ईरान से तेल व्यापार पर और सख्त हुए ट्रंप, भारत की 2 कंपनियों और दो कारोबारियों पर लगा दिए प्रतिबंध

अमेरिका का आरोप है कि दोनों भारतीय कंपनियों ने ऐसे नेटवर्क में भाग लिया जिसने अमेरिकी प्रतिबंधों का उल्लंघन करके ईरान को पेट्रोलियम उत्पादों को इधर से उधर करने में मदद की.

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  • अमेरिका ने ईरान के अवैध पेट्रोलियम व्यापार के आरोप में भारत की दो कंपनियों और दो कारोबारियों पर प्रतिबंध लगाया
  • अमेरिकी विदेश विभाग ने भारत, पनामा और सेशेल्स समेत 17 संस्थाओं और व्यक्तियों को ईरानी तेल के लिए टारगेट किया
  • भारत स्थित कंपनी आरएन शिप मैनेजमेंट और TR6 Petro India LLP पर अमेरिकी प्रतिबंध उल्लंघन का आरोप लगाया गया है
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अमेरिका ने ईरान के साथ अवैध पेट्रोलियम व्यापार का आरोप लगाकर भारत स्थित दो कंपनियों और दो कारोबारियों पर प्रतिबंध लगा दिए हैं. अमेरिका ने ऐसे कथित अवैध व्यापार के खिलाफ अपनी इस कार्रवाई को शिपिंग और वित्तीय नेटवर्क को बाधित करने का व्यापक प्रयास बताया है. अमेरिका के विदेश विभाग ने गुरुवार, 20 नवंबर को भारत, पनामा और सेशेल्स सहित कई देशों में 17 संस्थाओं, व्यक्तियों और जहाजों को प्रतिंबध के लिए डेजिग्नेट (नामित) किया. इनके बारे में अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि वे ईरानी तेल और पेट्रोलियम उत्पादों की बिक्री और शिपमेंट की सुविधा देते हैं. 

इसके बाद अमेरिका के ट्रेजरी विभाग (वित्त मंत्रालय) ने अलग से 41 अतिरिक्त संस्थाओं, व्यक्तियों, जहाजों और विमानों को नामित किया है जिनके बारे में उसका दावा है कि वे ईरान के पेट्रोलियम और पेट्रोकेमिकल निर्यात से जुड़े हैं.

भारत की दो कंपनियों और दो कारोबारियों पर प्रतिबंध 

अमेरिका ने भारतीय नागरिक जैर हुसैन और जुल्फिकार हुसैन के साथ-साथ उनकी भारत स्थित कंपनी आरएन शिप मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड (आरएन शिप मैनेजमेंट) को प्रतिबंधितक किया है. अमेरिका का आरोप है कि इस कंपनी ने 2025 की शुरुआत से ही ईरानी तेल भेजने के लिए उपयोग किए जाने वाले कई जहाजों के ऑपरेटर के रूप में काम किया.

वहीं भारत स्थित पेट्रोलियम उत्पाद का व्यापार करने वाली कंपनी TR6 Petro India LLP (TR6 Petro) पर भी बैन लगाया गया है. अमेरिकी सरकार के अनुसार, TR6 Petro ने अक्टूबर 2024 और जून 2025 के बीच कई सप्लायर्स से 8 मिलियन डॉलर से अधिक मूल्य के ईरानी मूल के बिटुमेन का आयात किया. अमेरिका का आरोप है कि कंपनी ने ऐसे नेटवर्क में भाग लिया जिसने अमेरिकी प्रतिबंधों का उल्लंघन करके ईरान को पेट्रोलियम उत्पादों को इधर से उधर करने में मदद की.

अमेरिकी अधिकारियों का तर्क है कि ये नेटवर्क राजस्व (पैसा) उत्पन्न करते हैं जिसका उपयोग ईरान की सरकार अपने समर्थन वाले समूहों को फंडिंग करने और हथियारों की खरीद के लिए करती है. हालांकि इन दावों को ईरान ने लगातार खारिज कर दिया है.

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