कौन हैं कट्टरपंथी चेहरे, हादी की मौत के बाद जिन्होंने बांग्लादेश में भड़काई हिंसा

बांग्लादेश में शरीफ उस्मान हादी की हत्या के विरोध में शाहबाग पर हुए धरने में माहौल तब बिगड़ गया जब कट्टरपंथी और जिहादी संगठनों से जुड़े नेता सामने आए. रिपोर्ट्स के मुताबिक, सभा में मौजूद इन तत्वों ने भड़काऊ भाषण दिए और भीड़ को उकसाने की कोशिश की, जिससे बांग्लादेश में हिंसा और तनाव बढ़ गया.

विज्ञापन
Read Time: 5 mins
फटाफट पढ़ें
Summary is AI-generated, newsroom-reviewed
  • बांग्लादेश में उस्मान हादी की हत्या के बाद शाहबाग में समर्थकों का धरना कट्टरपंथी तत्वों द्वारा भड़काया गया था
  • जसिमुद्दीन रहमानी और अताउर रहमान बिक्रमपुरी जैसे कट्टरपंथी नेताओं ने हिंसा भड़काने वाले भड़काऊ भाषण दिए थे
  • उस्मान हादी की मौत के बाद देश में हिंसा और आगजनी की घटनाएं कई इलाकों में फैल गईं और अराजकता बढ़ी
क्या हमारी AI समरी आपके लिए उपयोगी रही?
हमें बताएं।
ढाका:

बांग्लादेश में एक बार हिंसा भड़क उठी है, आगजनी से लेकर कई जगहों पर बेकाबू भीड़ ने जमकर तोड़फोड़ की. इस हिंसा की शुरुआत इस बार इंकबाल मंच के नेता उस्मान हादी पर हुए हमले के बाद हुई. सिंगापुर में इलाज के दौरान हादी की मौत हो चुकी है. हादी के लिए इंसाफ की मांग को लेकर शुक्रवार के दिन शाहबाग में उनके समर्थकों ने धरना दिया. लेकिन यह शांतिपूर्ण कार्यक्रम जल्द ही कट्टरपंथी और अराजक तत्वों के कब्जे में आ गया. उस्मान हादी की हत्या के विरोध में शाहबाग में हुए धरने में माहौल तब बिगड़ गया, जब कट्टरपंथी और जिहादी संगठनों से जुड़े चेहरे सामने आए. वायरल तस्वीरों में उन लोगों को दिखाया गया है जिन पर बांग्लादेश में हालिया हिंसा भड़काने का आरोप लग रहा है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, सभा में मौजूद इन तत्वों ने भड़काऊ भाषण दिए और भीड़ को उकसाने की कोशिश की.

ये भी पढ़ें : बांग्लादेश में ये कैसी 'आग'? हादी की मौत से ढाका टू बॉर्डर तक हलचल, यूनुस क्या कर रहे

कौन है बांग्लादेश में हिंसा भड़काने के पीछे

बांग्लादेश के पूर्व मंत्री मोहम्मद अली अराफात के सोशल मीडिया पोस्ट के मुताबिक, धरने में जसिमुद्दीन रहमानी और अताउर रहमान बिक्रमपुरी जैसे कट्टरपंथी नेताओं की मौजूदगी रही. ये नेता तौहीदी जनता और अन्य उग्रवादी समूहों से जुड़े बताए जाते हैं. रिपोर्ट के अनुसार, इन नेताओं ने भड़काऊ भाषण दिए, जिससे माहौल और तनावपूर्ण हो गया. जसिमुद्दीन रहमानी, जो अल-कायदा से जुड़े अंसारुल्लाह बंगला टीम का प्रमुख है, पहले आतंकवाद विरोधी कानून के तहत गिरफ्तार किया गया था. उस पर 2013 से 2016 के बीच नास्तिक ब्लॉगर्स की हत्या का समर्थन करने का आरोप था. वर्तमान यूनुस-नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के दौरान रहमानी को रिहा कर दिया गया है और उसने सार्वजनिक रूप से इन हत्याओं का समर्थन दोहराया है. इंकलाब मंच के समर्थकों ने हादी की हत्या पर न्याय की मांग करते हुए नारे लगाए. सोशल मीडिया पर वायरल पोस्ट में कहा गया कि छात्र और आम लोग सड़कों पर उतरकर संसद तक मार्च करेंगे. हालांकि, कट्टरपंथी नेताओं की मौजूदगी ने इस सभा को विवादों में घेर लिया.

बांग्लादेश में हालत बेहद तनावपूर्ण

बांग्लादेश में शुक्रवार के दिन भी हालात बेहद तनावपूर्ण रहे. अंतरिम सरकार ने उस्मान हादी के जनाज़े के कार्यक्रम में बदलाव किया है. अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस ने पोस्ट कर बताया कि हादी के नमाज़-ए-जनाज़ा अब शनिवार दोपहर 2 बजे जतिया संसद भवन के साउथ प्लाज़ा में होगी, पहले समय 2:30 बजे तय था. सरकार ने चेतावनी दी कि बैग या भारी सामान न लाएं और संसद परिसर में ड्रोन उड़ाना पूरी तरह प्रतिबंधित है. हादी 12 दिसंबर को ढाका के बिजयनगर में गोलीबारी में घायल हुए थे. दो हमलावर मोटरसाइकिल पर आए, नज़दीक से गोली मारी और फरार हो गए. गंभीर हालत में हादी को पहले ढाका मेडिकल कॉलेज, फिर एवरकेयर अस्पताल और बाद में सिंगापुर ले जाया गया, जहां 15 दिसंबर को उनकी मौत हो गई. हादी जुलाई विद्रोह के प्रमुख चेहरे थे और फरवरी 2026 के चुनाव में ढाका-8 से निर्दलीय उम्मीदवार बनने वाले थे. उनके परिवार ने शाहबाग में स्मारक बनाने और उनकी कविताओं को पाठ्यक्रम में शामिल करने की मांग की है. हादी की मौत के बाद शाहबाग और अन्य इलाकों में प्रदर्शन भड़क गए. 

ये भी पढ़ें : फिर जल उठा बांग्लादेश! युनूस की बढ़ी मुश्किलें, ढाका की सड़कों पर लाखों प्रदर्शनकारी

सांप्रदायिक हिंसा पर बवाल

इस बीच, बांग्लादेश हिंदू बौद्ध ईसाई एकता परिषद ने मयमनसिंह के भालुका में हिंदू वस्त्रकर्मी दीपू चंद्र दास की हत्या की निंदा की. उनका आरोप है कि 18 दिसंबर की रात कुछ लोगों ने कथित ईशनिंदा के आरोप में दीपू को पीट-पीटकर मार डाला, फिर पेड़ से लटकाकर शव को आग लगा दी. अंतरिम सरकार ने कहा कि नई बांग्लादेश में ऐसी हिंसा की कोई जगह नहीं, दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा. बांग्लादेश की निर्वासित राइटर तसलीमा नसरीन ने एक वीडियो शेयर कर लिखा कि एक हत्या के बाद बांग्लादेश में हालात बेकाबू हो गए. एक मौत ने हजारों कट्टरपंथियों को सड़कों पर हिंसा करने के लिए उकसा दिया. जो मिला, उसे तोड़ डाला. घर, दुकानें, वाहन सब आग के हवाले कर दिए गए. देश के कई हिस्सों में अराजकता फैल गई. सबसे भयावह घटना मयमनसिंह के भालुका में हुई, जहां जिहादियों ने एक युवा दीपू चंद्र दास को कथित ईशनिंदा के आरोप में बेरहमी से पीट-पीटकर मार डाला. इतना ही नहीं, उसकी लाश को पेड़ से लटकाया और फिर आग के हवाले कर दिया. इस दौरान भीड़ ने “नारे तकबीर, अल्लाहु अकबर” के नारे लगाते हुए जश्न मनाया. न किसी का दिल कांपा, न किसी ने रोका, यह था जिहादी हिंसा का असली चेहरा.

Advertisement

Featured Video Of The Day
Bangladesh Violence | भारत के खिलाफ यूनुस किसका मोहरा? | Bangladesh Protest | Kachehri