दिल्ली की चहल-पहल भरी सड़कों के ठीक बाहर असोला और फतेहपुर बेरी (Asola and Fatehpur Beri) जुड़वां गांव हैं, जो राजधानी के नाइट क्लब बाउंसरों की एक बड़ी संख्या पैदा करने के लिए प्रसिद्ध हैं. यहां, शारीरिक शक्ति सिर्फ़ मांसपेशियों से कहीं ज़्यादा है-यह जीवन जीने का एक तरीका है. दिल्ली के निजी सुरक्षा कर्मियों में अपने महत्वपूर्ण योगदान के कारण इस गांव को 'भारत का सबसे मज़बूत गांव' (Indias Strongest Village) का नाम मिला है. अगर आप Google पर 'भारत या दुनिया का सबसे मज़बूत गांव' (World's Strongest Village) सर्च करेंगे, तो नतीजे असोला-फ़तेहपुर बेरी से जुड़े लिंक दिखाएंगे.
यह बदलाव तब शुरू हुआ जब स्थानीय पहलवान विजय तंवर ने भारत की ओलंपिक कुश्ती टीम में जगह बनाने से चूकने के बाद बाउंसर के तौर पर काम करना शुरू किया. उनकी सफलता ने गांव के कई अन्य लोगों को भी ऐसा ही करने के लिए प्रेरित किया और शारीरिक शक्ति को आजीविका में बदल दिया. आज, यह अनुमान लगाया जाता है कि दिल्ली के बाउंसरों का एक बड़ा हिस्सा असोला-फ़तेहपुर बेरी से आता है.
विजय तंवर ने CNN को बताया, "मैं इस गांव का पहला बाउंसर था. फिर सभी ने मेरी राह पर चलना शुरू कर दिया. अब 300 से ज़्यादा पहलवान नई दिल्ली के क्लबों और बार में बाउंसर के तौर पर काम करते हैं."
उन्होंने आगे कहा, "जैसा कि वे कहते हैं, स्वास्थ्य ही धन है. हम स्वस्थ हैं, लेकिन हम अच्छा पैसा भी कमा रहे हैं, बच्चों को अच्छे स्कूलों में भेज पा रहे हैं, अच्छा खा पा रहे हैं - जीवन में और क्या चाहिए?"
इन गांवों के युवा स्थानीय अखाड़ों (पारंपरिक कुश्ती के मैदान) में कठोर ट्रेनिंग सेशन्स में शामिल होते हैं, जहां वे हर दिन सैकड़ों पुश-अप, सिट-अप और कुश्ती अभ्यास करते हैं. पहलवानों की पीढ़ियों से चली आ रही यह अनुशासित जीवनशैली एक अनोखे पेशे में बदल गई है, दिल्ली की नाइटलाइफ़ के लिए बाउंसर की आपूर्ति करना.
कैसे रहते हैं फिट?
शराब और तंबाकू से परहेज़ करना, प्रोटीन युक्त आहार लेना और शारीरिक प्रशिक्षण के लिए घंटों देना. यह प्रतिबद्धता न केवल शारीरिक रूप से सर्वश्रेष्ठ स्थिति सुनिश्चित करती है बल्कि अनुशासन और उद्देश्य की भावना भी पैदा करती है.
गांव का पहला जिम खोलने वाले अंकुर तंवर ने न्यूयॉर्क टाइम्स से कहा, "तंवर परिवार में योद्धा का एक तत्व है. हमने मुस्लिम आक्रमणकारियों से लड़ाई लड़ी. हमने अंग्रेजों से लड़ाई लड़ी. पिछले 20 सालों में बहुत कुछ बदल गया है."
"हमने कभी नहीं सोचा था कि हम बार में काम करेंगे." बिजनेस इनसाइडर के अनुसार, जबकि बाउंसर की भूमिका वित्तीय स्थिरता प्रदान करती है, असोला-फतेहपुर बेरी के कई लोग इसे एक कदम के रूप में देखते हैं. कुछ लोग विदेश में सुरक्षा सेवाओं में करियर बनाने की इच्छा रखते हैं, जबकि अन्य अपने कुश्ती के मूल में लौटने का सपना देखते हैं.
जैसे-जैसे दिल्ली के बढ़ते नाइटलाइफ़ दृश्य में सुरक्षा कर्मियों की मांग बढ़ती है, असोला-फतेहपुर बेरी एक उदाहरण के रूप में खड़ा है कि कैसे परंपरा और आधुनिक ज़रूरतें आपस में जुड़ सकती हैं, जिससे भारत के इस 'सबसे मज़बूत गांव' की एक अनूठी पहचान बनती है.
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