फलस्तीन की लड़ाई लड़ रहे हमास के नेता इस्माइल हनिया ईरान की राजधानी तेहरान में हुए एक हमले में मारे गए. इस बात की पुष्टी हमास ने भी की है.हमास की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि तेहरान में हनिया के घर पर इजरायल ने हमला किया. इसी हमले में हानिया मारे गए. इस हमले की जिम्मेदारी अभी तक किसी भी संगठन ने नहीं ली है. लेकिन इसके पीछे इजरायली खुफिया एजेंसियों का हाथ माना जा रहा है.
हानिया की हत्या के बाद एनडीटीवी ने मध्य-पूर्व मामलों के जानकार प्रोफेसर मुश्ताक हुसैन से बात की. हमने प्रोफेसर हुसैन ने यह जानना चाहा कि हानिया की हत्या के बाद इजरायल के साथ जारी हमास की लड़ाई और मध्य-पूर्व की राजनीति पर क्या असर पड़ेगा.
हमास के नेताओं के कितने गुट हैं
प्रोफेसर हुसैन का कहना है कि हमास का नेतृत्व आंतरिक और बाहरी में बंटा हुआ है.आंतरिक नेतृत्व में हमास के वे नेता आते हैं, जो गाजा में लोगों के बीच रहकर संगठन का नेतृत्व करते हैं. वहीं बाहरी नेतृ्त्व में वे नेता आते हैं, जो दुनिया के दूसरे देशों में रहकर संगठन का नेतृत्व करते हैं. गाजा में रहकर काम और लड़ाई का संचालन कर रहे हमास के नेताओं और दूसरे देशों में रह रहे उसके नेताओं के बीच हमेशा से मतभेद रहा है. इजरायल के दवाब में गाजा में रहने वाले नेता खुद को नैतिक तौर पर उन नेताओं से श्रेष्ठ मानते हैं, जो गाजा से बाहर रहते हैं. गाजा में रहने वाले नेता बाहर रहने वाले नेताओं के हस्तक्षेप का हमेशा से विरोध करते रहे हैं.
प्रोफेसर हुसैन का कहना था कि हानिया की हत्या के बाद गाजा में जारी लड़ाई पर क्या असर पड़ेगा इस पर अभी साफ तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता है.उन्होंने कहा कि हानिया की हत्या के बाद हमास के दोनों तरह के नेतृत्व में बातचीत होगी.उन्होंने कहा कि दुनिया को अपनी एकजुटता दिखाने के लिए हमास रॉकेट हमला जरूर करेगा.उन्होंने कहा कि हानिया की हत्या का भविष्य में होने वाले शांति समझौता वार्ता पर कितना असर पड़ेगा, इस पर फैसला गाजा में रहने वाला हमास का नेतृत्व लेगा.
हमास में कितने प्रभावशाली थे इस्माइल हानिया
उन्होंने कहा कि इस्माइल हानिया एक ऐसे नेता के तौर पर जाने जाते थे,जो दोनों गुटों के नेताओं को एक साथ लाते थे और उनमें एकजुटता दिखाते थे.ऐसे में उनकी मौत के बाद हमास के दोनों गुटों में मतभेद और बढ़ सकता है.इस मतभेद का असर इजरायल के साथ जारी लड़ाई में हमास की रणनीति पर भी पड़ेगा.
प्रोफेसर मुश्ताक ने कहा कि ऐसा कहना अभी थोड़ी जल्दबाजी होगी की हानिया की हत्या के बाज युद्धविराम नहीं हो सकता है. हमास नेता खालिद मिसाल और याहिया सिनवार अभी भी इस बात पर चर्चा करेंगे कि सीजफायर उन्हें किस तरह से फायदा पहुंचा सकता है.ईरान और लेबनान में हुए इन हमलों के बाद से हिजबुल्ला और हमास की कार्रवाई की तिव्रता जरूर बढ़ जाएगी.
इजरायली खुफिया एजेंसी की जीत
उन्होंने कहा कि हमास के सात अक्तूबर 2023 के हमले को इजरायली खुफिया एजेंसियों की नाकामी बताया गया था, क्योंकि समय रहते वो इन हमलों का पता नहीं लगा पाईं.लेकिन ईरान और लेबनान में हुए इन हमलों के बाद से उनकी विश्वसनीयता थोड़ी बहाल हुई है.हमास के नेता जिस खुफिया तरीके से आना-जाना करते हुए वैसे में उनका पता लगाकर उनकी हत्या करना इजरायली खुफिया एजेंसियों की बहुत बड़ी जीत है.
प्रोफेसर मुश्ताक कहते हैं कि इन हमलों के बाद से मध्य-पूर्व में तनाव और बढ़ेगा, जो पहले से ही बहुत अधिक है. इस हमले का जवाब देने के लिए दबाव हिजबुल्ला, हमास और ईरान पर बढ़ेगा.उन्हें अपने लोगों को यह दिखाना होगा कि हमारे पास अभी भी बदला लेने की काफी क्षमता है.इसके साथ ही उन्हें इस बात का आकलन भी करना होगा कि बदले की कार्रवाई ऐसी न हो जाए कि इजरायल उसका जवाब देने की सोचने लगे.ऐसे में मध्य पूर्व के इस इलाके में 'जैसे को तैसा' वाली रणनीति, वह शांति बहाली की उम्मीदों को कमजोर करती है.
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