छुट्टी लेने के लिए हाउस हेल्प ने मालकिन को अंग्रेजी में किया मैसेज, लिखी ऐसी बात, पढ़कर हर कोई रह गया हैरान

अब ऑनलाइन यूजर्स हाउस हेल्प की तारीफों के पुल बांध रहे थे, एक ने कहा, "इतनी अच्छी इंग्लिश तो मुझे भी नहीं आती." एक अन्य ने कहा, "मेड, ​​इतनी अंग्रेजी जानना एक अद्भुत घटना है!"

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छुट्टी लेने के लिए हाउस हेल्प ने मालकिन को अंग्रेजी में किया मैसेज

ऐसे समय में जब महाराष्ट्र (Maharashtra) में भाषा को लेकर काफी विवाद चल रहा है, मुंबई की एक हाउस हेल्प (House Help) का अपनी मालकिन को लिखा प्यारा और सरल संदेश इंटरनेट पर लोगों का दिल जीत रहा है. उसने जो कहा, उसकी वजह से नहीं, बल्कि उसकी त्रुटिहीन अंग्रेज़ी ने सोशल मीडिया पर तहलका मचा दिया है. उसकी मालकिन, ऋचा नाम की एक महिला ने अपने एक्स अकाउंट पर उसे मिले व्हाट्सएप मैसेज का स्क्रीनशॉट शेयर किया और यह पोस्ट देखते ही देखते वायरल हो गई.

अपनी मालकिन को सूचित करते हुए कि वह अगले दिन छुट्टी ले रही है, हाउस हेल्प ने मैसेज किया, "दीदी, मैं माधुरी बोल रही हूं. हम आपको बताना भूल गए कि हम नहीं आ रहे हैं, हम कल छुट्टी ले रहे हैं." हालांकि मैसेज में कुछ वर्तनी और व्याकरण संबंधी गलतियां थीं, लेकिन जिस चीज़ ने सबका ध्यान खींचा, वह थी उसकी अंग्रेज़ी में लिखने की कोशिश और उसका सम्मानजनक लहजा.

एक्स यूजर ने स्क्रीनशॉट शेयर करते हुए कैप्शन में लिखा, "मेरी मेड कितनी प्यारी है," इसके बाद रोते हुए चेहरे वाले इमोजी की एक सीरीज पोस्ट की. अब ऑनलाइन यूजर्स हाउस हेल्प की तारीफों के पुल बांध रहे थे, एक ने कहा, "इतनी अच्छी इंग्लिश तो मुझे भी नहीं आती." एक अन्य ने कहा, "मेड, ​​इतनी अंग्रेजी जानना एक अद्भुत घटना है!" एक यूजर ने चुटकी लेते हुए कहा, "उसका नंबर दे दो, मैंने उसके लिए एक नई नौकरी ढूंढ ली है."

जब किसी ने मैसेज में पूछा, "और आपने क्या जवाब दिया?" महिला ने एक और स्क्रीनशॉट शेयर किया, जहां उसने अपनी हाउस हेल्प के अनुरोध पर "ओके" उत्तर दिया, और बदले में, उसने मैसेज भेजा, "थैंक्यू, दीदी." हालांकि, सभी ने इस पोस्ट को एक ही नज़रिए से नहीं देखा. जहां कुछ लोगों ने "मेड" शब्द के इस्तेमाल पर आपत्ति जताई और कहा कि यह अपमानजनक है, वहीं कुछ ने देश में वर्ग और रोज़गार के अवसरों से जुड़े गंभीर मुद्दे उठाए. 

एक यूजर ने लिखा, "मुझे समझ नहीं आ रहा कि किस बात की ज़्यादा चिंता करनी चाहिए, या तो यह कि मेरे कुछ सहकर्मी इतनी भी अंग्रेज़ी नहीं जानते, या यह कि भारत उन लोगों को पर्याप्त रोज़गार के अवसर प्रदान करने में विफल रहता है जो कम से कम बुनियादी अंग्रेज़ी में अच्छे हैं, जिसके कारण उन्हें नौकरानी का काम करना पड़ता है."

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