देश की संस्कृति को बचाने के लिए फिल्मी गानों को संस्कृत भाषा में पेश कर रहा है ये बैंड

बैंड के साथ जुड़े गोकर्णकर ने कहा, 'हमारा लक्ष्य प्राचीन भाषा को इस तरह नियमित उपयोग में लाना है जो लोगों, खासकर युवाओं को पसंद आए. हालांकि क्रैश कोर्स, बातचीत आदि के माध्यम से भाषा को लोकप्रिय बनाने के कई प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन हमारा उद्देश्य मनोरंजक तरीके से 'संगीतम' (संगीतमय तरीके) के माध्यम से भाषा को बढ़ावा देना है.'

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पुणे में संगीत प्रेमियों का एक समूह 'नातू, नातू', 'श्रीवल्ली' और 'ऊ अंतवा' जैसे लोकप्रिय गानों को संस्कृत में पेश कर रहा है, ताकि आम लोगों तक यह भाषा आकर्षक तरीके से पहुंच सकें. संस्कृत को दुनिया की सबसे पुरानी भाषाओं में से एक माना जाता है. इसकी एक समृद्ध साहित्यिक परंपरा है और इसका उपयोग भारत में धार्मिक अवसरों और उत्सवों के मौके पर किया जाता है. संगीत बैंड 'वृंदा गंधर्व सख्यम' में 15 से 50 वर्ष की आयु वर्ग के लगभग 20 सदस्य हैं, जिनमें से कुछ मुंबई से भी हैं. वे संतूर, कीबोर्ड, गिटार और तबला जैसे वाद्ययंत्रों के साथ गीत को संस्कृत में तैयार करते हैं.

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मुंबई के संस्कृत के प्रोफेसर डॉ. श्रीहरि गोकर्णकर ने बताया कि ज्यादातर लोग अपनी औपचारिक शिक्षा में संस्कृत को एक विषय के रूप में पढ़ते हैं, भाषा के रूप में नहीं.

बैंड के साथ जुड़े गोकर्णकर ने कहा, 'हमारा लक्ष्य प्राचीन भाषा को इस तरह नियमित उपयोग में लाना है जो लोगों, खासकर युवाओं को पसंद आए. हालांकि क्रैश कोर्स, बातचीत आदि के माध्यम से भाषा को लोकप्रिय बनाने के कई प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन हमारा उद्देश्य मनोरंजक तरीके से 'संगीतम' (संगीतमय तरीके) के माध्यम से भाषा को बढ़ावा देना है.'

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लोगों तक गीतों को संस्कृत भाषा में पहुंचाने के लिए बैंड ने 'संस्कृतश्री' नाम से अपना यूट्यूब चैनल भी शुरू किया है. बैंड का दावा है कि सोशल मीडिया पर उनकी बढ़ती उपस्थिति और उनकी सरल और लयबद्ध रचना के कारण वे लोगों के बीच लोकप्रियता हासिल कर रहे हैं.
 

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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