यू्क्रेन (Ukraine) की उत्तर-पूर्वी (North-Eastern) सीमा पर रूस से लगते इलाके सुमी (Sumy) में लगभग 600-700 भारतीय छात्र फंसे हुए हैं. जहां कीव और खारकीव से भारतीय छात्रों को निकालने पर भारतीय दूतावास के अधिकारियों का ज़ोर रहा, वहीं सुमी में फंसे हुए छात्र रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच खुद को बेहद असहाय महसूस कर रहे हैं. सुमी में फंसे हुए छात्र मेहताब ने NDTV से बात करते हुए कहा, "यहां पर कैसा माहौल है केवल हम जानते हैं. मेरे बहुत से दोस्त मुझे रोते हुए कॉल कर रहे हैं. यहां माइनस का तापमान है. यहां ऐसे माहौल में 15-20 किलोमीटर चलकर जाना बहुत मुश्किल है. यह कैसे संभव है? कोई नहीं समझ रहा है कि यहां कैसे हालात हैं? मैंने कई बार दूतावास को कॉल किया लेकिन कोई उत्तर नहीं है."
मेहताब ने कहा, "हमारे मां-बाप रो रहे हैं. सभी असहाय महसूस कर रहे हैं. सात दिन से हम यहां सुमी में फंसे हुए हैं लेकिन हमारी कोई मदद नहीं कर रहा है."
इससे पहले मेहताब ने एक वीडियो जारी करते हुए कहा था कि सुमी में पिछले 6 दिन से बहुत से छात्र फंसे हुए हैं. जो अलग-अलग राज्यों से हैं. यहां से हंगरी और पोलैंड 1200 किमी दूर हैं. यहां से रेलवे के ट्रैक भी खराब हैं. सुमी के बारे में अभी तक कोई अपडेट नहीं है. यहां हमने सुना है कि सड़क पर बारूदी सुरंगे बिछाई हुई हैं जिसे सुन कर हम बहुत डर गए हैं."
सुमी स्टेट यूनीवर्सिटी के हॉस्टल के बंकर में फंसे कुछ और स्टूडेंट्स की भी NDTV की बात हुई थी. केरल (Kerala) के तीन छात्रों ने बताया था कि सुबह बम की आवाज़ से नींद खुलती है. एक छात्र आकाश ने बताया कि हर जगह फायरिंग और बम की आवाज है. निगरानी के लिए एक जगता है तो एक सोता है.यहां सिविलियन के पास भी बंदूकें हैं और यहां स्ट्रीट फाइट भी होती है. खिड़की से बाहर देख कर डर लगता है. यूक्रेन पर रूस के ताबड़तोड़ हमले के बीच सुमी इलाके को रूसी सेना ने घेरा रखा है और बाहर निकलने का हर रास्ता ब्लॉक है.
सुमी की स्टेट यूनिवर्सिटी के मेडिकल स्टूडेंट जल्द से जल्द अपने घर वापस जाना चाहते हैं. इनके अभिभावक भी काफी चिंतित हैं. केरल से एक और छात्र मुट्टुथरा ने कहा कि अधिकतर बार दूतावास के नंबर से कनेक्ट करना बहुत मुश्किल है.
अभिनव कहते हैं, "दूतावास ने कहा कि आप जहां हैं वहां रहिए. जितना जल्दी हो सकेगा हम आपको निकालने की कोशिश करेंगे."
आकाश ने हमें बताया गया कि दूतावास की तरफ से उन्हें जानकारी दी गई है कि शायद 1-2 दिन में उन्हें निकाला जाएगा. लेकिन यही डर है कि यहां बम ना फटे.