तेंदुए और शेर के बच्चों को मां का प्यार देती हैं सावित्री अम्मा, 22 साल से इस बायोलॉजिकल पार्क में कर रहीं सेवा

बन्नेरघट्टा बायोलॉजिकल पार्क में सावित्री अम्मा तेंदुए के बच्चों को मां से भी ज्यादा प्यार देती हैं. बीते 22 साल से वो यहां काम कर रही हैं.

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तेंदुए के बच्चों को मां का प्यार देती हैं सावित्री अम्मा

Caretaker Savitriamma At Bannerghatta Biological Park : इंसान और जानवर के बीच का प्यार किसी से छिपा नहीं है. लोगों में पेट्स (पालतू जानवर) का क्रेज शुरू से ही देखा गया है और अब तो यह शौक और महंगा हो गया है. लोग अब अलग-अलग प्रजाति के डॉग का पालन पोषण कर रहे हैं, लेकिन अब एक महिला के जानवर के प्रति मां जैसे प्यार की अटूट मिसाल सामने आई है. हम बात कर रहे हैं सावित्री अम्मा की जो बेंगलुरु (कर्नाटक) के बन्नेरघट्टा बायोलॉजिकल पार्क में बीती 22 साल से शेर और तेंदुए के बच्चे (शावक) की केयरटेकर हैं और यहां उन्हें इन अनाथ शावकों की सरोगेट मदर कहा जाता है.

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जानवरों को मां का प्यार देती हैं सावित्री अम्मा (Savitriamma At Bannerghatta Biological Park)

सावित्री अम्मा इन अनाथ शावकों को मां जैसा वो प्यार देती हैं, जिनकी उन्हें असल में जरूरत है. कमाल की बात तो यह है कि यह सभी शावक सावित्री अम्मा को अपनी मां समझ उनकी हर बात का पालन करते हैं, लेकिन सावित्री अम्मा उस वक्त दुखी होकर मुरझा जाती हैं, जब एक भी शावक जंगल या चिड़ियाघर में छोड़ दिया जाता है. सावित्री अम्मा कहती हैं कि यह सब उनके बच्चों की तरह हैं. सावित्री अम्मा का जानवर के प्रति ऐसा निस्वार्थ और अटूट प्यार बताता है कि इंसान और जानवर आपस में कितने करीब हैं. बता दें, सावित्री अम्मा बीते 22 साल से यहां बतौर केयरटेकर काम कर रही हैं. सावित्री अम्मा को इन शावकों के प्रति समर्पण और उन्हें नई जिंदगी देने के लिए जाना जाता है.

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बन्नेरघट्टा बायोलॉजिकल पार्क के बारे में.. (Bannerghatta Biological Park)

आपको बता दें कि बन्नेरघट्टा बायोलॉजिकल पार्क तेंदुए सफारी के लिए मशहूर है और यहां आने वाले पर्यटकों को जंगली जानवरों के बारे में पर्याप्त जानकारी दी जाती है. इतना ही नहीं बन्नेरघट्टा बायोलॉजिकल पार्क पर्यावरण संरक्षण की भी बात करता है. अगर आप बन्नेरघट्टा बायोलॉजिकल पार्क जाने का प्लान कर रहे हैं तो पहले ही जान लीजिए कि यहां वयस्कों के लिए टिकट 260 रुपये और सीनियर सिटीजन व बच्चों के लिए 150 रुपये का है.

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बता दें, साल 1970 में बन्नेरघट्टा बायोलॉजिकल पार्क का निर्माण हुआ था, जिसे बन्नेरघट्टा चिड़ियाघर के नाम से भी जाना जाता है. साल 1974 में बन्नेरघट्टा बायोलॉजिकल पार्क को नेशनल पार्क घोषित किया गया था. बन्नेरघट्टा बायोलॉजिकल पार्क दो भागों में बंटा है. पहला जूलॉजिकल पार्क और दूसरा बन्नेरघट्टा बायोलॉजिकल पार्क. इसमें एक तितली पार्क भी है. यह बच्चों के लिए एक शानदार पार्क है.

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