Explainer: क्या है साइफर मामला और कैसे फंस गए इमरान खान? राजनीतिक करियर पर भी लग गया ग्रहण!

इमरान खान अपनी जनसभाओं में एक पर्ची दिखा कर बताते रहे है ये अमेरिका में पाकिस्तान के तत्कालीन राजदूत असद की तरफ़ से भेजी गई सूचना है. ऐसी सूचना गोपनीय होती है. लेकिन वे केबल की तारीख़ और नंबर भी बताते रहे. इसके आधार पर वे आरोप लगाते रहे कि उनकी सरकार को गिराने की साज़िश रची गई.

विज्ञापन
Read Time: 25 mins
तोशाखाना भ्रष्टाचार के मामले में उनको पहले ही 3 साल की सज़ा सुनाई जा चुकी है

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को 10 साल कैद की सजा सुनाई गई है. इमरान खान की सरकार में विदेश मंत्री रहे शाह महमूद कुरैशी को भी 10 साल की सज़ा सुनाई गई है. ये सज़ा डिप्लोमैटिक केबल मामले में सुनाई गई है जिसे साइफ़र केस के नाम से जाना जाता है. इस मामले में उन पर देश की गोपनीयता भंग करने का दोषी माना गया है और 10 साल की सज़ा सुनाई गई है. इमरान खान 2018 में प्रधानमंत्री बने लेकिन अप्रैल 2022 में अविश्वास प्रस्ताव के ज़रिए उनको सत्ता से हटा दिया गया.

इमरान खान अपनी जनसभाओं में एक पर्ची दिखा कर बताते रहे है ये अमेरिका में पाकिस्तान के तत्कालीन राजदूत असद की तरफ़ से भेजी गई सूचना है. ऐसी सूचना गोपनीय होती है. लेकिन वे केबल की तारीख़ और नंबर भी बताते रहे. इसके आधार पर वे आरोप लगाते रहे कि उनकी सरकार को गिराने की साज़िश रची गई और ये साज़िश उनके राजनीतिक विरोधियों और पाकिस्तान की सेना ने अमेरिका से साथ मिल कर रची है. इस साज़िश में उन्होंने तत्कालीन सेना प्रमुख कमर बाजवा को भी शामिल होने का आरोप लगाया. अब इस मामले में सज़ा मिलने के बाद इमरान खान की कानूनी और राजनीतिक दोनों चुनौती काफ़ी बढ़ गई है.

5 साल तक चुनाव लड़ने पर पहले से ही पाबंदी
तोशाखाना भ्रष्टाचार के मामले में उनको पहले ही 3 साल की सज़ा सुनाई जा चुकी है और 5 साल तक उनके चुनाव लड़ने पर पाबंदी लगायी जा चुकी है. उन्होंने आगामी चुनाव के लिए जितने भी नामांकन किए उसे अयोग्यता के आधार पर ही निरस्त कर दिया गया.  हालांकि, तोशाखाना मामले में सज़ा निलंबित है और उनको ज़मानत भी मिल गई. लेकिन वे जेल से बाहर आते उससे पहले ही उनको इसी साइफ़र केस में गिरफ़्तार कर लिया गया.

Advertisement

इमरान खान का एक ऑडियो भी वायरल
पाकिस्तान की फेडरल इंवेस्टीगेशन एजेंसी FIA  के चार्ज के मुताबिक़ इमरान खान ने वो केबल कभी नहीं लौटाया और वो पीएमओ से ग़ायब है. ये कहां है इस बारे में इमरान खान से पूछताछ हुई. उन्होंने दलील दी कि वे उसे पीएमओ में भी छोड़ आए थे. इमरान खान का एक ऑडियो भी वायरल हुआ था, जिसमें वे अपने सेक्रेटरी और कैबिनेट मंत्रियों के साथ ये चर्चा कर रहे थे कि साइफ़र मामले को कैसे राजनीतिक तौर पर भुनाया जाए. ये भी उनके ख़िलाफ़ गया. इस मामले में 10 साल की सज़ा मिलने के बाद इमरान खान इमरान खान के पास अपील का मौक़ा है. लेकिन उसके लिए फ़ैसले की कॉपी चाहिए.

Advertisement

जानकार बताते हैं कि ये कॉपी मिलने में ही 8 फरवरी से अधिक का समय लग सकता है. ऐसे में वो उनके जम़ानत पर बाहर आने की कोई संभावना नहीं है. जाहिर है बाहर निकल कर वे चुनाव प्रचार नहीं कर पाएंगे और इसका राजनीतिक नुक्सान पीटीआई को होगा. जिसका चुनाव चिन्ह बैट को पाकिस्तान चुनाव आयोग पहले ही छीन चुका है. ये इस आधार पर छीना गया कि पीटीआई ने अपने आंतरिक चुनाव समय पर और सही ढंग से नहीं कराए. इमरान खान और उनकी पार्टी ये आरोप लगाती रही है कि ये सारे मामले उनको चुनाव से दूर रखने की साज़िश है.

Advertisement

 ये भी पढे़ं:- 
पाकिस्तान के पूर्व PM इमरान खान और पूर्व विदेश मंत्री को स्टेट सीक्रेट लीक मामले में 10 साल की सजा

Advertisement

Featured Video Of The Day
Delhi Assembly Elections: 'BJP किसी को भी Ticket दे, Okhla में खिलेगा 'कमल'- Dheer Singh Bidhuri