खून बेचने के लिए घर से 30 किमी दूर ब्लड बैंक पहुंची नाबालिग, सामने आया चौंकाने वाला सच

लड़की के पास एक साधारण फोन है. कुछ दिन पहले खराब हो जाने के कारण उसने रविवार को एक दोस्त के मोबाइल फोन से 9,000 रुपये का ऑनलाइन स्मार्टफोन ऑर्डर किया.

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खून बेचने के लिए घर से 30 किमी दूर ब्लड बैंक पहुंची नाबालिग, सामने आया चौंकाने वाला सच

बच्चे हों या बड़े आजकल हर किसी को स्मार्टफोन रखने का शौक है. बच्चे तो इसके लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाते हैं. हाल ही में पश्चिम बंगाल (West Bengal) से एक चौंकाने वाली घटना में सामने आई है. जहां एक लड़की के पास स्मार्टफोन (Smartphone) खरीदने के लिए पैसे नहीं थे, तो वो अपना खून बेचने के लिए लगभग 30 किमी की यात्रा करके ब्लड बैंक पहुंच गई. पूछताछ करने पर, उसने बहुत से झूठी वजह अलग-अलग वजह बताईं. यहां तक कि उसने ये भी कह दिया कि उसके माता-पिता की मृत्यु हो गई, लेकिन आखिर में उसने स्वीकार किया कि उसने 9 हजार रुपए के स्मार्टफोन का ऑर्डर दिया था और उसका भुगतान करने के लिए उसे पैसे की जरूरत है, जो उसके पास नहीं हैं.

पश्चिम बंगाल के दक्षिण दिनाजपुर जिले की नाबालिग लड़की ने बस से करीब 30 किमी का सफर तय किया और अपना खून बेचने और मोबाइल फोन के लिए पैसे का इंतजाम करने के लिए सीधे बालुरघाट जिला अस्पताल गई. हालांकि, अस्पताल के अधिकारियों ने उसे समझाया कि यहां ऐसा काम नहीं होता है, और यह कहा कि उसे उसके माता-पिता के पास पहुंचा दिया जाए.

जैसे ही मामला अस्पताल के ब्लड बैंक के कर्मचारियों पता चला, अधिकारियों ने कक्षा 12 की छात्रा को बचाया और उसे चाइल्डलाइन इंडिया (Childline India) को सौंप दिया, जो एक गैर सरकारी संगठन है जो संकट में बच्चों के लिए एक हेल्पलाइन संचालित करता है.

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दक्षिण दिनाजपुर के तपन इलाके की रहने वाली 17 वर्षीय लड़की ने अधिकारियों को बताया कि उसने हाल ही में एक स्मार्टफोन ऑनलाइन ऑर्डर किया था, और उसके पास पैसे नहीं थे, जिसके लिए वह अस्पताल में रक्तदान करके इसके लिए पैसे का इंतजाम करने आई थी.

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जब उसने ब्लड बैंक के कर्मचारियों से कहा, कि वह पैसे के बदले रक्तदान करना चाहती है, तो अस्पताल के कर्मचारियों ने एनजीओ को सूचित किया. ब्लड बैंक के कर्मचारी नाबालिग के प्रस्ताव को सुनकर चौंक गए और उसे समझाया कि यह ऐसे काम नहीं करता है. उसकी तबीयत खराब होने पर उन्होंने नाबालिग को बैठाया और अस्पताल के काउंसलर को सूचना दी.

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बालुरघाट अस्पताल काउंसलर, कनक दास ने एनडीटीवी को बताया, "एक नाबालिग लड़की आज अस्पताल आई. सबसे पहले, उसने हमें बताया कि वह रक्त परीक्षण करना चाहती है. जब हमने उससे पूछा कि वह रक्त परीक्षण क्यों चाहती है, तो हमने उसे असंगत पाया और तब हमने बालुरघाट जिले के चाइल्डलाइन हेल्पलाइन को सूचित किया. वे यहां आए और उसे अपने कार्यालय ले गए. वह शिक्षा जैसे विभिन्न कारण बताती रही, या कि उसके माता-पिता की मृत्यु हो गई, उसके माता-पिता जीवित हैं, लेकिन उसके पास उनके साथ समस्या है. तब उसने हमें बताया कि उसने एक मोबाइल फोन ऑनलाइन बुक किया, और उसे पैसे की जरूरत थी." 

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सूचना मिलने के बाद चाइल्ड लाइन स्टाफ ने नाबालिग के माता-पिता को सूचना दी. बच्ची ने चाइल्डलाइन को बताया कि उसके पिता सब्जी विक्रेता हैं.

लड़की के पास एक साधारण फोन है. कुछ दिन पहले खराब हो जाने के कारण उसने रविवार को एक दोस्त के मोबाइल फोन से 9,000 रुपये का ऑनलाइन स्मार्टफोन ऑर्डर किया.

लड़की के पिता ने NDTV को बताया, "मुझे नहीं पता कि क्या हुआ और जब मैं यहां पहुंचा तो मुझे पता चला कि वह अपना खून बेचकर मोबाइल खरीदना चाहती है."

एनजीओ चाइल्डलाइन ने कहा है कि वह उसे चाइल्ड वेलफेयर कमेटी (सीडब्ल्यूसी) के सामने पेश करेगी और फिर फैसला करेगी कि वे उसकी बेहतर मदद कैसे कर सकते हैं.

चाइल्डलाइन की रीता महतो ने एनडीटीवी को बताया, "किसी ने उससे कहा होगा कि अगर आप ऐसा करते हैं, तो आप फोन खरीद पाएंगे. वह भी अवसाद से पीड़ित है, और हम उसे बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) के समक्ष पेश करेंगे और फिर हम तय कर सकते हैं कि उसकी बेहतरी के लिए उसे हम कहां भेज सकते हैं." 

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