बिहार के किशनगंज स्टेशन पर चाय बेचते थे राजीव बैद, आज चाय के चैंपियन हैं

चाय को भारत में सभी लोग पसंद करते हैं. चाय के बिना हम भारतीयों की तो नींद ही नहीं खुलती है. घर हो, मुहल्ला हो, चौराहा हो, ऑफिस हो या फिर ट्रेन, हर जगह चाय डिमांड में रहती है. ऐसे में राजीव बैद अपनी कंपनी चाय चुन की मदद से लोगों को बेहतरीन स्वाद देने की कोशिश कर रहे हैं.

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कहते हैं कि इंसान अगर मेहनत करता है तो अपना लक्ष्य पा लेता है. लक्ष्य के लिए सबसे ज्यादा ज़रूरी चीज़ होती है कि आप अपने काम में ईमानदार रहें. यूं तो इस देश में कई लोग ऐसे हैं, जिन्होंने संघर्ष से अपना लक्ष्य तय किया है. आज हम आपको एक ऐसे ही शख्स के बारे में बताने जा रहे हैं, जो हमारे लिए प्रेरणा है. इनका नाम राजीव बैद है. बिहार के किशनगंज के रहने वाले राजीव रेलवे स्टेशन और बस स्टॉप पर चाय बेचते थे. आज अपनी मेहनत से इन्होंने चाय को अपनी ज़िंदगी बना लिया है.

राजीव बैद एक एंटरप्रेन्योर है. वे एवरग्रीन डूअर्स टी प्राइवेट लिमिटेड और अमन टी प्राइवेट लिमिटेड के एमडी, चाय चुन टी ब्रांड के फाउंडर  और ओकायती टी एस्टेट के ओनर है. पश्चिम बंगाल और बिहार में इनकी चाय की कई फैक्ट्रियां है, जहां भारत की बेहतरीन चायपत्ती बनती है. करीब 15.5 मिलियन चायपत्ती का निर्माण होता है.

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चाय को भारत में सभी लोग पसंद करते हैं. चाय के बिना हम भारतीयों की तो नींद ही नहीं खुलती है. घर हो, मुहल्ला हो, चौराहा हो, ऑफिस हो या फिर ट्रेन, हर जगह चाय डिमांड में रहती है. ऐसे में राजीव बैद अपनी कंपनी चाय चुन की मदद से लोगों को बेहतरीन स्वाद देने की कोशिश कर रहे हैं. चाय चुन में देश भर में पैदा होने वाली सभी प्रकार की चाय और उनके ब्लेड्स सहित 165 वैरायटी की चाय  उपभोगताओ को उनके स्वाद के अनुसार चुनने के लिए उपलब्ध कराई गई है.

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चाय चुन चाय बुटीक की एक रिटेल चेन है. वर्तमान में देश भर में विभिन्न शहरों में चाय चुन के 20 आउटलेट हैं. कंपनी देश के 10 एयरपोर्ट पर आउटलेट लगाने जा रही है. राजीव बैद बताते हैं कि 2015 में कंपनी की शुरुआत हुई थी. अभी हाल ही में कंपनी ने ओकाई टी एस्टेट को खरीदी है. इसमें 100 प्रतिशत ऑर्गेनिक चायपत्ती का उत्पादन होता है.
राजीव बैद ने अपनी मेहनत और लगन से साबित कर दिया कि सपने देखना गलत बात नहीं है. सपने देखकर उसे पूरा न करना गलत बात है. उनकी कहानी को दुनिया के सामने लाने के लिए IIM Kozhikode ने आमंत्रित किया था.

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भविष्य के लिए उनका सपना है कि वे चायवेदा नाम से एक इंस्टिट्यूट का निर्माण करें, जहां छात्रों को चाय के उत्पादन से लेकर उनकी प्रोसेसिंग और ब्रूइंग (brewing) ki तकनीकों  की जानकारी दी जाए. संघर्ष में रहने के बावजूद राजीव ने कभी हौसला नहीं हारा. आज इनकी कंपनी का रुतबा देश के सभी प्रमुख शहरों में है.

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