US Attacks Iran: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और ईरान के सुप्रीम लीडर अली खामेनेई
- डोनाल्ड ट्रंप के जंग में कूदने के फैसले से एक बार फिर अमेरिका में राष्ट्रपति की युद्ध शक्तियों पर बहस छिड़ी.
- ट्रंप ने युद्ध में शामिल होने के संकेत दिए, लेकिन स्पष्ट नहीं थे.
- 1973 में अमेरिका में कानून पास हुआ था जिसे वॉर पावर्स रिजोल्यूशन, या वॉर पावर्स एक्ट के रूप में जाना जाता है.
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जब तक पुष्टि नहीं की थी कि अमेरिका ने ईरान के 3 परमाणु ठिकानों पर "बहुत सफल" हमले किए हैं, तब तक वह इस बात पर स्पष्ट नहीं थे कि अमेरिका जंग (Iran Israel War) में कूदेगा या नहीं. जब ट्रंप से बुधवार को पूछा गया था कि क्या उन्होंने जंग में शामिल होने की योजना बनाई है, तो उन्होंने कहा, "मैं यह कर सकता हूं. शायद मैं नहीं कर सकता." यानी उनकी बातें गोल-मोल ही थीं. लेकिन रविवार को वह अनिश्चितता दूर हो गई जब अमेरिका के फाइटर जेट्स ने ईरान के तीन परमाणु ठिकानों पर सटीक हमले किए. ऑपरेशन के तुरंत बाद, ट्रंप ने घोषणा की, "अब शांति का समय है."
ट्रंप के जंग में कूदने के इस फैसले से एक बार फिर अमेरिका में राष्ट्रपति की युद्ध शक्तियों पर बहस छिड़ गई है. आलोचकों का तर्क है कि ट्रंप ने अमेरिका के कांग्रेस को नजरअंदाज कर दिया, जो अमेरिकी संविधान के तहत युद्ध की घोषणा करने का एकमात्र अधिकार रखती है.
वॉर पावर्स एक्ट क्या है?
1973 में अमेरिका में एक कानून पास हुआ था जिसे वॉर पावर्स रिजोल्यूशन, या आमतौर पर वॉर पावर्स एक्ट के रूप में जाना जाता है. यह एक संघीय कानून है जिसका उद्देश्य कांग्रेस की मंजूरी के बिना अमेरिकी सैन्य बलों को सशस्त्र संघर्ष में शामिल करने के राष्ट्रपति के अधिकार की जांच करना है. इसे कांग्रेस द्वारा वियतनाम युद्ध (1955-75) और विशेष रूप से, राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन द्वारा कंबोडिया पर गुप्त बमबारी की सीधी प्रतिक्रिया के रूप में पास किया गया था, जिसमें हजारों लोग मारे गए थे और पूरे अमेरिका में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए थे.
अमेरिका में युद्ध की घोषणा कौन कर सकता है?
अमेरिकी संविधान युद्ध शक्तियों को विधायी और कार्यकारी शाखाओं के बीच बांटता है. यानी कानून बनाने वालों (कांग्रेस) और कानून लागू करने वालों (राष्ट्रपति प्रशासन) के बीच. अनुच्छेद I, धारा 8 के तहत, कांग्रेस के पास युद्ध की घोषणा करने, सेनाओं को खड़ा करने और वित्त पोषित करने और सशस्त्र बलों को विनियमित (रेगुलेट) करने की शक्ति है. अनुच्छेद II राष्ट्रपति को कमांडर-इन-चीफ के रूप में नामित करता है, जो सेना का नेतृत्व करने और आपात स्थिति का जवाब देने के लिए कार्यकारी अधिकार प्रदान करता है. इस बंटवारे का उद्देश्य सरकार की किसी एक हिस्से द्वारा युद्ध के बारे में एकतरफा निर्णयों को रोकना था.
क्या कोई राष्ट्रपति कांग्रेस की मंजूरी के बिना अटैक कर सकता है?
वॉर पावर्स एक्ट के तहत, यदि राष्ट्रपति अमेरिकी सैनिकों को युद्ध में या संघर्ष के निकट भेजता है, तो उन्हें 48 घंटों के भीतर कांग्रेस को बताना होगा. इसके बाद राष्ट्रपति बिना कांग्रेस की मंजूरी के 60 दिनों तक सेना को वहां रख सकते हैं. लेकिन यदि कांग्रेस हरी झंडी नहीं देती है, तो राष्ट्रपति के पास सैनिकों को बाहर निकालने के लिए 30 दिन और हैं, यानी आधिकारिक अनुमति के बिना अधिकतम 90 दिन हैं.
अमेरिका ने आखिरी बार युद्ध की घोषणा कब की थी?
आखिरी बार अमेरिका ने औपचारिक रूप से युद्ध की घोषणा 1942 में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान बुल्गारिया, हंगरी और रोमानिया के खिलाफ की थी. तब से, अमेरिका औपचारिक घोषणाओं के बिना, कोरिया, वियतनाम, खाड़ी युद्ध, अफगानिस्तान और इराक सहित कुछ घातक युद्धों में शामिल हो गया है. इसने कांग्रेस की मंजूरी के बिना राष्ट्रपति शक्तियों पर भरोसा करते हुए लीबिया, सर्बिया, सोमालिया और यमन जैसे देशों में सैन्य हस्तक्षेप और हवाई हमले भी किए हैं.
बिना घोषणा किए अमेरिका युद्ध में कैसे उतर जाता है?
बिना कांग्रेस की अनुमति के अमेरिका सैन्य बल के उपयोग के लिए प्राधिकरण (Authorisations for Use of Military Force/ AUMFs) का उपयोग करता है. यह खास सैन्य कार्रवाइयों की अनुमति देने के लिए कांग्रेस द्वारा पारित कानून है और इसकी मदद से अमेरिका अक्सर युद्ध की औपचारिक घोषणाओं को नजरअंदाज करके युद्ध में शामिल हुआ है. 9/11 के हमले के बाद, 2001 में आए AUMFs ने राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश को अल-कायदा और उसके सहयोगियों को निशाना बनाने के लिए व्यापक अधिकार दिए.
2002 में, इराक के खिलाफ AUMFs द्वारा अधिकृत दूसरी कार्रवाई के कारण 2003 में अमेरिका का आक्रमण हुआ. दोनों कानून प्रभावी हैं और बाद के राष्ट्रपतियों द्वारा उनके मूल दायरे से कहीं अधिक सैन्य अभियानों को उचित ठहराने के लिए उपयोग किया गया है. उदाहरण के लिए, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरानी जनरल कासिम सुलेमानी पर 2020 के ड्रोन हमले को सही ठहराने के लिए 2002 AUMFs का हवाला दिया था.