Explainer : अचानक गाजा के पीड़ितों के समर्थन में क्यों आया अमेरिका?

ब्लिंकेन ने कहा कि फ़िलिस्तीनियों को ग़ाज़ा छोड़ने को बाध्य नहीं किया जा सकता. इस तरह के आए सभी बयान को ख़ारिज करते हैं, जो इज़राइल के मंत्रियों की तरफ़ से दिया गया है.

विज्ञापन
Read Time: 11 mins
अमेरिकी विदेश मंत्री एंटोनी ब्लिंकेन.
नई दिल्ली:

इज़रायल-हमास जंग के तीन महीने पूरे हो चुके हैं और इसके जल्द ख़त्म होने की कोई संभावना भी नज़र नहीं आ रही है. इस बीच अमेरिकी विदेश मंत्री एंटोनी ब्लिंकेन मध्य पूर्व के दौरे पर हैं. रविवार को जार्डन की राजधानी अम्मान में किंग अब्दुल्ला सेकेंड से उनकी मुलाक़ात हुई. रिपोर्ट के मुताबिक़ जार्डन के किंग ने ब्लिंकेन पर ग़ाज़ा में युद्ध विराम कराने का दबाव बनाया.

जार्डन के किंग ने ये भी कहा कि अगर ये युद्ध जल्द ख़त्म नहीं हुआ तो गंभीर नतीजे होंगे. उन्होंने युद्ध रोकने में अमेरिका की भूमिका को अहम बताया. इस मुलाक़ात के बाद ब्लिंकेन की तरफ़ से एक अहम बयान जारी किया गया. इसमें उन्होंने कहा कि उत्तरी ग़ाज़ा में अब इज़रायल कम तीव्रता वाला वाले सैन्य अभियान के फ़ेज़ में पहुंच गया है. इसलिए जैसे ही संभव हो, विस्थापित हुए लोगों को अपने घर जाने दिया जाना चाहिए.

ग़ाज़ा में मानवीय मदद भेजने पर ज़ोर
उनके कहने का मतलब है कि जिनको उत्तरी ग़ाज़ा से दक्षिणी ग़ाज़ा भेजा गया, उनको अपने घर जाने दिया जाए. उन्होंने ये भी कहा कि यूएन को देखना चाहिए कि इस दिशा में क्या किए जाने की ज़रूरत है. उत्तरी ग़ाज़ा समेत पूरे ग़ाज़ा में मानवीय मदद भेजने पर भी ज़ोर दिया गया.

ब्लिंकेन ने एक और अहम बात की. उन्होंने कहा कि फ़िलिस्तीनियों को ग़ाज़ा छोड़ने को बाध्य नहीं किया जा सकता. इस तरह के आए सभी बयान को ख़ारिज करते हैं, जो इज़राइल के मंत्रियों की तरफ़ से दिया गया है.

इज़रायल के मंत्री ने फिलिस्तीनियों को ग़ाज़ा से बाहर भेजने की बात की थी
ग़ौरतलब है कि इज़रायल के नेशनल सिक्योरिटी मिनिस्टर इतामार बेन ग्विर और वित्त मंत्री बेज़ालेल स्मोत्रिच ने फिलिस्तीनियों को ग़ाज़ा से बाहर भेजने की बात की थी, जिसको लेकर तीखी प्रतिक्रिया हुई. ब्लिंकेन ने इन बयानों को ग़ैरज़िम्मेदाराना बताकर और इसकी आलोचना कर मध्य पूर्व के देशों का गुस्सा ठंडा करने की कोशिश की है. फिलिस्तीनी समस्या के निपटारे के लिए दो देश समाधान के फ़ॉर्मूले पर भी ज़ोर दिया.

इज़राइल-हमास युद्ध शुरू होने के बाद से ब्लिंकेन पांचवी बार मध्य पूर्व देशों के दौरे पर हैं. इससे पहले के दौरों से कोई ख़ास नतीजा नहीं निकला, जिससे ग़ाज़ा में इज़रायल की बमबारी रुके और फिलिस्तीनियों को मानवीय त्रासदी से निजात मिले. इस बार ब्लिंकेन जार्डन से पहले तुर्की और ग्रीस भी गए.

ब्लिंकेन यूएई, सऊदी अरब, इजिप्ट और क़तर का भी दौरा कर रहे हैं. मक़सद इज़रायल पहुंचने से पहले अरब देशों की राय जानने की है, ताकि इज़राइल से उसी हिसाब से बात की जा सके. दूसरी तरफ़ इज़राइल पूर्ण युद्ध विराम की बात कई बार खारिज कर चुका है. देखना है कि इस बार ब्लिंकेन का दौरा शांति का कोई नतीजा आता है या पहले की तरह बेनतीजा रहता है.

Advertisement
Featured Video Of The Day
Allu Arjun News: Telugu Superstar का सड़क से सदन तक विरोध
Topics mentioned in this article