ब्रिटिश-अमेरिकी लेखक सलमान रुश्दी (Salman Rushdie Book) की नई किताब (जीवनी) "नाइफ़" जल्द ही बाजार में उपलब्ध होगी. इसमें उन्होंने 2022 में एक सार्वजनिक कार्यक्रम में करीब-करीब छुरा घोंपने की उस घटना का जिक्र किया है, जिससे उनकी एक आंख की रोशनी चली गई थी. इसके साथ ही उन्होंने इस किताब में अपने इलाज की जर्नी का भी जिक्र किया. उनकी ये नई किताब 'नाइफ' मंगलवार से स्टोर में उपलब्ध होगी. सलमान रुश्दी भारतीय मूल के अमेरिकी लेखक हैं, वह न्यूयॉर्क शहर में रहते हैं. 1988 के उपन्यास "द सेटेनिक वर्सेज" के बाद से ही उनको जान से मारने की धमकियां मिलती रही हैं. उनके उपन्यास "द सेटेनिक वर्सेज" को ईरान के सर्वोच्च नेता ने ईशनिंदा घोषित किया था, जिसके बाद रुश्दी फ्री स्पीच का ग्लोबल सिंबल बन गए.
जब सलमान रुश्दी पर मंच पर हुआ था हमला
न्यूयॉर्क के एक ग्रामीण इलाके में एक कला सभा मंच पर चढ़कर चाकू से लैस एक हमलावर ने सलमान रुश्दी की गर्दन और पेट पर कई बार हमले किए, इस घटना में उन्होंने अपनी दाहिनी आंख खो दी. द गार्जियन अखबार ने रुश्दी की नई किताब के कुछ अंशों का जिक्र किया है, जिसके मुताबिक, रुश्दी ने लिखा, "मैंने लड़ाई क्यों नहीं की? मैं भाग क्यों नहीं गया? मैं बस पिनाटा की तरह वहां खड़ा रहा और उसको मुझे कुचलने दिया." उन्होंने लिखा, "यह बिल्कुल भी ड्रामेटिक या भयानक नहीं लगा, यह सिर्फ संभावित लगा... तथ्य की बात."
रुश्दी पर "इस्लाम पर हमले का आरोप
तेहरान ने रुश्दी पर हमला करने वाले शख्स के साथ किसी भी तरह के संबंध से इनकार किया. उन्होंने कहा कि इस घटना के लिए सिर्फ रुश्दी दोषी है. उस समय 24 साल के संदिग्ध हमलावर ने हत्या की कोशिश के लिए खुद के दोषी नहीं होने की अपील की. न्यूयॉर्क पोस्ट के साथ एक इंटरव्यू में कथित हमलावर ने कहा कि उसने "द सैटेनिक वर्सेज" के सिर्फ दो पेज पढ़े हैं, लेकिन उसका मानना है कि रुश्दी ने "इस्लाम पर हमला किया था."
'यह एक सपना'
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की वकालत करने वाले ग्रुप PEN अमेरिका की मुख्य कार्यकारी सुजैन नोसेल ने कहा कि "उस भयानक दिन के बाद से... हम इस कहानी का इंतजार कर रहे हैं कि सलमान रुश्दी के संभावित हत्यारे आखिरकार कैसे पकड़े जाएं." उन्होंने कहा कि कहानी लिखने का हुनर रखने वाले फेमस लेखक सलमान रुश्दी ने अब तक इस कहानी को अपने तक रखा, जिससे हमें दूर से उनके साहस और लचीलेपन पर हैरानी होती है."
"नाइफ" की रिलीज से पहले सीबीएस कार्यक्रम "60 मिनट्स" के साथ एक इंटरव्यू में, रुश्दी ने बताया कि हमले से दो दिन पहले उन्होंने एक एम्फीथिएटर में चाकू मारे जाने का सपना देखा था और इस कार्यक्रम में शामिल नहीं होने के बारे में भी सोचा था. फिर उनको लगा पागलपन करने की जरूरत नहीं है, यह सिर्फ एक सपना है.
सलमान रुश्दी ने किताब में यह भी लिखा है कि उन्हें इस कार्यक्रम के लिए "उदारतापूर्वक" भुगतान किया जाना था. इस पैसे से वह अपने घर की मरम्मत करवाना चाहते थे. इस कार्यक्रम में रुश्दी को उन लेखकों की सुरक्षा के बारे में बात करने के लिए आमंत्रित किया गया था, जिनकी जान को खतरा था. एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा, "यह जगह मेरे लिए सुरक्षित नहीं है." द गार्जियन के अनुसार, रुश्दी ने किताब में अपने बुरे सपने का भी जिक्र किया है.
जब रुश्दी ने जीता बुकर पुरस्कार
रुश्दी का जन्म मुंबई में हुआ था, बहुत ही कम उम्र में वह इंग्लैंड चले गए थे. वह अपने दूसरे उपन्यास "मिडनाइट्स चिल्ड्रेन" (1981) से सुर्खियों में आए. उनको स्वतंत्रता के बाद के भारत के चित्रण के लिए ब्रिटेन का प्रतिष्ठित बुकर पुरस्कार भी दिया गया था. लेकिन "द सैटेनिक वर्सेज" से उनको काफी फेम मिला. रुश्दी एक नास्तिक लेखक हैं. उनके माता-पिता गैर-मुस्लिम मुसलमान थे. उनको अंडरग्राउंड होने के लिए मजबूर किया गया. उनकी किताब का अनुवाद करने वाले और उसके प्रकाशकों की हत्या की कोशिश के बाद रुश्दी को ब्रिटेन पुलिस की तरफ से सुरक्षा भी दी गई थी. साल 1990 के अंत में जब ईरान ने कहा कि वह उनकी हत्या का समर्थन नहीं करेगा, तब जाकर सलमान रुश्दी ने भगोड़े जीवन से राहत पाई.