क्या है आईएसआईएस जिसका अमेरिका में हुए आतंकी हमलों में आया है नाम, कौन है इसका नेता

नए साल पर अमेरिका में हुई दो आतंकी घटनाओं ने आईएसआईएस का नाम एक बार फिर चर्चा में आ गया है. आइए जानते हैं कि क्या है यह आतंकवादी समूह और क्या है इस संगठन की कार्यशैली.

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नई दिल्ली:

नए साल के पहले दिन ही अमेरिका में दो आतंकी घटनाएं दर्ज की गईं. न्यू ऑरलियंस में एक ट्रक ड्राइवर ने नए साल का जश्न मना रहे लोगों में अपना ट्रक दौड़ा दिया और अपनी गाड़ी के अंदर से गोली भी चलाई.इस हमले में 15 लोगों को की मौत हो गई. ट्रक ड्राइवर का नाम शमसुद्दीन जब्बार बताया गया है.वह अमेरिकी सेना में काम कर चुका है. कहा जा रहा है कि ट्रक को दौड़ाते समय वह आईएसआईएस का झंडा लहरा रहा था.वह पुलिस कार्रवाई में मारा गया.वहीं लास वेगास में गुरुवार सुबह ट्रंप इंटरनेशनल होटल के बाहर खड़ी एक टेस्ला साइबर ट्रक में जोरदार धमाका हुआ. इससे ट्रक में बैठ एक व्यक्ति की मौत हो गई और सात अन्य लोग घायल हो गए. टेस्ला ट्रक बनाने वाली कंपनी के सीईओ एलन मस्क ने इस घटना को आतंकी हमला बताया है. उनका कहना है कि धमाके से टेस्ला साइबर ट्रक का कोई संबंध नहीं है. अमेरिकी जांच एजेंसियां इन दोनों घटनाओं के पीछे आईएसआईएस का हाथ मान रही हैं. इसके साथ ही पिछले कुछ समय से चर्चा से दूर रही आईएसआईएस का नाम एक बार फिर चर्चा में आ गया है.आइए जानते हैं कि आईएसआईएस है क्या. 

कब हुई थी आईएसआईएस की स्थापना

आईएसआईएस का पूरा ना इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सिरिया है. अरबी में इसे दायेश (दौलतुल इस्लामिया फिल इराक शाम) के नाम से भी जाना जाता है. इसकी स्थापना अप्रैल 2013 में की गई थी. शुरू में इसके नेता अबू बकर अल-बगदादी था. पहले यह अलकायदा से जुड़ा हुआ था. लेकिन मतभेद होने के बाद आईएसआईएस अलकायदा से अलग हो गया. 

इराक मोसुल की बड़ी अल नूरी मस्जिद से खिलाफत की घोषणा करता अबू बकर अल-बगदादी

आईएसआईएस ने जून 2014 में अपनी 'खिलाफत' की घोषणा कर दी थी.इसने अपने नेताओं को 'खलीफा' कहना शुरू कर दिया था. अल बगदादी ने खुद को पहला खलीफा घोषित किया था.उसने यह घोषणा इराक मोसुल की बड़ी अल नूरी मस्जिद से की थी.आईएसआईएस की क्रूरता सबसे अधिक 2014 और 2015 में देखी गई. इसी दौरान उसने इराक और सीरिया के कई शहरों पर कब्जा कर लिया.

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आईएसआईएस नेता अबू बकर अल-बगदादी की मौत

आईएसआईएस का नेता अबू बकर अल-बगदादी अमेरिकी सुरक्षा बलों की ओर से उत्तर-पश्चिम सीरिया में की गई एक कार्रवाई में 27 अक्तूबर 2019 को मारा गया था. अमेरिका के नेतृत्व वाले सुरक्षा बलों की कार्रवाई में आईएसआईएस की खिलाफत ढह गई थी. माना जाता है कि बगदादी के मारे जाने के बाद इस आतंकी संगठन की कमान अबू अल-हुसैन अल-क़ुरैशी के पास है. लेकिन वो सार्वजनिक नहीं होता है.

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आईएसआईएस ने अभी बुधवार को सोमालिया के सैन्य अड्डे पर एक दिन पहले हुए हमले की जिम्मेदारी ली थी. इस ग्रुप ने अपने टेलीग्राम चैनल पर हमले की जिम्मेदारी लेते हुए लिखा था कि हमले को 12 हमलावरों ने अंजाम दिया. इस हमले में सोमाली सेना के 22 जवान मारे गए थे और दर्जनों घायल हो गए थे.

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अमेरिका ने तोड़ी आईएसआईएस की कमर

अमेरिका के नेतृत्व वाले सुरक्षा बलों ने इस संगठन को काफी नुकसान पहुंचाया था. इसके बाद भी यह संगठन पश्चिम एशिया, अफ्रीका के साथ-साथ पश्चिम के देशों में भी हमलों को अंजाम दिया है. लेकिन हाल के सालों में इसके हमलों में काफी कमी आई है. पिछले साल इसने ईरान में हुए दो हमलों की जिम्मेदारी ली थी.इसमें करीब 100 लोग मारे गए थे. इसने मार्च 2024 में रूस में एक कंसर्ट में हुए हमले की भी जिम्मेदारी ली थी.इसमें 143 लोगों की मौत हो गई थी. इसने ओमान की एक मस्जिद में हुए आत्मघाती हमले को भी जिम्मेदारी ली, जिसमें नौ लोग मारे गए थे. आईएसआईएस ने 2023 में दुनिया भर में करीब 838 हमलों की जिम्मेदारी ली थी. इससे पहले उसने 2022 में एक हजार 811 हमलों की जिम्मेदारी ली थी. 

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अपनी स्थापना के बाद से आईएसआईएस ने सीरियाई शहर रक्का और ईराक के मोसुल में कब्जा जमाया. इसने वही से अपना साम्राज्य चलाया.इसके लड़ाके स्वायत्त होते हैं. इसका नेतृत्व गुप्त तरीके से काम करता है.इसलिए इसके आकार का अनुमान लगाना कठिन काम है.संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि इसके गढ़ में करीब 10 हजार लड़ाके हैं. लेकिन रक्का और मोसुल में मिली पराजय के बाद इसके लड़ाकों ने अपनी रणनीति बदल ली है. अब वो छिपकर काम करते हैं. 

आईएसआईएस खुरासान क्या है

अमेरिका की इराक में की गई कार्रवाई के बाद इसके अधिकांश लड़ाके अफगानिस्तान, सीरिया और पाकिस्तान भाग गए. उनमें से अधिकांश आईएसआईएस खुरासान में शामिल हो गए.आईएसआईएस खुरासान उत्तरी अफगानिस्तान में अस्तित्व में आया था. खुरासान एक प्राचीन खलीफा को संदर्भित करता है. इसमें आज के अफगानिस्तान, ईरान, पाकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान के कुछ हिस्सों में शामिल था.खुरासान को फारसी भाषा में खुरासान-ए-कहन भी कहा जाता है.मध्‍य एशिया के प्राचीन खुरासान में आज का अफगानिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, उज्बेकिस्तान, ताजिकिस्तान और पूर्वी ईरान का बड़ा हिस्‍सा शामिल था.ईरान का मौजूदा खुरासान प्रांत ऐतिहासिक खुरासान का छोटा-सा हिस्‍सा है.

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