डिप्लोमेटिक मिशन पर अमेरिका पहुंचे चीन के 2 पांडा, वायरल वीडियो में दिखी कूटनीति की इंतहा

दोनों पांडा चीन के सिचुआन में दुजियांगयान पांडा बेस से फेडएक्स कार्गो विमान पांडा एक्सप्रेस में सवार होकर 15 अक्टूबर को डलेस इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर उतरे.

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2 pandas on diplomatic mission arrive in US from China: चीन से अमेरिका पहुंचे दो विशाल पांडा का एक वीडियो इन दिनों सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. वीडियो को देखने वाले हर व्यूअर्स हैरत में पड़ गए हैं, क्योंकि इन दोनों विशाल पांडा, बाओ ली और किंग बोआ को चीन से अमेरिका लाने के पीछे की वजह को 'राजनयिक मिशन' बताया जा रहा है. दोनों पांडा चीन के सिचुआन में दुजियांगयान पांडा बेस से फेडएक्स कार्गो विमान पांडा एक्सप्रेस में सवार होकर 15 अक्टूबर को डलेस इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर उतरे.

एक्स पर स्मिथसोनियन नेशनल जू के पांडा का वीडियो वायरल

स्मिथसोनियन नेशनल जू की ओर से माइक्रो ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म एक्स पर पांडा के अमेरिका पहुंचने का वीडियो शेयर किया गया. कुछ ही देर में यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया. इसे दोनों देशों के बीच ‘पांडा कूटनीति' की लंबे समय से चली आ रही परंपरा में एक नए चैप्टर के रूप में देखा जा रहा है. दोनों पांडा अगले 10 वर्षों तक वाशिंगटन, डीसी में स्मिथसोनियन नेशनल जू में ही रहेंगे.

चीन को सालाना 1 मिलियन डॉलर का योगदान देगा अमेरिका

अमेरिका इस व्यवस्था यानी पांडा कूटनीति के तहत, चीन में लुप्तप्राय प्रजातियों के संरक्षण की कोशिशों के लिए सालाना 1 मिलियन डॉलर का योगदान देगा. यह सांकेतिक साझेदारी को अक्सर कूटनीति में सॉफ्ट-पावर टूल के रूप में देखा जाता है. यह तनावपूर्ण जियो-पॉलिटिकल समय के दौरान भी संबंधों को बेहतर बनाए रखने में अहम भूमिका निभाती रही है.

यहां देखें वीडियो

सेहत की देखभाल के 30 दिनों तक क्वारंटीन रहेंगे दोनों पांडा

चीन से अमेरिका पहुंचने के बाद पांडा को स्वास्थ्य और सुरक्षा की देखभाल के लिए 30 दिनों तक क्वारंटीन रखा जाएगा. नेशनल जू अपने इन नए मेंबर्स को 24 जनवरी, 2025 को पब्लिक को दिखाना शुरू करेगा. नवंबर, 2023 में तीन पांडा के अमेरिका से चीन चले जाने के एक साल के बाद नेशनल जू में पांडा का आगमन हुआ है. इसकी कमी ने अमेरिका-चीन के संबंधों के बिगड़ने को लेकर चिंताएं पैदा कर दी थीं.

पहली बार 1972 में पांडा कूटनीति ने खींचा दुनिया भर का ध्यान

इसके बाद, सैन फ्रांसिस्को की अपनी यात्रा के दौरान चीनी राष्ट्रपति शी-जिनपिंग ने पांडा को "दोस्ती के राजदूत" के रूप में वापस लाने का वादा किया था. पांडा कूटनीति ने पहली बार 1972 में दुनिया भर के लोगों का ध्यान खींचा था. तब अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन की ऐतिहासिक यात्रा के बाद चीन ने अमेरिका को उपहार में पांडा दिए थे. तब से, पांडा कूटनीतिक सद्भावना का प्रतीक बन गए हैं, जिन्हें अक्सर प्रमुख राजनयिक घटनाओं से पहले आदान-प्रदान किया जाता है.

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