बच्चों ने खाई गुलेल छोड़ने की कसम, 68 गांवों के बच्चे अबतक 590 गुलेल कर चुके हैं सरेंडर, जानिए क्या है वजह ?

गुलेल छोड़ने के लिए बच्चों से बात कर उन्हें प्रेरित करें. उन्हें बताएं कि गुलेल कितना खतरनाक है. उन्हें प्यार से समझाकर उनसे ये वादा लें कि वो गुलेल छोड़ देंगे.

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बच्चों ने खाई गुलेल छोड़ने की कसम, 68 गांवों के बच्चे अबतक 590 गुलेल कर चुके हैं सरेंडर

सोशल मीडिया पर एक तस्वीर वायरल हो रही है, जिसमें ढेर सारी गुलेल नजर आ रही हैं. इस फोटो को आईएफएस अधिकारी आनंद रेड्डी ने ट्विटर पर शेयर किया है. वही, गुलेल (Slingslot) जो बच्चे खेलते हैं और जिससे वो पेड़ से आम तोड़ते और बेर या जामुन तोड़ते हैं.

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इस फोटो को शेयर करते हुए आनंद रेड्डी ने लिखा है, 'यहाँ एक दुविधा है.. आप एक प्यारा पक्षी देखते हैं. और आप एक प्यारा बच्चा देखते हैं. फिर आप बच्चे को इस गुलेल से पक्षी को मारते हुए देखें. क्या आप बच्चे को सजा देंगे? नासिक के कई गांवों में यह बहुत आम बात है. इसकी वजह से इन खाली जंगलों में कोई पक्षी नहीं, कोई चहकना नहीं, कोई गाना नहीं. केवल सन्नाटा है.'

आनंद रेड्डी ने जो ट्विटर थ्रेड शेयर किया उसमें आगे और भी तस्वीरें दिखाई दे रही हैं. जिसमें बच्चों ने आगे की ओर गुलेल रखा है और हाथ फैलकर शपथ ले रहे हैं. बच्चों ने बैनर भी लिए हुए हैं, जिसपर लिखा है ‘गलोर हटवा पक्षी वाचवा' जिसका मतलब है, गुलेल हटाओ पक्षी बचाओ.

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उन्होंने अपने ट्वीट में ये भी लिखा है कि गुलेल छोड़ने के लिए बच्चों से बात कर उन्हें प्रेरित करें. उन्हें बताएं कि गुलेल कितना खतरनाक है. उन्हें प्यार से समझाकर उनसे ये वादा लें कि वो गुलेल छोड़ देंगे. इस वीडियो में आप देख सकते हैं कि बच्चे गुलेल को लेकर प्रचार कर रहे हैं और बोल रहे हैं कि गुलेल हटाओ पक्षी बचाओ.

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बता दें कि अबतक 68 गावों के बच्चों ने 590 गुलेल सरेंडर कर दिए हैं. बच्चों ने ये शपथ ली है कि अब वो गुलेल नहीं रखेंगे. न वो इससे पक्षियों को मारेंगे बल्कि लोगों को भी गुलेल न चलाने के लिए प्रेरित करेंगे. अब लोग बच्चों के इस कदम की सराहना कर रहे हैं और सोशल मीडिया पर अपने रिएक्शन दे रहे हैं.

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