6 साल बाद ट्रंप और शी जिनपिंग की होगी मुलाकात... क्या ट्रेड वॉर खत्म होगा या तनाव और बढ़ेगा?

दुनिया में 70% दुर्लभ खनिजों का खनन चीन में होता है, लेकिन जब प्रोसेसिंग और निर्यात की बात आती है, तो 90% दुर्लभ खनिज चीन से ही दुनिया में निर्यात होते हैं. जापान अपने 60% दुर्लभ खनिजों के लिए चीन पर निर्भर है. अमेरिका अपने 70% दुर्लभ खनिजों के लिए चीन पर निर्भर है.

विज्ञापन
Read Time: 4 mins
फटाफट पढ़ें
Summary is AI-generated, newsroom-reviewed
  • ट्रम्प और शी जिनपिंग के बीच दक्षिण कोरिया में आर्थिक सहयोग शिखर सम्मेलन के दौरान महत्वपूर्ण बैठक होगी.
  • दुर्लभ खनिजों पर चीन का वैश्विक वर्चस्व है, जो अमेरिका समेत कई देशों की तकनीकी उद्योगों के लिए आवश्यक हैं.
  • अमेरिका दुर्लभ खनिजों के रिफाइनिंग में असमर्थ है, इसलिए चीन पर अपने उत्पादों के लिए निर्भर रहना पड़ता है.
क्या हमारी AI समरी आपके लिए उपयोगी रही?
हमें बताएं।

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प बुधवार को दक्षिण कोरिया पहुंचे, जहां एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग (एपेक) शिखर सम्मेलन के दौरान उनकी अपने चीनी समकक्ष शी जिनपिंग से मुलाकात होगी. यह मुलाकात ऐसे समय में हो रही है जब दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं, अमेरिका और चीन के बीच हाल ही में शुरू हुए टैरिफ युद्ध के कारण संबंधों में जबरदस्त तनाव है.

यह बैठक महज समझौतों तक सीमित नहीं होगी, बल्कि यह तय करेगी कि दोनों वैश्विक महाशक्तियों में से कौन झुकता है और विरोधी के सामने कमजोर पड़ता है. खासकर जब चीन अमेरिका को पछाड़कर दुनिया की सबसे बड़ी शक्ति बनने की आकांक्षा रखता है और अमेरिका अपनी मौजूदा स्थिति को बनाए रखने के लिए संघर्ष कर रहा है.

दुर्लभ खनिजों का अहम मुद्दा

इस बहुप्रतीक्षित बैठक में सबसे बड़ा मुद्दा Rare Earth Minerals (दुर्लभ खनिज) का हो सकता है, जिस तरह इतिहास में कच्चे तेल को लेकर युद्ध और सैन्य संघर्ष हुए, उसी तरह अब दुर्लभ खनिजों को लेकर संघर्ष की आशंका है. इसका कारण चीन का इन खनिजों पर एकछत्र राज है.

दुर्लभ खनिजों पर चीन का वर्चस्व

दुनिया में 70% दुर्लभ खनिजों का खनन चीन में होता है, लेकिन जब प्रोसेसिंग और निर्यात की बात आती है, तो 90% दुर्लभ खनिज चीन से ही दुनिया में निर्यात होते हैं. जापान अपने 60% दुर्लभ खनिजों के लिए चीन पर निर्भर है. अमेरिका अपने 70% दुर्लभ खनिजों के लिए चीन पर निर्भर है.

अमेरिका की क्या है मजबूरी

अमेरिका में दुनिया के 14% दुर्लभ खनिजों का खनन होता है. लेकिन वह इन्हें रिफाइन करके इस्तेमाल नहीं कर सकता, जिसके लिए उसे चीन पर निर्भर रहना पड़ता है. ये खनिज स्मार्टफोन जैसे उच्च तकनीक वाले उत्पादों के निर्माण के लिए आवश्यक हैं. दुर्लभ खनिजों के 90% बाजार पर चीन का नियंत्रण होने के कारण यह बैठक व्यापार तनाव को शांत करने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच बन गई है.

ट्रम्प और शी जिनपिंग दोनों पर व्यापार तनाव को कम करने का दबाव है, जिससे दोनों अर्थव्यवस्थाओं को भारी नुकसान होने का खतरा है. ट्रम्प द्वारा शी जिनपिंग के साथ एक समझौता करने की उम्मीद है, जिसके तहत उन्होंने हाल ही में अमेरिका को चीनी निर्यात पर टैरिफ कम करने की पेशकश की है. हालांकि, उन्होंने शर्त रखी है कि बीजिंग को भी कुछ रियायतें देनी होंगी.

Advertisement

ट्रम्प की मुख्य मांगें क्या है?

  • अमेरिकी सोयाबीन की खरीद फिर से शुरू करना.
  • ओपिओइड फेंटेनाइल बनाने में इस्तेमाल होने वाली सामग्री के प्रवाह को रोकना (जिससे अमेरिका में ओवरडोज महामारी फैली है)
  • अमेरिका को दुर्लभ पृथ्वी खनिजों के निर्यात पर प्रतिबंध हटाना

ट्रम्प ने कहा, "मुझे लगता है कि हम चीन के साथ एक शानदार समझौता करने जा रहे हैं. यह पूरी दुनिया के लिए शानदार होगा." 

टैरिफ और व्यापार तनाव

बैठक ऐसे समय में हो रही है जब अमेरिका को चीनी निर्यात पर 100% का अतिरिक्त शुल्क लागू होने वाला है, जिसे ट्रम्प ने चीनी निर्यात पर नए टैरिफ की धमकी के साथ हाल ही में और बढ़ाया है. यह घोषणा चीन द्वारा दुर्लभ पृथ्वी धातुओं और संबंधित प्रौद्योगिकियों पर नए निर्यात नियंत्रण लगाने के जवाब में आई थी. इस मुलाकात से पहले उत्तर कोरिया के सुप्रीम लीडर किम जॉन्ग उन ने राष्ट्रपति ट्रम्प को एक खास संदेश देने की कोशिश की है, जो इस भू-राजनीतिक खींचतान को और बढ़ाता है.

Advertisement

दोनों नेताओं द्वारा ताइवान पर भी चर्चा किए जाने की संभावना है. बीजिंग ने कथित तौर पर व्हाइट हाउस से ताइवान की स्वतंत्रता का विरोध करने का अनुरोध किया है. ट्रम्प ने कहा है कि उनकी प्राथमिकता यूक्रेन में रूस के युद्ध को समाप्त करना है, और शी जिनपिंग भी अब उस युद्ध को समाप्त होते देखना चाहेंगे.

यह मुलाकात 2019 के बाद दोनों नेताओं के बीच पहली आमने-सामने की मुलाकात होगी, जो अमेरिका-चीन संबंधों की भविष्य की दिशा निर्धारित कर सकती है. यह बैठक दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच जटिल संबंधों को सुलझाने और वैश्विक स्थिरता बनाए रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है.

Advertisement
Featured Video Of The Day
Bihar Election 2025: NDTV Powerplay पर महागठबंधन vs NDA की बहस! नरसंहार, जंगल राज पर भिड़े प्रवक्ता