इस भिखारी के सामने नही चलता छुट्टे न होना का बहाना, डिजिटल पेमेंट के जरिए लेता है भीख

बिहार (Bihar) के बेतिया रेलवे स्टेशन पर 30 साल से भीख मांगने वाले राजू डिजिटली तरीके से भीख लेकर काफी सुर्खियां बटोर रहे हैं. राजू देश के उन चंद भिखारियों में शामिल है, जो खुद को डिजिटल भिखारी कहते हैं.

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अब ये खबर देशभर में काफी सुर्खियां बटोर रही है.
नई दिल्ली:

इंटरनेट (Internet) की दुनिया बड़ी तेज से बदली है, इसका सबसे ज्यादा असर लोगों की जिंदगी पर हुआ है. पहले जो काम करने के लिए खूब माथापच्ची करनी पड़ती थी. अब वो काम चुटकियों में हो जाते हैं. यूं तो हमने सड़क किनारे या बस स्टॉप और रेलवे स्टेशन (Railway Staion) पर बहुत से भिखारियों को भीख मांगते देखा होगा. इन भिखारी के भीख मांगने पर हम हमेशा ये कहकर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं कि अभी छुट्टे नहीं है. लेकिन देश में एक भिखारी इसलिए सुर्खियां बटोर रहा है क्योंकि उसके सामने छुट्टे न होना का बहाना ही नहीं चलता.

असल में हम एक ऐसे भिखारी की बात कर रहे हैं जो सिर्फ कैश (Cash) ही नहीं बल्कि डिजिटली तौर (Digital Payment) पर भी भीख लेता है. बिहार (Bihar) के बेतिया रेलवे स्टेशन पर 30 साल से भीख मांगने वाले राजू डिजिटली तरीके के भीख लेकर काफी सुर्खियां बटोर रहे हैं. राजू देश के उन चंद भिखारियों में शामिल है, जो खुद को डिजिटल भिखारी कहते हैं. राजू को पेट पालने के लिए और कोई उपाय भी नहीं दिखा, तब जाकर वह शहर के कई इलाकों में भीख मांगने लगा. राजू के भीख मांगने का अंदाज इतना निराला है कि लोगों का ध्यान उसकी तरफ चला ही जाता है.

राजू स्टेशन व बस स्टैंड (Bus Stand) से बाहर निकल रहे यात्रियों से मदद करने की अपील करता है. उसने बताया कि कई बार लोग यह कह देते थे कि उनके पास छुट्टे पैसे नहीं हैं. इसके बाद राजू ने बैंक में खाता खोलवाया. अब वह गूगल-पे, फोन-पे आदि से भी भीख मांगता है. उसने बताया कि वैसे तो ज्यादातर लोग नगद ही पैसे देते हैं, लेकिन कुछ लोग ई-वॉलेट (E-Wallet) में भी पैसा ट्रांसफर करते हैं. हालांकि राजू को बैंक खाता खोलने में भी काफी दिक्कतें हुई. राजू का कहना है कि पीएम के डिजिटल इंडिया कैम्पेन से प्रभावित होकर उसने अपना खाता खुलवाया.
 

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