'ऑफर शॉपिंग' को लेकर Recruiter ने Candidate को खाली हाथ लौटाया, सोशल मीडिया पर छिड़ी बहस

एक टेक रिक्रूटर सिद्धार्थ शर्मा ने माइक्रोब्लॉगिंग साइट एक्स पर खुलासा किया कि उन्होंने नौकरी के लिए आए एक उम्मीदवार को "ऑफ़र शॉपिंग" के कारण खाली हाथ वापस लौटा दिया. इसके बाद सोशल मीडिया पर कॉर्पोरेट नैतिकता को लेकर यूजर्स की राय बंटी हुई दिखी.

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एक कंपनी से ऑफर लेटर लेकर दूसरी जगह बड़ी नेगोशिएशन करने का चलन कॉरपोरेट कल्चर के हिस्से के रूप में आपने भी देखा या सुना ही होगा. हालांकि, इसको लेकर लोगों की सोच में काफी फर्क है. इस तरह के एक मामले को लेकर इन दिनों सोशल मीडिया पर बड़ी बहस छिड़ी हुई है.

दरअसल, एक टेक रिक्रूटर सिद्धार्थ शर्मा ने माइक्रोब्लॉगिंग साइट एक्स पर खुलासा किया कि, उन्होंने नौकरी के लिए आए एक उम्मीदवार को 'ऑफ़र शॉपिंग' के कारण खाली हाथ वापस लौटा दिया. इसके बाद सोशल मीडिया पर कॉर्पोरेट नैतिकता को लेकर यूजर्स की राय बंटी हुई दिखी और हंगामा मच गया.

पूर्व सीटीओ शर्मा ने अपनी पोस्ट में बताया कि, वह एक उम्मीदवार का इंटरव्यू ले रहे थे, तब यह साफ हो गया कि उस शख्स के पास पहले से ही नौकरी की पेशकश थी, लेकिन वह बेहतर नौकरी की तलाश में था. शर्मा को ऐसा लगा कि अगर उम्मीदवार को अधिक आकर्षक मौका दिया गया, तो वह मौजूदा ऑफर से पीछे हटने को तैयार था. इस 'ऑफर शॉपिंग' ट्रेडिशन के आलोचक शर्मा ने वहीं इंटरव्यू खत्म कर दिया.

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नौकरी चाहने वालों के बीच हताशा का संकेत

इसके बाद उन्होंने अपनी अस्वीकृति की भावनाएं जाहिर करने के लिए एक्स पोस्ट किया. उन्होंने इस वाकए को नौकरी चाहने वालों के बीच हताशा का संकेत बताया. उन्होंने लिखा, 'इससे हताशा की बू आती है और दुनिया को पता चलता है कि आपके लिए आपके शब्दों का कोई महत्व नहीं है, फिर केवल वही लोग आपके साथ जुड़ेंगे, जिनके लिए यह महत्वपूर्ण नहीं है.'

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शर्मा ने टेक में नौकरी चाहने वालों को सलाह देते हुए कहा, 'प्रोग्राम करना सीखें और प्रोग्रामिंग से प्यार करें. ऐसे लोगों को खोजें जो प्रोग्रामिंग पसंद करते हैं.'

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यहां देखें पोस्ट

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पोस्ट ने सोशल मीडिया पर छेड़ दी तीखी बहस

सिद्धार्थ शर्मा की इस पोस्ट ने सोशल मीडिया पर तीखी बहस छेड़ दी. इसमें नौकरी की तलाश के दौरान 'ऑफर शॉपिंग' की नैतिकता पर राय बंट गई. शर्मा के समर्थक उनके रुख से सहमत थे. उन्होंने उम्मीदवार की हरकत को अपमानजनक और समय की बर्बादी के रूप में देखा. हालांकि, दूसरे लोगों ने यह दलील देते हुए उम्मीदवार का पक्ष लिया कि, वे केवल कंपनियों के रवैए को रिफलेक्ट कर रहे थे. उन्होंने बताया कि, कैसे कंपनियां अक्सर कई उम्मीदवारों का इंटरव्यू लेती हैं और सबसे उपयुक्त का चयन करती हैं, वैसे ही उम्मीदवार भी अपने लिए सर्वश्रेष्ठ ऑफर को सुरक्षित करने की कोशिश कर रहा था.

दूसरी ओर शर्मा के आलोचकों ने इस बात पर जोर डाला कि, कंपनियां अक्सर ऑफर देने के बाद उन्हें रद्द कर देती हैं, जिससे उम्मीदवारों को अनिश्चित स्थिति में छोड़ दिया जाता है. उन्होंने तर्क दिया कि अगर कंपनियों को अपनी जरूरतों को प्राथमिकता देने की इजाजत दी जाती है, तो उम्मीदवारों को भी ऐसा करने का अधिकार है.

कोई पैसे और प्रोग्रामिंग दोनों से भी प्यार कर सकता है

एक यूजर ने लिखा, 'आपने उम्मीदवार सहित इस ट्वीट को पढ़ने वाले सभी लोगों को अपनी स्थिति के बारे में खुलकर और ईमानदार नहीं रहने को कहा. यह एक बाजार है. कंपनियां अपनी समय सीमा के साथ आती हैं कि, अगर आप दो दिनों में इस ऑफर को स्वीकार नहीं करते हैं, तो हम किसी और पर विचार करेंगे. अगर यह उसका एक मात्र प्रस्ताव है तो उम्मीदवार को स्वीकार करना होगा. अब जब आपने विनम्रता से मना कर दिया है, तो आप क्या सोचते हैं कि क्या होगा? वह अगले रिक्रूटर के पास जाएगा और अपने ऑफर के बारे में बहुत बाद तक खुलासा नहीं करेगा. कोई पैसे से प्यार कर सकता है और प्रोग्रामिंग से भी प्यार कर सकता है. दोनों सच हो सकते हैं.'

नियुक्ति प्रक्रिया में दोनों पक्षों में विश्वास की कमी

दूसरे यूजर ने लिखा, 'क्या प्रोसेस जारी रखने से इनकार करने से पहले उम्मीदवारों से 'बेहतर प्रस्ताव' की तलाश में रहने के कारणों के बारे में पूछना अच्छा नहीं होगा? समस्या इस फैक्ट से पैदा होती है कि, नियुक्ति प्रक्रिया में दोनों पक्षों में विश्वास की कमी है. उम्मीदवार अपनी बात नहीं रख सकते और संगठन ऑफ़र रद्द कर सकते हैं.'

वहीं, तीसरे यूजर ने लिखा, 'यह वास्तव में बहुत दिलचस्प है क्योंकि रिक्रूटर शब्द का कोई मतलब नहीं है, इसलिए मुझे लगता है कि मुझे वही करना होगा जो मेरे लिए सबसे अच्छा है.'

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