अमेरिका और ईरान के बीच न्यूक्लियर प्रोग्राम पर डील के लिए शनिवार, 19 अप्रैल को उच्च-स्तरीय वार्ता का दूसरा राउंड होगा. पहले दौर की वार्ता को दोनों पक्षों ने "रचनात्मक" बताया था और इसके एक हफ्ते बाद यह दूसरे दौर की वार्ता हो रही है. ईरानी विदेश मंत्री अब्बास अराघची और अमेरिका के मिडिल इस्ट दूत स्टीव विटकॉफ रोम में वार्ता करेंगे. दोनों पक्षों की बातचीत में ओमान मध्यस्थ की भूमिका निभा रहे हैं. ईरान की सरकारी मीडिया के अनुसार वार्ता के लिए ईरानी प्रतिनिधिमंडल रोम पहुंच चुका है.
गौरतलब है कि अमेरिका ने राष्ट्रपति बराक ओबामा के कार्यकाल में ईरान ने साथ न्यूक्लियर प्रोग्राम को लेकर एक डील पर साइन किया था, जिसे ज्वाइंट कॉम्प्रिहेंसिव एक्शन प्लान के रूप में जाना जाता है. उस डील के अनुसार ईरान को अपनी यूरेनियम संवर्धन गतिविधियों पर रोक लगानी थी और बदले में उसे अमेरिकी प्रतिबंधों से राहत मिली थी. लेकिन ट्रंप ने 2018 में अपने पहले राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान ईरान के साथ ऐसे डील से हाथ खींच लिया था. ईरान की 1979 की इस्लामी क्रांति के तुरंत बाद से तेहरान और वाशिंगटन के बीच कोई राजनयिक संबंध नहीं हैं. जनवरी में राष्ट्रपति की कुर्सी फिर से संभालने के साथ, ट्रंप ने ईरान के खिलाफ प्रतिबंधों के अपने "अधिकतम दबाव" की रणनीति फिर से शुरू कर दी.
“अमेरिका के इरादों पर संदेह..”
शुक्रवार को ईरानी विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने कहा कि ईरान ने पहले दौर के दौरान अमेरिकी पक्ष पर "कुछ हद तक गंभीरता दिखाई" लेकिन उनके इरादों पर सवाल उठाया. मॉस्को में एक कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा, "हालांकि हमें अमेरिकी पक्ष के इरादों और प्रेरणाओं पर गंभीर संदेह है, किसी भी स्थिति में हम कल (शनिवार) की वार्ता में भाग लेंगे."
ईरानी अधिकारियों ने जोर देकर कहा है कि बातचीत केवल उसके न्यूक्लियर प्रोग्राम और प्रतिबंध हटाने पर केंद्रित है. अराघची ने बिना विस्तार से बताए कहा कि अगर वाशिंगटन "अनुचित और अवास्तविक मांग करने" से परहेज करता है तब जाकर ही अमेरिका के साथ कोई समझौता "संभाव" है.
फ्रांसीसी अखबार ले मोंडे द्वारा बुधवार को छापे गए एक इंटरव्यू में, संयुक्त राष्ट्र के न्यूक्लियर वॉचडॉग प्रमुख राफेल ग्रॉसी ने कहा कि ईरान न्यूक्लियर बम बनाने से "दूर नहीं" है.