भारत में अमीरी की परिभाषा क्या है, आलीशान घर, सेविंग्स और सिक्योरिटी या सिर्फ महंगे गैजेट? यही सवाल सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गया है, जब एक Reddit यूजर ने अपनी मेड को iPhone 14 इस्तेमाल करते हुए देखा. यूजर ने बताया कि वह एक टियर-1 शहर में रहता है और उसकी मेड झाड़ू-पोछा करने के लिए 2,500 रुपये प्रति माह लेती है. लेकिन हैरानी तब हुई जब उसने देखा कि वही मेड iPhone 14 इस्तेमाल कर रही है और दावा किया कि फोन का पूरा भुगतान किया गया है.
‘एक पल के लिए खुद को गरीब महसूस किया'
Reddit पोस्ट में यूजर ने लिखा, एक पल के लिए मुझे लगा कि मैं ही गरीब हूं. लेकिन फिर सोचा- वह अभी भी झुग्गी इलाके में रहती है, रिक्शा इस्तेमाल करती है, शायद कोई खास बचत नहीं है, न हेल्थ इंश्योरेंस और न कोई सेफ्टी नेट. इसके बाद यूजर ने सवाल उठाया कि क्या यह वास्तविक आर्थिक प्रगति है या फिर बिना सुरक्षा के सिर्फ उपभोग.
Is everyone rich in India, or is it just surface-level showoff?
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‘फोन से नहीं तय होती अमीरी'
पोस्ट में यूजर ने यह भी लिखा कि शायद अमीरी का मतलब फोन से नहीं, बल्कि एसेट्स, सेविंग्स, इंश्योरेंस और स्थिरता से जुड़ा होना चाहिए. उन्होंने पूछा कि क्या यह ट्रेंड अब आम हो गया है और लोग इसे कैसे देखते हैं. इस पोस्ट के बाद Reddit पर बहस तेज हो गई. एक यूजर ने लिखा, प्रगति हो रही है, लेकिन एसेट्स, सेविंग्स और इंश्योरेंस में समय लगेगा. फोन आज एक जरूरी यूटिलिटी है, इसलिए शायद पहले वहीं खर्च हुआ.
दूसरे यूजर ने अनुभव शेयर करते हुए कहा, लोग EMI और क्रेडिट कार्ड पर जी रहे हैं. मेरा कज़िन 20 हजार कमाता है और 36 महीने की EMI पर iPhone लेना चाहता था. इंस्टाग्राम पर सब दिखावे का खेल है. वहीं एक अन्य ने बताया कि फोन सेकंड हैंड भी हो सकता है. मैंने खुद सेकंड हैंड फोन लिया था, लेकिन पूरा पैसा देकर.
सोशल मीडिया और ‘दिखावे की अमीरी'
यह बहस उस हकीकत की ओर इशारा करती है जहां सोशल मीडिया ने लाइफस्टाइल की परिभाषा बदल दी है. महंगे फोन और ट्रैवल अब स्टेटस सिंबल बन चुके हैं, भले ही उसके पीछे कर्ज और असुरक्षा छिपी हो.
असली सवाल- अमीरी आखिर है क्या?
यह वायरल पोस्ट सिर्फ एक iPhone की कहानी नहीं है, बल्कि एक बड़ा सवाल उठाती है, क्या अमीरी दिखती है या महसूस होती है? क्या महंगे गैजेट आर्थिक स्थिरता का संकेत हैं, या सिर्फ एक भ्रम?
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