ट्रंप के टैरिफ का D-Day: भारत को बड़ा झटका लगेगा या फिर बनेगा आपदा में अवसर?

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप 2 अप्रैल को सभी देशों पर जवाबी टैरिफ लागू करने जा रहे हैं. ट्रंप के इस कदम से आशंकित ग्लोबर शेयर मार्केट संभल कर कदम रख रहा है.

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अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप 2 अप्रैल को सभी देशों पर जवाबी टैरिफ लागू करने जा रहे हैं. ट्रंप के इस कदम से आशंकित ग्लोबर शेयर मार्केट संभल कर कदम रख रहा है. आशंका इस बात की भी है कि शेयर मार्केट कहीं ऐसी करवट न मारे कि कई देश आपातकालीन कदम उठाने के लिए मजबूर हो जाएं. संभवतः ट्रंप के इस फैसले का परिणाम चौतरफा व्यापार युद्ध (ट्रेड वॉर) होगा, आर्थिक मंदी का डर है. ट्रंप ने 2 अप्रैल को ‘लिबरेशन डे' यानी मुक्ति दिवस ​​​​के रूप में पेश किया है. कहा है कि उनका यह फैसला अमेरिकी उद्योगों को दूसरे देशों द्वारा बर्बाद होने से रोकेगा. उन्होंने कहा है कि वह अपना जवाबी टैरिफ सभी देशों पर लगाएंगे लेकिन यह किसपर कितना होगा, कैसे होगा, किसी को छूट मिलेगी या नहीं.. कई ऐसे सवाल है जिसपर कोई स्पष्ट जवाब न होने की वजह से सभी देश बस अनुमान लगाने को मजबूर हैं.

अमेरिकी समयानुसार शाम के 4:00 बजे (भारत में गुरुवार की देर रात 1.30 बजे) व्हाइट हाउस के रोज गार्डन में कैबिनेट मेंबर्स के साथ ट्रंप टैरिफ उपायों को लागू करेंगे. भारत को निशाने पर लेते हुए ट्रंप ने कई बार कहा है कि वह "सबसे अधिक टैरिफ लगाने वाले देशों" में से एक है. क्या ऐसे में ट्रंप के टैरिफ प्लान की घोषणा से पहले नई दिल्ली को भारी टैरिफ बोझ के लिए तैयार रहना चाहिए?

भारत कैसे प्रभावित हो सकता है?

थिंक टैंक ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) ने चेतावनी दी है कि नए टैरिफ भारतीय निर्यात पर काफी असर डाल सकते हैं. GTRI की "रेसिप्रोकल टैरिफ और भारत" नाम की रिपोर्ट के अनुसार, अभी भारत के निर्यात पर अमेरिका 2.8% टैरिफ लगाता है लेकिन अगर बराबर का टैरिफ लगाने की नीति को ट्रंप फॉलो करते हैं तो भारत को 4.9% अतिरिक्त टैरिफ का सामना करना पड़ सकता है, जिससे कृषि, इलेक्ट्रॉनिक्स और फार्मास्यूटिकल्स जैसे क्षेत्र प्रभावित होंगे.

"अगर अमेरिका भारत के सभी उत्पादों पर एक ही टैरिफ लगाता है, तो भारत को अतिरिक्त 4.9% टैरिफ का बोझ उठाना होगा. वर्तमान में, अमेरिकी वस्तुओं को भारत में 7.7% के औसत टैरिफ का सामना करना पड़ता है, जबकि अमेरिका में भारतीय निर्यात पर केवल 2.8% का टैरिफ लगता है. यानी दोंनो देशों के बीच टैरिफ में 4.9% का अंतर होता है." रिपोर्ट में बताया गया है.

हालांकि, यदि अमेरिका अलग-अलग सेक्टर पर अलग-अलग टैरिफ लागू करता है, तो जो प्रभाव देखने को मिलेगा वो सेक्टर-वाइज होगा. यानी हर सेक्टर पर अलग.

ट्रंप के लगाए टैरिफ से भारत के कृषि क्षेत्र को सबसे बड़ा जोखिम हो सकता है. झींगा, डेयरी और प्रोसेस्ड फूड पर टैरिफ 28.2% तक बढ़ सकता है. फार्मा और आभूषण उद्योगों पर टैरिफ 10% से अधिक हो सकता है. रिपोर्ट में कहा गया है कि इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग को 7.2% तक टैरिफ का सामना करना पड़ सकता है.

वहीं पेट्रोलियम, खनिज और वस्त्र जैसे क्षेत्र सबसे कम प्रभावित हो सकते हैं.

रिपोर्ट में इस बात पर भी प्रकाश डाला गया है कि भारत के टैरिफ वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गनाइजेशन के अनुरूप बने हुए हैं. उसने विकासशील देशों को धनी देशों के पक्ष में उच्च टैरिफ बनाए रखने की अनुमति दी है, बदले में उन्हें व्यापार नियमों को मानना होता है.

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हालांकि भारत अगला कदम क्या उठाएगा, इसको लेकर अभी कोई स्पष्टता नहीं है. डोनाल्ड ट्रंप और प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की दोस्ती अच्छी है. दोनों अक्सर एक-दूसरे के बारे में जब बोलते हैं तो यह झलकता है. और इस दोस्ती के ही किसी भी भारी क्षति को रोकने में एक बड़ी भूमिका निभाने की उम्मीद है. यह चीन के विपरीत है जहां अमेरिका के साथ उसकी आपसी दुश्मनी ने समाधान की किसी भी संभावना को खराब कर दिया है.

आपदा में अवसर?

ट्रंप की टैरिफ नीति में भारत आपदा में अवसर भी खोज सकता है. एक्सपर्ट आशावादी बने हुए हैं कि कनाडा जैसे देशों से आने वाले सामान पर जब अमेरिका अतिरिक्त टैरिफ लगाएगा तो वो वहां के मार्केट में कम प्रतिस्पर्धी बन जाएंगे, जिससे भारतीय निर्यात के लिए अवसर पैदा होंगे.

GTRI के संस्थापक अजय फाउंडर के अनुसार, अमेरिका की टैरिफ से कनाडा में बनने वाले उत्पाद ज्यादा प्रतिस्पर्धी होंगे, जिससे भारतीय कंपनियों को कम लागत पर कनाडा से ऐसे उत्पाद प्राप्त करने की अनुमति मिल जाएगी. इससे दो लाभ हो सकते हैं: व्यापार संबंध मजबूत होंगे और अन्य आपूर्तिकर्ताओं पर भारत की निर्भरता में कमी आएगी.

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जब ट्रम्प ने अपने कुर्सी संभालने के बाद कनाडा, चीन और मैक्सिको पर अतिरिक्त टैरिफ लगाया, तो निर्यातकों ने भारतीय विक्रेताओं के लिए ऐसे ही अवसरों की बात की थी. फेडरल ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन के डायरेक्टर जनरल अजय सहाय ने इलेक्ट्रिकल मशीनरी, ऑटो कंपोनेंट, फार्मा और केमिकल जैसे क्षेत्रों की बात की थी, जिन्हें इस तरह के टैरिफ से लाभ होने की संभावना थी. लेकिन उन्होंने कहा कि लाभ की सीमा भारत की उत्पादन क्षमता पर निर्भर करेगी.

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