एलियन्स (Alien) का विषय कुछ ऐसा है कि न चाहते हुए भी इसमें दिलचस्पी आ जाती है. दूसरी दुनिया के वो लोग कैसे होते होंगे. क्या वो हमारी तरह होंगे या जैसे फिल्मों में नजर आते हैं वैसे होंगे. और, उनकी दुनिया कैसी होगी. ये सवाल भी हमेशा ही रोमांचित करता है. अब एक नए स्टडी में एलियन वर्ल्ड से जुड़ा दिलचस्प खुलासा हुआ है. रॉयल एस्ट्रॉनॉमिकल सोसायटी के मंथली जर्नल नोटिस में छपी रिपोर्ट के अनुसार एलियन्स की दुनिया हमारी दुनिया की तरह हरी भऱी नहीं है. बल्कि उसका रंग पर्पल हो सकता है. ये भी संभावना जताई गई है कि एलियंस का कलर भी कुछ और हो.
ऐसे हुआ खुलासा
इस नई रिसर्च का आधार कुछ ऐसे लाइट सिग्नल्स बने हैं जो ऐसी दुनिया से आए हैं जहां सूरज की रोशनी और ऑक्सीजन नहीं है. जैसे कई एक्सोप्लेनेट में होता है. रिसर्च के अनुसार जिंदगी होने के संकेत देने का वाला मुख्य कलर हरा है. जिसका मतलब होता है सूरज की रोशनी को एनर्जी में बदलने वाले क्लोरोफिल का मौजूद होना. जो प्लेनेट्स किसी कम रोशनी वाले स्टार्स के आसपास घूमते हैं वहां जीवन तब ही संभव हो जब उन्हें इंफ्रारेड लाइट से जीना आ जाए. धरती पर ही ऐसे बहुत से बैक्टीरिया हैं जो बिना सूरज की रोशनी के रहते हैं.
पर्पल बैक्टीरिया पर रिसर्च
इस आधार पर Cornell University ने कुछ बैक्टिरिया उगाए और उन्हें अलग अलग वेवलेंथ की लाइट में रखा. जिसके बाद वो इस नतीजे पर पहुंचे कि कुछ बैक्टीरिया कम लाइट में भी जी सकते हैं. इन बैक्टीरिया का रंग पर्पल है. जीने के लिए जरूरी क्रिया करने के लिए इन्हें ज्यादा ऑक्सीजन और लाइट की जरूरत नहीं पड़ती. जिसका अर्थ ये निकला कि ये बैक्टीरिया ऑक्सीजन पर निर्भर नहीं करते हैं. Carl Sagan Institute की डायरेक्टर Lisa Kaltenegger ने इस बारे में कहा कि ये देखना बहुत दिलचस्प है कि एक ऐसी भी दुनिया है. जो बिना ग्रीन के सर्वाइव कर सकती है.
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