जापान के तट के पास 90 फीट ऊंचा पानी के नीचे एक "पिरामिड" पाया गया है. इस पिरामिड ने लोगों का ध्यान खींचा है और इसे लेकर अटकलें लगनी शुरू हो गई हैं. लहरों के नीचे छिपी यह रहस्यमय संरचना, प्राचीन सभ्यताओं के बारे में हमारी वर्तमान समझ को चुनौती देने और इतिहास की किताबों को फिर से लिखने की क्षमता रखती है. 1986 में पाया गया, पत्थर का स्मारक जापान के रयूकू द्वीप के तट से समुद्र के नीचे 82 फीट की गहराई पर स्थित है. नुकीले-कोण वाली सीढ़ियों और लगभग 90 फीट की अनुमानित ऊंचाई वाले इस पिरामिड ने वैज्ञानिकों को हैरान कर दिया है, जिन्हें इसके आकार और संरचना को देखकर लगता है कि यह मानव निर्मित हो सकता है.
पत्थर पर किए गए परीक्षणों से पता चलता है कि यह 10,000 साल से भी ज़्यादा पुराना है. अगर स्मारक वास्तव में मनुष्यों द्वारा बनाया गया था, तो यह क्षेत्र के जलमग्न होने से 12,000 साल से भी ज़्यादा पहले का होगा. यह कालक्रम स्मारक के निर्माण को मिस्र के पिरामिड और स्टोनहेंज जैसे अन्य प्रसिद्ध प्राचीन स्मारकों से कहीं पहले का बताता है.
आमतौर पर, वैज्ञानिकों का मानना है कि इस तरह की विशाल संरचनाओं का निर्माण लगभग 12,000 साल पहले कृषि के उदय के साथ हुआ था. लेकिन अगर उस समय इंसान ऐसे विशाल सीढ़ीदार पिरामिडों का निर्माण कर रहा था, तो इसके लिए इतिहास को पूरी तरह से फिर से लिखना ज़रूरी होगा और यह एक खोई हुई दुनिया की ओर इशारा कर सकता है, ठीक वैसे ही जैसे कि पौराणिक अटलांटिस.
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न्यूयॉर्क पोस्ट के अनुसार, डूबे हुए पत्थर ने उस समय नई बहस छेड़ दी जब लेखक ग्राहम हैंकॉक और पुरातत्वविद् फ्लिंट डिबल के बीच ‘जो रोगन एक्सपीरियंस' के एक हालिया एपिसोड में इस स्थल को लेकर बहस हुई.
डिबल ने अप्रैल 2024 में पॉडकास्ट पर कहा, "मैंने बहुत सी अजीबोगरीब प्राकृतिक चीजें देखी हैं और मुझे यहां ऐसा कुछ भी नहीं दिखता जो मुझे मानव वास्तुकला की याद दिलाता हो."
खोई हुई प्राचीन सभ्यताओं के जाने-माने समर्थक हैनकॉक ने जवाब दिया: "मेरे लिए, फ्लिंट, यह आश्चर्यजनक है कि आप इसे पूरी तरह से प्राकृतिक चीज़ के रूप में देखते हैं, लेकिन मुझे लगता है कि हमारी नज़रें बहुत अलग हैं."
हैनकॉक ने उन चीज़ों की ओर ध्यान खींचा जो उनके अनुसार ह्यूमन मेड डिजाइन होने का संकेत देते हैं- जिसमें नक्काशीदार सीढ़ियां, मेगालिथ, आर्चेस और यहां तक कि पत्थर पर उकेरी गई चेहरे जैसी नक्काशी भी शामिल है.