"हम कोई सिफ़ारिश नहीं करेंगे...", रूस-यूक्रेन युद्ध पर भारत के रुख पर बोले पोलैंड के राजदूत

बुराकोवस्की ने कहा, " ये युद्ध खाद्य सुरक्षा के ख़िलाफ़ है. व्यापारिक सुरक्षा के ख़िलाफ़ है. यूक्रेन में अपने कब्ज़े वाले इलाक़े से रूसी सेना फसलें चुरा रही है."

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पोलैंड पहले दिन से यूक्रेन की मदद के लिए खड़ा है.

नई दिल्ली:

रूस और युक्रेन के बीच महिनों से जारी युद्ध के बीच पोलैंड के राजदूत एडम बुराकोवस्की ने पूरे मुद्दे पर एनडीटीवी से खास बातचीत की. इस दौरान उन्होंने कहा, " 6 महीने हो गए रूस के हमले के और ये कब ख़त्म होगा पता नहीं. युद्ध के कारण न सिर्फ़ यूक्रेन का बल्कि पूरी दुनिया का भारी नुक्सान हुआ है. हालांकि, रूस के ख़िलाफ़ यूक्रेन की सेना मज़बूती से लड़ रही है."

उन्होंने बताया कि पोलैंड यूक्रेन की सहायता के लिए सदैव तत्पर है. युद्ध के शुरू होने के बाद से यूक्रेन से 6 मिलियन शरणार्थी पोलैंड आए. अभी 2 से 3 बिलियन शरणार्थी पोलैंड में ही हैं. इन लोगों में अधिकतर महिलाएं और बच्चे हैं. पोलैंड के अलावा दुनिया के और भी देश यूक्रेन की मदद कर रहे हैं. सैन्य हथियार और बाक़ी चीजें दी जा रही हैं.  

बुराकोवस्की ने कहा, " ये युद्ध खाद्य सुरक्षा के ख़िलाफ़ है. व्यापारिक सुरक्षा के ख़िलाफ़ है. यूक्रेन में अपने कब्ज़े वाले इलाक़े से रूसी सेना फसलें चुरा रही है. भारत का ऑपरेशन गंगा बहुत बड़ा ऑपरेशन था, जिसमें क़रीब 6 हज़ार भारतीय छात्र पोलैंड के रास्ते निकाले गए. हम भारतीय छात्रों के एक हिस्से को पोलैंड की यूनिवर्सिटी में जगह देने की कोशिश कर रहे हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि यूक्रेन में युद्ध चल रहा है, वहां जाना अभी सही नहीं है." 

उन्होंने कहा कि यूक्रेन की सेना मज़बूत है. पश्चिम से जो मदद मिल रही है, उससे वे अपनी लड़ाई और असरदार ढंग से लड़ रही है. भारत एक संप्रभु देश है. पूरे मामले में भारत जो भी रुख़ ले, ये उसका अपना निर्णय है. हम कोई सिफ़ारिश नहीं करेंगे. पोलैंड पहले दिन से यूक्रेन की मदद के लिए खड़ा है.

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