हाल ही में चांद से जुड़े एक खुलासे से वैज्ञानिक भी हैरान हैं. एक ताजा अध्ययन में यह बात सामने आई है कि, चंद्रमा अपना आकार बदल रहा है, यानि की वह धीरे-धीरे सिकुड़ रहा है. इस बात पर भरोसा करना मुश्किल है, लेकिन हाल ही में आई एक रिपोर्ट ने ऐसे ही बेहद चौंकाने वाले खुलासे किए हैं. इस खुलासे से अब चंद्रमा पर जाने वाले अभियानों के लिए एक तरह की खतरे की घंटी बज गई है. शोधकर्ताओं की मानें तो चंद्रमा के सिकुड़ने की वजह भूंकप और बढ़ते फॉल्ट्स हैं. बताया जा रहा है कि, ये भूकंप कहीं और नहीं, बल्कि नासा के आर्टिमस अभियान की लैडिंग वाली जगह पर ज्यादा आए हैं.
बताया जा रहा है कि, दक्षिणी ध्रुवों में आने भूकंपों और फॉल्ट लाइन के पता चलने से चंद्रमा के सिकुड़ने की बात सामने आई है. कहा जा रहा है कि, यह वहीं जगह है, जिसे नासा ने अपने आर्टिमिस अभियान की लैंडिंग के लिए चुना है. यह लैंडिंग साल 2026 में होने की उम्मीद है. 25 जनवरी के अध्ययन में कहा गया है कि, चंद्रमा अपने कोर के धीरे-धीरे ठंडा होने के कारण परिधि में 150 फीट से अधिक सिकुड़ गया है. चांद के सिकुड़ने से एक भंगुर सतह बनती है, जिससे परत के भाग एक-दूसरे के खिलाफ धकेलने के कारण फॉल्ट बनाते हैं. बताया जा रहा है कि, यही फॉल्ट बदले में भूकंपीय गतिविधि को ट्रिगर करते हैं, इसे मूनक्वेक के रूप में जाना जाता है, जो टेक्टोनिक फॉल्ट लाइनों के पास रहने वाले पृथ्वी के निवासियों के लिए खतरे की घंटी है.
यह अध्ययन नासा, स्मिथसोनियन, एरिज़ोना स्टेट यूनिवर्सिटी और मैरीलैंड विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों के द्वारा किया गया था. वैज्ञानिकों के नेतृत्व में सहयोगात्मक प्रयास से ऐसे सबूत मिले हैं, जो बताते हैं कि चंद्र संकुचन के कारण चांद के दक्षिणी ध्रुव के आसपास के इलाके में उल्लेखनीय परिवर्तन हुए हैं. स्मिथसनियन इंस्टीट्यूट के मुख्य लेखक टॉम वाटर्स ने प्लैनटरी साइंस जर्नल को बताया कि, उनकी मॉडलिंग सुझाती है की हल्के भूकंप चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के इलाकों को अच्छे से झटके दे रहे हैं और इससे पुराने फॉल्ट, यानी कि टूटी हुई जमीन को और बड़ा कर रहे हैं और साथ ही ये नए फॉल्ट भी बना रही है.
शोधकर्ताओं का कहना है कि, चंद्रमा पर इस तरह के फॉल्ट्स हर तरफ फैले हैं और सक्रिय हो सकते हैं. साफ है कि अब चंद्रमा पर स्थायी रूप से कैम्प या बेस बनाने की कोशिशों के लिए इन बातों का भी खास तौर से ध्यान रखना होगा. नासा के लूनार रिकोनायसेंस ऑर्बिटर के कैमरे ने दक्षिणी ध्रुव के पास हजारों छोटी और युवा फॉल्ट की पहचान की है.