Donald Trump Tariffs: टैरिफ पर सबको 90 दिन के लिए बख्शा पर चीन को 125% का दंड, ट्रंप का माइंडगेम क्या है?

Trump Tariff on China: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत सहित 75 देशों पर लगाए अपने अतिरिक्त टैरिफ को 90 दिन के लिए रोक दिया है. वहीं दूसरी तरफ टैरिफ का जवाब टैरिफ से देने वाले चीन पर पलटवार करते हुए 125 प्रतिशत का भारी टैरिफ लगा दिया.

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Donald Trump Tariffs: टैरिफ पर सबको 90 दिन के लिए बख्शा पर चीन को 125% का दंड, ट्रंप का माइंडगेम क्या है?
Trump's 90-day Tariff Pause: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप

शांत दिमाग से काम करो और खुश रहो. लगता है भारत के लिए बड़े-बुजुर्गों की कही यह बात काम आ गई है. अमेरिका के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौते के लिए बातचीत शुरू करने की रणनीति और साथ ही अमेरिकी टैरिफ (Trump Tariffs) के खिलाफ जवाबी कार्रवाई न करने के अपने संयम, दोनों का फायदा भारत मिलता दिख रहा है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार, 9 अप्रैल को भारत सहित 75 देशों पर लगाए अपने अतिरिक्त टैरिफ को 90 दिन के लिए रोक दिया. उन्हें जुलाई तक केवल 10 प्रतिशत का बेसिक टैरिफ देना होगा. वहीं दूसरी तरफ अमेरिका के टैरिफ का जवाब टैरिफ से देने वाले चीन पर पलटवार करते हुए उसपर 125 प्रतिशत का भारी टैरिफ लगा दिया. सवाल है कि डोनाल्ड ट्रंप ने भारत समेत 75 देशों पर यूटर्न क्यों लिया? ट्रंप का माइंडगेम क्या है?

ट्रंप के दिमाग में चल क्या रहा है?

कई दिनों तक इस बात पर जोर देने के बाद कि वह अपनी आक्रामक टैरिफ रणनीति पर कायम रहेंगे, ट्रंप ने कहा है कि जिन देशों ने अमेरिकी टैरिफ के खिलाफ जवाबी कार्रवाई नहीं की है, उन्हें जुलाई तक राहत मिलेगी. अगले 90 दिन उन्हें केवल 10% के ब्लैंकेट अमेरिकी टैरिफ का सामना करना पड़ेगा. यह पूछे जाने पर कि उन्होंने 75 देशों को टैरिफ से राहत देने का आदेश क्यों दिया है, अमेरिकी राष्ट्रपति ने रिपोर्टरों से कहा: "लोग लाइन से थोड़ा बाहर जा रहे थे. वे चिड़चिड़े हो रहे थे."

दरअसल टैरिफ पर यह रोक सिर्फ दूसरे देशों की जरूरत नहीं थी बल्कि खुद अमेरिका इसके प्रेशर में दबा जा रहा है. जिस तरह से अमेरिका का स्टॉक मार्केट 90 दिन की रोक की घोषणा के बाद 10 प्रतिशत तक उछला है, यह बता रहा कि अमेरिका का मार्केट ट्रंप के टैरिफ नीति का दवाब साफ महसूस कर रहा है.

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अमेरिकी शेयर मार्केट ने तेजी से सुधार से कई अशांत व्यापार के दिनों को देखा है. अमेरिकी सरकार के बांड को पारंपरिक रूप से दुनिया की सबसे सुरक्षित वित्तीय संपत्तियों में से एक के रूप में देखा जाता है. लेकिन टैरिफ पर ट्रंप के रोक लगाने से पहले उसे भी नाटकीय रूप से बिकवाली का सामना करना पड़ा था.

यहां यह भी बात गौर करने वाली है कि ट्रंप ने इन 75 देशों पर अपने टैरिफ को खत्म नहीं किया है बल्कि उसपर केवल रोक लगाई है. यानी उनके पास अगले 90 दिन का वक्त है कि वह इन 75 देशों के साथ कैसे व्यापार करना है, उसपर कोई डील कर सकें. ट्रंप ने ओवल ऑफिस में मीडिया को बताया कि वो "पिछले कुछ दिनों से" इस कदम पर विचार कर रहे थे. "हम उन देशों को चोट नहीं पहुंचाना चाहते जिन्हें चोट पहुंचाने की जरूरत नहीं है. और वे सभी बातचीत करना चाहते हैं."

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टैरिफ पर पीछे हटने के एक दिन पहले ही नेशनल रिपब्लिकन कांग्रेसनल कमेटी में बोलते हुए ट्रंप ने हर सीमा लांघ दी थी. उन्होंने टैरिफ प्रभावित देशों का मजाक उड़ाते हुए कहा कि वे देश उनके साथ बातचीत करने की कोशिश करते समय कुछ भी करने को तैयार हैं. यहां तक कहा कि देश हमें कॉल रहे हैं, मेरी A** चूम रहे हैं. यह दुनिया के सबसे शक्तिशाली माने जाने वाले देश के राष्ट्रपति की भाषा थी. लेकिन अब वहीं एक दिन बाद बैकफुट पर नजर आ रहे हैं.

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अब चीन और यूरोपीय यूनियन की ओर से ट्रंप के टैरिफ का टैरिफ से जवाब देने की रणनीति काम करती दिख रही है. यूरोपीय यूनियन ने जवाबी कदमों के पहले दौर में कई अमेरिकी आयातों पर 25% टैरिफ की घोषणा की. 27 देशों वाले इस ब्लॉक ने €21bn (£18bn) अमेरिकी सामानों पर रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने पर सहमति व्यक्त की है. हंगरी को छोड़कर सभी सदस्य देशों ने जवाब देने के लिए मतदान किया. 

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हालांकि ट्रंप ने अपने निशाने पर केवल चीन को लिया है जो यूरोपीय यूनियन से दो कदम आगे जाकर टैरिफ का जवाब टैरिफ से दे रहा है. चीन ने अमेरिकी निर्यात पर टैरिफ को 34 % से बढ़ाकर 84 % कर दिया और उसके बाद अमेरिकी राष्ट्रपति ने चीन पर लगने वाले टैरिफ को 104 % से बढ़ाकर 125 % कर दिया. चीन पर ये टैरिफ प्रभावी होने से कुछ घंटे पहले, वहां के वाणिज्य मंत्री ने कहा है कि अमेरिका द्वारा 'रेसिप्रोकल टैरिफ' "सभी देशों के वैध हितों का गंभीर उल्लंघन" है. “मैं इस बात पर जोर देना चाहता हूं कि व्यापार युद्ध में कोई विजेता नहीं होता है और चीन व्यापार युद्ध नहीं चाहता है. लेकिन चीनी सरकार किसी भी तरह से चुप नहीं बैठेगी जब उसके लोगों के वैध अधिकारों और हितों को चोट पहुंचाई जाएगी और उन्हें वंचित किया जाएगा.”

ट्रंप और चीन दोनों अब ऐसे चिकन गेम में उलझ गए हैं कि दोनों ही पीछे नहीं हटना चाहते. यह दोनों में से जो पहले पीछे हटेगा, वह हारा हुआ दिखेगा, हारा हुआ माना जाएगा. चीन के पक्ष में सबसे बड़ा फैक्टर यह है कि चीन अमेरिका पर जितना निर्भर है, उससे कहीं अधिक अमेरिका चीनी आयात पर निर्भर है.

द गार्डियन की रिपोर्ट के अनुसार पूर्वानुमान लगाने वाली फर्म एनोडो इकोनॉमिक्स की फाउंडर और चीफ इकनॉमिस्ट डायना चॉयलेवा ने कहा है कि चीनी राष्ट्रपति शी के लिए, ट्रंप की लेटेस्ट धमकी पर राजनीतिक रूप से केवल एक ही से जवाब हो सकता है: लाओ हम तैयार हैं. उनके लिए पीछे हटने की कोई भी संभावना राजनीतिक रूप से अस्थिर होगी.”

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