कार पर ट्रंप के 25% टैरिफ से भारत की टायर कंपनियों को होगी परेशान, समझिए क्यों

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ‘अमेरिका फर्स्ट’ के बैनर तले एक के बाद एक ऐसे फैसले ले रहे हैं जो दूसरे देशों को नागवार गुजर रहा है.

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अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ‘अमेरिका फर्स्ट' के बैनर तले एक के बाद एक ऐसे फैसले ले रहे हैं जो दूसरे देशों को नागवार गुजर रहा है. इसमें सबस प्रमुख टॉपिक टैरिफ बना हुआ है. 2 अप्रैल से हर बड़े व्यापारिक देशों पर जवाबी टैरिफ शुरू करने के साथ ट्रंप तथाकथित ‘लिबरेशन डे' मनाने को तैयार हैं. इससे पहले डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका में आयात होने वाले सभी कार पर 25% लगाने की घोषणा की है जो 3 अप्रैल से लागू होगी. 

ट्रंप के इस फैसले का उन भारतीय निर्माताओं पर बुरा असर पड़ने की संभावना है जो आटोमोबाइल के पार्ट्स बनाते हैं. क्योंकि अमेरिका में आटोमोबाइल पार्ट्स के कुल के आयात का लगभग एक तिहाई हिस्सा भारत से जाता है. 2.2 बिलियन डॉलर के निर्यात के साथ, भारत से भेजे जाने वाले सभी ऑटो पार्ट्स में अमेरिका की हिस्सेदारी 29% है. ऑटोमोबाइल सेक्टर का मानना है कि इस टैरिफ का असली प्रभाव टायर जैसे खास ऑटोमोबाइल पार्ट बनाने वाली भारतीय कंपनियों पर हो सकता है, जहां अमेरिका सबसे बड़ा निर्यात बाजार है.

भारत को कार के निर्यात पर अमेरिका से बड़ा झटका नहीं लगेगा. 6.98 बिलियन डॉलर मूल्य की पैसेंजर कारों के कुल निर्यात में से केवल 8.9 मिलियन डॉलर या 0.13 प्रतिशत अमेरिका को गया है.

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार 4,259 करोड़ रुपये (लगभग 500 मिलियन डॉलर) के टायर निर्यात के साथ, वैश्विक स्तर पर भारतीय निर्यात का 17% हिस्सा अमेरिका जाता है. संवर्धन मदरसन, सोना बीएलडब्ल्यू, भारत फोर्ज और अपोलो टायर्स जैसे ऑटो कंपोनेंट निर्माताओं के शेयर गुरुवार को ट्रंप की घोषणा के बाद नीचे गिर गए.

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इस रिपोर्ट के अनुसार टायर कंपनियों ने कहा कि वे देख रहे हैं कि आगे क्या कुछ होता है. ऑटोमोटिव टायर मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के डायरेक्टर जनरल राजीव बुधराजा ने कहा, "अमेरिका परंपरागत रूप से भारतीय टायरों के लिए सबसे बड़ा आयातक देश रहा है. लेकिन अभी भी यह इंडस्ट्री लागत प्रतिस्पर्धात्मकता, अपनी गुणवत्ता और वैश्विक मानकों के पालन के अपने मजबूत बुनियादी सिद्धांतों में आश्वस्त है. यदि सभी निर्यातक देशों में टैरिफ समान रूप से लागू किए जाते हैं, तो भारतीय टायर अपनी बढ़त बरकरार रख सकते हैं."

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