प्रतिशत सही हैं."

वहीं एक अन्य ने लिखा, "भारत के गांव भी आपको ऐसा शांतिपूर्ण और स्वस्थ वातावरण मुहैया करते हैं... भारत के किसान अमेरिका या मेलबर्न में रहने से कम नहीं हैं, बस एक ही कमी है- आप ऑनलाइन भोजन की डिलीवरी नहीं करवा सकते और जाहिर है कि यह उच्च पैकेज वाली Microsoft नौकरी नहीं है." दूसरे ने लिखा, "अगर आप भारत के किसी भी शहर से 50 किलोमीटर दूर चले जाएं तो आपको ऐसी ज़िंदगी मिल सकती है." एक अन्य ने लिखा, "दोनों जगहों के अपने-अपने फायदे और नुकसान हैं. आप आमतौर पर एक ही जगह पर सब कुछ नहीं पा सकते हैं."

ये Video भी देखें:

Featured Video Of The Day
Delhi Elections: Arvind Kejriwal का नामांकन आज, मंदिर में किए दर्शन, Parvesh Verma ने निकाला रोड शो
Topics mentioned in this article