टीकाकरण केंद्रों से लेकर क्रेच (शिशुगृह) की सुविधाओं तक, राष्ट्रीय राजधानी स्थित तिहाड़ जेल महिला कैदियों के बच्चों की देखभाल करने में एक अप्रत्याशित, परंतु महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की कोशिश कर रही है. इन महिला कैदियों के बच्चों का शिशुकाल एशिया के सबसे बड़े कारागार की चारदीवारों में आकार लेता है. वर्तमान में, उच्च सुरक्षा वाली जेल में 20,000 से अधिक कैदी हैं, जिनमें 584 महिलाएं शामिल हैं. इनमें से कुछ कैदी मुकदमे का सामना कर रहे हैं, जबकि अन्य दोषी हैं.
ये महिलाएं तिहाड़ की सेंट्रल जेल नंबर-छह में अपनी सजा काटती हैं. अन्य 162 महिला कैदी मंडोली जेल में बंद हैं.छह साल से कम उम्र के 21 बच्चे तिहाड़ महिला जेल में रह रहे हैं, जबकि 10 बच्चे अपनी मां के साथ मंडोली जेल में हैं. तिहाड़ जेल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने ‘पीटीआई-भाषा' को बताया, ‘‘वे दिन गये जब गर्भवती कैदी जेल परिसर के अंदर बच्चे को जन्म देती थीं.''उन्होंने कहा कि उन्हें प्रसव के लिए नामित अस्पतालों में स्थानांतरित किया जाता है.
अधिकारी ने कहा कि अब साथी कैदी गर्भवती महिलाओं की देखभाल करते हैं. उन्होंने कहा कि जेल परिसर में बेहतर भोजन सुविधाएं और लगातार स्वास्थ्य जांच शिविर उपलब्ध होते हैं.
जेल मैनुअल के अनुसार, जेल के बाहर बच्चे को जन्म देने की सुविधा केवल तभी अस्वीकार की जाएगी, जब किसी विशेष कैदी के लिए उच्च सुरक्षा जोखिम हो.
जेल अधिकारियों के मुताबिक, इंडिया विजन फाउंडेशन (आईवीएफ) ‘अर्ली चाइल्डहुड केयर एंड डेवलपमेंट' नाम से एक कार्यक्रम चला रहा है, जिसके तहत टीकाकरण से लेकर क्रेच सुविधाओं तक शिशुओं को जेल के अंदर ही मिलता है.
उन्होंने आगे कहा कि प्राथमिक शिक्षा के साथ-साथ बच्चों को खेल, ड्राइंग और गायन जैसी कई तरह की गतिविधियां भी प्रदान की जा रही हैं.