- SCO की बैठक में आतंकवाद, आर्थिक सुधार, जलवायु संकट और बहुध्रुवीय दुनिया पर साझा सहमति बनी है
- साझा बयान में पहलगाम आतंकी हमले की कड़ी निंदा की गई है, जो पाकिस्तान के लिए कड़ा संदेश
- भारत की कूटनीति और मिलिट्री डिप्लोमेसी को एससीओ समिट में बड़ी सफलता और रणनीतिक जीत के रूप में सराहा गया है
पाकिस्तान के सबसे प्रिय मित्र देश चीन इस वक्त एससीओ समिट की मेजबानी कर रहा है. इस एससीओ समिट में जारी साझा बयान में पहलगाम में हुए आतंकी हमले की निंदा की गई है. शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के साझा बयान को लेकर भारत की न सिर्फ कूटनीति की सराहना हो रही है बल्कि भारत की मिलिट्री डिप्लोमेसी को भी जमकर सराहा जा रहा है. शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक में सदस्य देशों ने एक बड़ा साझा बयान जारी किया. इस डिक्लेरेशन में आतंकवाद पर सख्त रुख, आर्थिक सुधार, जलवायु संकट और बहुध्रुवीय दुनिया की मांग जैसे अहम मुद्दों पर सहमति बनी.इसे भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत माना जा रहा है, क्योंकि भारत लगातार आतंकवाद के खिलाफ सख्त कदम और वैश्विक सुधार की मांग करता रहा है.
भारत की मिलिट्री डिप्लोमेसी की भी जीत...
रिटायर्ड मेजर जनरल संजय मेस्टन ने इसे भारत की रणनीतिक सफलता बताया और कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के परिणामों ने दुनिया को भारत की ताकत दिखा दी है. उन्होंने कहा कि आज डिफेंस डिप्लोमैसी उतनी ही जरूरी हो गई है जितनी की पारंपरिक कूटनीति. एससीओ की तरफ से जारी किए गए साझा बयान में आतंकवाद की कड़ी निंदा की गई है, जिसे पाकिस्तान के लिए एक स्पष्ट और सख्त संदेश माना जा रहा है. गौर करने वाली बात ये भी है कि चीन ने भी इस बार लचीलापन दिखाया है, जो वैश्विक दबाव और ट्रंप प्रशासन की टैरिफ नीतियों का परिणाम है. इसमें रूस की भूमिका भी अहम रही, क्योंकि चीन की मंशा अब सबके सामने है.
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पूर्व राजदूत प्रभु दयाल ने क्या कुछ कहा
पूर्व राजदूत प्रभु दयाल ने अमेरिका की भूमिका पर सवाल उठाते हुए कहा कि ट्रंप प्रशासन बेशर्म हो गया है, क्योंकि वह जानता है कि पाकिस्तान की सेना भारत के खिलाफ आतंकवाद को बढ़ावा देती है, फिर भी अमेरिका पाकिस्तान से रिश्ते मजबूत कर रहा है. उन्होंने कहा कि चीन हमेशा पाकिस्तान का समर्थन करता रहा है, लेकिन अब भारत के साथ उसके रिश्तों में सुधार की संभावना है. उन्होंने पहलगाम हमले को पाकिस्तान प्रायोजित बताया और कहा कि आतंकवाद पर चीन की नीति में बदलाव आना तय है. आसिफ मुनीर के लिए ट्रंप द्वारा आयोजित लंच को लेकर भी आलोचना हुई, जिसे भारत विरोधी आतंकवाद समर्थक देश से स्वार्थपूर्ण संबंधों की मिसाल बताया गया.
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SCO का बयान भारत के लिए बड़ी उपलब्धि
लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) सतीश दुआ ने कहा कि एससीओ का साझा बयान भारत के लिए एक बड़ी उपलब्धि है. उन्होंने कहा कि इस मंच पर पाकिस्तान, तुर्किए और चीन की मौजूदगी के बावजूद भारत ने आतंकवाद पर स्पष्ट रुख अपनाया और साझा बयान में अपनी बात मनवाई. प्रधानमंत्री मोदी का चीन जाकर इस बयान को हासिल करना भारत की कूटनीतिक सफलता है. गौर करने वाली बात ये है कि जब एससीओ की डिफेंस लेवल मीटिंग हुई थी, तब पहलगाम हमले का जिक्र नहीं हुआ था, जबकि चीन ने अपने हितों के तहत बीएलए का मुद्दा उठाया था. भारत ने उस बयान पर हस्ताक्षर नहीं किए थे. लेकिन इस बार पहलगाम हमले का जिक्र साझा बयान में शामिल है, जो भारत की कूटनीतिक दृढ़ता का प्रमाण है.
एससीओ समिट में पहलगाम हमले की निंदा
एससीओ शिखर सम्मेलन में सदस्य देशों ने 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले की कड़े शब्दों में निंदा की. सदस्य देशों ने आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद के खिलाफ अपनी दृढ़ प्रतिबद्धता दोहराई. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इन खतरों का निजी या स्वार्थपूर्ण उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल किया जाना पूरी तरह अस्वीकार्य है. सदस्य देशों ने आतंकवाद और उग्रवाद से निपटने में संप्रभु राष्ट्रों और उनकी सक्षम संस्थाओं की अग्रणी भूमिका को मान्यता दी. इस अवसर पर कहा गया कि सदस्य देश सभी प्रकार के आतंकवाद की कड़ी निंदा करते हैं. वे जोर देते हैं कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में दोहरे मापदंड अस्वीकार्य हैं. साथ ही, वे अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील करते हैं कि वह आतंकवाद से मिलकर लड़े, जिसमें सीमापार आतंकियों की आवाजाही भी शामिल है.