मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) की राजधानी भोपाल (Bhopal) में कारीगरों के एक समूह ने कबाड़ और कचरे से एक शानदार "रुद्र वीणा" (Rudra Veena) बनाई, जिसका वजन 5 टन है. समाचार एजेंसी एएनआई ने बताया कि वीणा 28 फीट लंबी 10 फीट चौड़ी और 12 फीट ऊंची है. इसके निर्माण पर कलाकारों द्वारा लगभग 10 लाख रुपए खर्च किए गए थे और लगभग 6 महीने में काम पूरा हो गया था. दल के अनुसार यह अब तक निर्मित सबसे बड़ी रुद्र वीणा है.
स्ट्रिंग उपकरण का निर्माण तार, चेन, गियर और बॉल बेयरिंग जैसे वाहन के छोड़े गए पुर्जों से किया गया है. 15 कलाकारों ने एक साथ मिलकर डिजाइन किया, स्क्रैप इकट्ठा किया और अंत में एक तरह की वीणा का निर्माण किया.
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एएनआई से बात करते हुए, कलाकारों में से एक, पवन देशपांडे ने कहा, "वीणा को 'कबाड़ से कंचन' की थीम पर तैयार किया गया है. कुल 15 कलाकार डिजाइन करने, स्क्रैप इकट्ठा करने और फिर 6 महीने तक इसे बनाने में लगे रहे और अंत में कूड़े से बनी सबसे बड़ी वीणा तैयार हो गई."
वे कामना करते हैं कि देश की आने वाली पीढ़ियां भारतीय संस्कृति और विरासत के बारे में अधिक जानें, देशपांडे ने एएनआई को बताया, "हम एक भारतीय विषय पर काम करना चाहते थे ताकि हमारी नई पीढ़ी भारतीय संस्कृति के बारे में अधिक जान सके. यह 'रुद्र वीणा' अपने आप में अनूठी है. शहर में एक जगह पर स्थापित किया गया है जहां लोग इसके साथ सेल्फी ले सकते हैं. हम इसमें एक संगीत प्रणाली और रोशनी भी स्थापित करेंगे ताकि यह और अधिक सुंदर दिखे."
कलाकार ने आगे बताया, कि भोपाल में अटल पथ पर वीणा रखने के लिए स्थान चिन्हित कर लिया गया है.
वीणा बनाने वाली टीम ने दावा किया कि कचरे से इतनी बड़ी वीणा कभी नहीं बनी. कलाकारों ने कहा, "यह न केवल भोपाल में बल्कि दुनिया में सबसे बड़ी वीणा है. इस रुद्र वीणा को बनाने में लगभग 10 लाख रुपये खर्च किए गए हैं."
उनके फेसबुक प्रोफाइल के अनुसार, देशपांडे अन्य परियोजनाओं पर भी काम कर रहे हैं. उनका मुख्य उद्देश्य 'पुन: उपयोग, पुनर्चक्रण, कम करना' - कचरे का उपयोग चमत्कार बनाने के लिए करना है. इस साल मार्च में, उन्होंने अपनी टीम के साथ "वैक्सीन सिरिंज, शीशी और मास्क के नीचे कोरोनावायरस की भारत की सबसे बड़ी स्थापना" बनाई.
उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक पोस्ट में लिखा, "30000 इस्तेमाल की गई बेकार प्लास्टिक की बोतलें और 5 टन वाहन स्क्रैप, पुर्जे, क्रैंकशाफ्ट, बेकार टायर, मॉड्यूलर टॉयलेट डोर, 3R's- रिड्यूस, रियूज, रीसायकल की अवधारणा के साथ इसे बनाने में इस्तेमाल किया गया था. इसका उद्घाटन चिकित्सा शिक्षा मंत्री श्री विश्वास सारंग सर ने किया, जिन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह इंस्टालेशन हमेशा याद दिलाएगा कि कैसे हमने वैक्सीन की मदद से इस महामारी पर काबू पाया."