दुर्गा पूजा की शुरुआत हो चुकी है और पूरे देश में पंडालों में मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित कर धूमधाम से उत्सव मनाया जा रहा है. बुराई पर अच्छाई की जीत का त्योहार माने जाने वाले दुर्गा पूजा में बेहतरीन और खूबसूरत पंडाल मुख्य आकर्षण होते हैं. यूं तो देश भर में पंडाल बनाकर दुर्गा पूजा की जाती है, लेकिन कोलकाता में इसकी धूम कुछ खास होती है. इस साल, कोलकाता के दुर्गा पूजा पंडालों ने बेहतरीन थीम और लुभावनी कलात्मकता के साथ लोगों का ध्यान खींचा है.
ये हैं कुछ सबसे क्रिएटिव पंडाल
लास वेगास स्फीयर (संतोष मित्रा स्क्वायर)
प्रतिष्ठित लास वेगास स्फीयर से प्रेरित, यह पंडाल आगंतुकों को रोशनी के शहर में ले जाता है, जो नियॉन लाइट और चमकदार सजावट से भरा है, पिछले साल उन्होंने अयोध्या के राम मंदिर की प्रतिकृति बनाई थी.
ग्रीन दुर्गा पूजा (लालबागान)
कोलकाता के लालबागान में 8,000 पौधों से बना यह अद्भुत दुर्गा पूजा पंडाल पर्यावरण के महत्व और पर्यावरण के अनुकूल होने का संदेश देता है.
वर्षा जल संरक्षण पंडाल (साल्ट लेक)
साल्ट लेक में वर्षा जल संरक्षण पंडाल न केवल शानदार है, बल्कि पर्यावरण के अनुकूल भी है. एक सुंदर झरने और हरे-भरे सजावट के साथ, पंडाल एक शांत वातावरण बनाता है.
मेट्रो रेल पंडाल (जगत मुखर्जी पार्क)
यह पंडाल आदमकद ट्रेन मॉडल और डिटेल्स से भरा हुआ है, जो कोलकाता की मेट्रो रेल सिस्टम की नकल करता है.
सती प्रथा (काशी बोस लेन सर्बोजनिन)
इस पंडाल का थीम बंगाल द्वारा सती प्रथा को समाप्त करने में निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका पर केंद्रित है. यह भारत के कुछ हिस्सों में अभी भी प्रचलित बाल विवाह की प्रथा को भी क्रिटिसाइज करता है.
वाराणसी के घाट (चेतला)
कोलकाता के चेतला अग्रनी दुर्गा पूजा पंडाल में मंदिरों के शहर काशी (वाराणसी) का माहौल दिखता है. इस पंडाल में प्रतीकात्मक गंगा आरती और हर-हर महादेव के शक्तिशाली मंत्रों का प्रदर्शन किया गया है.
गार्डन थीम (गरियाहाट)
दक्षिण कोलकाता में त्रिधारा सम्मिलनी ने पारंपरिक भारतीय प्रांगण का प्रतिनिधित्व करते हुए "आंगन" थीम को अपनाया है.
लाइव पंडाल (बागुईहाटी)
बागुईहाटी में अर्जुनपुर अमरा सबाई क्लब ने एक शानदार लाइव पंडाल पेश किया है, जो कोलकाता की दुर्गा पूजा की सच्ची भावना को दर्शाता है. थीम मौजूदा शासन के तहत बढ़ती आर्थिक असमानता और सांस्कृतिक भेदभाव को संबोधित करती है.
कोलकाता की खोई हुई कला (बेहाला)
बेहाला में दक्षिणंदरी युवा सर्बोजनिन पंडाल कोलकाता की लंबे समय से खोई हुई संस्कृति को खूबसूरती से दर्शाता है.
वेस्ट मटिरियल से बनी मूर्ति (दक्षिण पारा)
दक्षिणपारा दुर्गोत्सव उन कुछ दुर्गा पूजा समारोहों में से एक के रूप में उभरा है, जिसने इस साल बहुत लोकप्रियता हासिल की है. पूरा पंडाल औजारों और धातु की चादरों जैसे वेस्ट से तैयार किया गया है.
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