18 साल सांपों से खुद को कटवाता रहा शख्स, अब अपने खून से बनाएगा हर जहर को बेअसर करने वाला एंटीवेनम

ये शख्स है टिम फ्रीडे, जो कैलिफोर्निया में रहते हैं. इस एंटीवेनम को बनाने के लिए खुद टिम फ्रीडे ने बहुत जोखिम उठाया. उन्होंने कई बार खुद को जहरीले सांपों से कटवाया.

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18 साल सांपों से खुद को कटवाता रहा शख्स, अब खून से बनेगा एंटीवेनम

अमेरिका के एक शख्स की मदद से वैज्ञानिकों ने ऐसा एंटीवेनम (Antivenom) तैयार किया है जो अब तक का सबसे खास माना जा रहा है. ये शख्स है टिम फ्रीडे, जो कैलिफोर्निया में रहते हैं. इस एंटीवेनम को बनाने के लिए खुद टिम फ्रीडे ने बहुत जोखिम उठाया. उन्होंने कई बार खुद को जहरीले सांपों से कटवाया. 2001 में शुरू हुआ ये सिलसिला करीब 18 साल तक चला. जान का खतरा मोल लेकर टिम फ्रीडे का इरादा इस एंटीवेनम को खोजने का ही था. CNN की एक रिपोर्ट के मुताबिक, टिम फ्रीडे के खून में जो एंटीबॉडीज बनीं. उसकी वजह से वो बहुत सारे सांपों के जहर को बेअसर करती हैं.  

ऐसे हुई शुरुआत
इस जोखिम भरे एक्सपेरीमेंट की शुरुआत 2017 में हुई. जब इम्यूनोलॉजिस्ट जैकब ग्लानविल को मीडिया के जरिए टिम के इस काम के बारे में पता चला. उन्हें लगा कि टिम का खून कुछ बड़ा करने में मदद कर सकता है. ग्लानविल ने बताया, "हमारी बात हुई तो मैंने कहा – मुझे पता है ये अजीब लग सकता है, लेकिन मैं तुम्हारे खून का सैंपल लेना चाहता हूं." टिम ने जवाब दिया, "मैं तो कब से इस फोन का इंतज़ार कर रहा था." इसके बाद टिम ने उन्हें 40 मिलीलीटर खून का सैंपल दिया. आठ साल की मेहनत के बाद, ग्लानविल और उनके साथी वैज्ञानिक पीटर क्वोंग, जो कोलंबिया यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर हैं, ने एक ऐसा एंटीवेनम बनाया है जो 19 अलग-अलग जंहरीले सांपों के जहर से बचा सकता है.

अब तक ऐसे बनता था एंटीवेनम
अभी तक एंटीवेनम जानवरों को थोड़ा-थोड़ा जहर देकर बनाया जाता है. फिर उनके शरीर में बनने वाली एंटीबॉडीज को निकाला जाता है. लेकिन ये तरीका बहुत जगहों पर काम नहीं करता, क्योंकि एक जगह के सांप का जहर दूसरी जगह के सांप से थोड़ा अलग हो सकता है.

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इंसानों पर टेस्ट करने की तैयारी!
टिम के खून से बने एंटीवेनम को अब तक इंसानों पर टेस्ट नहीं किया गया है लेकिन वैज्ञानिकों का मानना है कि इंसानी एंटीबॉडीज से साइड इफेक्ट्स कम होंगे. टिम ने 2018 में खुद को जहर देने का एक्सपेरिमेंट बंद कर दिया, क्योंकि कई बार उनकी जान जाते-जाते बची थी. अब वो ग्लानविल की बायोटेक कंपनी Centivax में काम करते हैं और रिसर्च में मदद कर रहे हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, हर साल जहरीले सांपों के काटने से दुनियाभर में हजारों लोग मारे जाते हैं और लाखों लोग हमेशा के लिए डिसेबल भी हो जाते हैं.

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