क्या है Sugar Loaf अनानास, जिसका जिक्र कर पीएम मोदी ने घाना में घोली मिठास

घाना की संसद में तालियों की गूंज के बीच पीएम मोदी ने कहा कि हमारी दोस्ती घाना के प्रसिद्ध शुगर लोफ़ अनानास से भी ज्यादा मीठी है... शुगर लोफ़ (Sugar loaf) यानी मिठास का गोला. घाना की धरती गोल्ड के लिए जानी जाती है, और यहां का ग्रीन गोल्ड है शुगर लोफ़ पाइनएप्पल. जाने इस अनानास में ऐसा क्या खास है? इसे ग्रीन गोल्ड क्यों कहते हैं? इसने अमेरिका समेत पश्चिमी देशों को दीवाना क्यों बना रखा है?

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  • पीएम मोदी ने घाना की संसद में कहा, हमारी दोस्ती Sugar loaf Pineapple से भी मीठी है.
  • यह अनानास एक दुर्लभ और रसीला फल है, जो अपनी खास मिठास के लिए मशहूर है.
  • शुगर लोफ़ अनानास को घाना का 'ग्रीन गोल्ड' भी कहा जाता है, जो दुर्लभ फल है.
  • इस अनानास को प्रकृति का अमृत भी कहा जा सकता है. यह पौष्टिकता का खजाना है.
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नई दिल्ली:

अपनी सबसे लंबी विदेश यात्रा के पहले चरण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी घाना पहुंचे तो अपने अनोखे अंदाज में दोनों देशों की दोस्ती में मिठास घोल दी. पश्चिमी अफ्रीकी देश घाना की संसद को संबोधित करते हुए उन्होंने एक बेहद दुर्लभ फल का जिक्र किया. तालियों की गूंज के बीच पीएम मोदी ने कहा कि हमारी दोस्ती घाना के प्रसिद्ध शुगर लोफ़ अनानास से भी ज्यादा मीठी है... शुगर लोफ़ (Sugar loaf) यानी मिठास का गोला. घाना की धरती गोल्ड के लिए जानी जाती है, और यहां का ग्रीन गोल्ड है शुगर लोफ़ पाइनएप्पल (Sugar loaf Pineapple). आइए बताते हैं कि इस अनानास में ऐसा क्या खास है कि इसने पीएम मोदी तक को अपना दीवाना बना लिया? इसे ग्रीन गोल्ड क्यों कहते हैं? इसने अमेरिका समेत पश्चिमी देशों को अपना दीवाना क्यों बना रखा है?

कुदरत का नायाब नमूना 

शुगर लोफ़ पाइनएप्पल कुदरत का एक नायाब नमूना है. इसे घाना का ग्रीन गोल्ड भी कहा जाता है. यह एक दुर्लभ और रसीला फल है, जो अपनी खास मिठास, दिल की गहराइयों तक पैंठ जाने वाली सुगंध और मुंह में जाते ही घुल जाने वाले मुलायम गूदे के लिए मशहूर है. इसकी पैदावार सिर्फ घाना, बेनिन और टोगो जैसे चुनिंदा इलाकों की ज्वालामुखी वाली मिट्टी में होती है. घाना का वातावरण इस अनानास की पैदावार के लिए मुफीद माना जाता है. 

प्रकृति का अमृत 

शुगर लोफ़ अनानास को प्रकृति का अमृत भी कहा जा सकता है. यह पौष्टिकता का खजाना होता है. इसमें विटामिन सी, मैंगनीज और ब्रोमेलेन भरपूर मात्रा में होते हैं, जो पाचन और दिल के लिए अच्छे माने जाते हैं. इसमें 15 ब्रिक्स तक मिठास होती है. यह फलों की मिठास मापने का एक पैमाना होता है. यह अनानास यूरोप और अमेरिका में प्रीमियम कीमत पर बिकता है. 

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    'ग्रीन गोल्ड' की अनोखी कहानी

     शुगर लोफ़ अनानास की ऐसी ही खूबियों को देखते हुए Elefante Farms नाम की कंपनी ने इसे ग्रीन गोल्ड नाम दिया है. इसकी कहानी भी अनोखी है. कंपनी के संस्थापक किंग्स्ले ऐनसॉन्ग एक बार घाना घूमने आए थे. जब उन्होंने शुगर लोफ़ अनानास चखा तो हैरान रह गए. उन्होंने सोचा कि दुनिया को अब तक इसका स्वाद क्यों नहीं पता. बस उन्होंने ठान लिया कि इसके अनोखे स्वाद को पूरी दुनिया में पहुंचाकर रहेंगे. 

    इसके बाद किंग्स्ले ने जूलियाना के साथ मिलकर साल 2021 में Elefante Farms नाम की कंपनी खोल दी. अब वह इस दुर्लभ अनानास की अनोखी मिठास को दुनिया के कोने-कोने तक पहुंचाने में लगे हैं. उनकी कंपनी शुगर लोफ़ अनानास का उत्पादन करने वाली सबसे प्रमुख कंपनी बन चुकी है. 

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    पश्चिमी देशों को बनाया दीवाना

    पश्चिमी देशों के बाजार में जब इस अनानास का स्वाद पहुंचा तो इसने लोगों को अपना दीवाना बना लिया. कंपनी का दावा है कि महज दो साल के अंदर ही ग्रीन गोल्ड पाइनएप्पल ने लॉस एंजिलिस और टोरंटो के प्रीमियम स्टोर्स में जगह बना ली. कंपनी हर शनिवार को घाना से ये अनानास भेजती है, जो चार दिन में 12 हजार किलोमीटर का सफर तय करके मंगलवार को लॉस एंजिलिस पहुंचते हैं. घाना के 90 फीसदी अनानास अमेरिका-यूरोप को एक्सपोर्ट होते हैं. 

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    पीएम मोदी का अनोखा सत्कार

    पीएम मोदी का घाना दौरा बेहद खास है. पिछले 30 साल में यह पहला मौका है, जब भारत के किसी प्रधानमंत्री ने इस पश्चिमी अफ्रीकी देश में कदम रखे हैं. घाना के राष्ट्रपति जॉन महामा ने भी पीएम मोदी का उसी गर्मजोशी से सत्कार किया. खुद एयरपोर्ट पर उन्हें रिसीव करने पहुंचे. 21 बंदूकों से सलामी दी गई. गार्ड ऑफ ऑनर पेश किया गया. घाना ने पीएम मोदी को अपने सर्वोच्च नागरिक सम्मान ऑफिसर ऑफ द ऑर्डर ऑफ द स्टार ऑफ घाना से नवाजा है. पीएम मोदी को अभी तक 24 देशों से सर्वोच्च सम्मान मिल चुके हैं, जो किसी भी भारतीय नेता के लिए रिकॉर्ड है. 

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    घाना अफ्रीकी यूनियन का अहम सदस्य देश है. पश्चिमी अफ्रीकी देशों के अर्थव्यवस्था में उसका अहम योगदान है. भारत और घाना के राजनयिक संबंधों का इतिहास 1953 से है. साल 1957 में जब घाना को आजादी मिली थी, उसके बाद से भारत के साथ उसके पूर्ण राजनयिक संबंध हैं. 
     

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