ऑस्ट्रेलिया में मिले करोड़ों साल पुराने पैरों के निशान ने पलटा विकास का इतिहास, इंसानों समेत हजारों प्रजातियों की कहानी बदली

Fossil Footprints: हाल ही में एक 35 सेंटीमीटर चौड़ी बलुआ पत्थर की चट्टान पर दो अलग-अलग जीवों के पैरों के निशान पाए गए हैं, जिनमें स्पष्ट रूप से नाखूनों के निशान देखे जा सकते हैं.

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ऑस्ट्रेलिया में मिले करोड़ों साल पुराने पैरों के निशान, नई खोज ने बदल दी विकास की टाइमलाइन

Ancient Fossil Footprints Found In Australia: वैज्ञानिकों को ऑस्ट्रेलिया में कुछ ऐसे निशान मिले हैं, जो इंसान समेत हजारों जंतुओं के विकास की कहानी को ही नया मोड़ दे रहे हैं. हाल ही की एक ताजा खोज में सामने आए करोड़ों साल पुराने जीवों के पैरों के निशान यह बताते हैं कि चार पैरों वाले जानवर, जिन्हें टेट्रापोड कहा जाता है, उनसे जुड़ी हमारी अब तक की समझ गलत हो सकती है. यह खोज ऑस्ट्रेलिया के विक्टोरिया राज्य में टाउंगुरुंग देश के पास हुई है. एक 35 सेंटीमीटर चौड़ी बलुआ पत्थर की चट्टान पर दो अलग-अलग जीवों के पैरों के निशान पाए गए हैं, जिनमें स्पष्ट रूप से नाखूनों के निशान देखे जा सकते हैं. यह निशान आधुनिक सरीसृपों (reptiles) जैसे जीवों से मेल खाते हैं, जिससे पता चलता है कि अम्नियोट (Amniotes) (जिनमें स्तनधारी, पक्षी और सरीसृप आते हैं ) का विकास पहले समझे गए समय से करीब 35 मिलियन साल पहले ही हो चुका था.

पैरों के निशान ने बदला इतिहास (Tetrapod fossil discovery Australia)

अब तक माना जाता था कि अम्नियोट्स का विकास कार्बोनिफेरस काल (लगभग 355 मिलियन साल पहले) में हुआ, लेकिन यह नई खोज उस समय सीमा को 'देवोनियन काल (करीब 380 मिलियन साल पहले)' तक पीछे ले जाती है. इसका मतलब यह है कि हमारे पूर्वजों के विकास की कहानी का एक बड़ा हिस्सा अब तक अज्ञात और अधूरा था. इस खोज का एक और बड़ा पहलू यह है कि अब तक अधिकतर शुरुआती टेट्रापोड के जीवाश्म यूरोप और उत्तरी अमेरिका जैसे उत्तरी गोलार्ध के इलाकों में पाए गए थे, लेकिन यह खोज दक्षिणी गोलार्ध की विशाल प्राचीन भूमि गोंडवाना (Gondwana) से आई है, जो दर्शाती है कि टेट्रापोड्स का विकास शायद दक्षिणी भाग में ही पहले हो चुका था.

धरती से निकला विकास का छुपा हुआ अध्याय (Oldest Reptile Fossils)

इस चट्टान की सतह पर वर्षा की बूंदों के निशान भी मौजूद हैं, जो यह सिद्ध करते हैं कि ये जीव जमीन पर चल रहे थे और ये निशान पानी में नहीं बने. इससे साबित होता है कि यह पूरी तरह थलचली प्रजाति थी. इस अद्भुत खोज से यह सवाल उठता है कि, क्या हमारे पूर्वजों का विकास वास्तव में गोंडवाना की भूमि से शुरू हुआ था, ना कि अब तक मानी गई उत्तरी भूमि यूरअमेरिका से? यह खोज वैज्ञानिकों को अब पूरी विकास की कहानी को फिर से लिखने पर मजबूर कर रही है. आगे की खुदाई और खोज ही इस रहस्य से पूरी तरह पर्दा उठा सकती है.

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