फिलिस्तीन को मान्यता देने क्यों आगे आ रहा यूरोप? फ्रांस के बाद ब्रिटेन के ऐलान से इजरायल पर दबाव

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने मंगलवार को घोषणा की कि अगर इजरायल गाजा में युद्धविराम पर सहमति सहित तमाम "ठोस कदम" नहीं उठाता है तो ब्रिटेन सितंबर में फिलिस्तीन राज्य को औपचारिक रूप से मान्यता दे देगा.

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ब्रिटेन भी फिलिस्तीन को देगा मान्यता, बशर्ते सीजफायर के लिए राजी हो जाए इजरायल
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  • ब्रिटेन ने सितंबर में फिलिस्तीन को मान्यता देने की बात कही है, बशर्ते इजरायल सीजफायर के लिए राजी हो जाए.
  • इजरायली प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने ब्रिटेन की योजना की आलोचना करते हुए इसे हमास को पुरस्कार देने वाला बताया है.
  • इससे पहले फ्रांस ने भी घोषणा की है कि वह सितंबर में फिलिस्तीनी राज्य को आधिकारिक रूप से मान्यता देगा.
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ब्रिटेन की सरकार ने इजरायल से कहा है कि वह गाजा में लोगों की बदतर हालत को सुधारने के लिए ठोस कदम उठाए और लंबे समय तक चलने वाली शांति के लिए गंभीरता से काम करे. अगर ऐसा नहीं होता है, तो ब्रिटेन सितंबर में फिलिस्तीन को एक स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता दे सकता है, ताकि दो देशों वाले समाधान (टू-स्टेट सॉल्यूशन) की संभावना को बचाया जा सके. एक बयान में ब्रिटिश पीएम कीर स्टार्मर ने इजरायल से अपील की कि वह संयुक्त राष्ट्र को गाजा में लोगों तक खाने-पीने की मदद पहुंचाने की अनुमति दे, युद्धविराम के लिए सहमत हो, और यह साफ करे कि वह वेस्ट बैंक (पश्चिमी तट) पर कब्जा नहीं करेगा. न्यूज एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक, बयान में हमास से अपील की गई है कि वह सभी बंधकों को तुरंत रिहा करे.

इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर की उनकी योजना को लेकर तीखी आलोचना की है.

ब्रिटेन ने क्या कहा है?

ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने मंगलवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि फिलिस्तीन को स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता देने का फैसला कुछ शर्तों पर निर्भर करेगा. उन्होंने कहा कि ब्रिटेन की सरकार का मुख्य लक्ष्य जमीनी हालात को बदलना है और यही इस फैसले का मकसद भी है. कीर स्टार्मर ने घोषणा के समय को लेकर कहा, "मैं इस बात को लेकर खास तौर पर चिंतित हूं कि दो-राज्य समाधान (इजरायल और फिलिस्तीन के लिए) का विचार अब धीरे-धीरे कमजोर होता जा रहा है और आज यह पहले से कहीं ज्यादा दूर नजर आता है."

ब्रिटेन के विदेश सचिव डेविड लैमी ने मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में आयोजित एक उच्च-स्तरीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में कहा, "क्षेत्र के भविष्य के लिए दो-राज्य समाधान से बेहतर कोई रास्ता नहीं है." उन्होंने कहा कि इजरायल को अपनी सुरक्षित सीमाओं के भीतर आतंकवाद के खतरे से मुक्त होकर शांतिपूर्वक रहने का अधिकार है और फिलिस्तीनियों को भी एक स्वतंत्र देश में सम्मान और सुरक्षा के साथ, बिना किसी कब्जे के जीने का हक मिलना चाहिए.

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बैठक में अपना बयान देने के बाद मीडिया से बात करते हुए लैमी ने कहा कि यह कदम हमें फिलिस्तीन को एक स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता देने की दिशा में आगे बढ़ाएगा. उन्होंने पत्रकारों से कहा, "हमने बहुत ही दुखद और डरावने दृश्य देखे हैं. पूरी दुनिया इस बात से बेहद आहत है कि मदद मांगते बच्चों पर गोली चलाई गई और उनकी जान ले ली गई."

शनिवार को नौ राजनीतिक दलों के 200 से अधिक सांसदों ने प्रधानमंत्री और विदेश सचिव को एक पत्र पर हस्ताक्षर किया, जिसमें सरकार से फिलिस्तीनी राज्य को मान्यता देने की अपील की गई.

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नेतन्याहू ने ब्रिटेन की आलोचना की

इजरायल के प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने फिलिस्तीन राज्य को मान्यता देने की योजना पर ब्रिटेन के प्रधान मंत्री कीर स्टार्मर की तीखी आलोचना की और उन पर हमास के "राक्षसी आतंकवाद" को पुरस्कार देने का आरोप लगाया. इजरायल के पीएम के कार्यालय ने बुधवार को एक्स पर पोस्ट किया. "स्टार्मर हमास के राक्षसी आतंकवाद को पुरस्कृत कर रहे हैं और उसके पीड़ितों को दंडित कर रहे हैं. आज इजरायल की सीमा पर एक जिहादी देश कल ब्रिटेन को धमकी देगा. जिहादी आतंकवादियों के प्रति तुष्टिकरण हमेशा विफल होता है. यह आपको भी विफल कर देगा. ऐसा नहीं होगा." 

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इस बीच इजरायल के विदेश मंत्रालय ने भी ब्रिटिश पीएम के इस बयान को खारिज कर दिया और कहा कि ब्रिटिश सरकार का ऐसा कदम गाजा में युद्धविराम हासिल करने और बंधकों की रिहाई सुनिश्चित करने के प्रयासों को कमजोर कर देगा.

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इजरायली विदेश मंत्रालय ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, "इजरायल यूनाइटेड किंगडम के प्रधान मंत्री के बयान को खारिज करता है. फ्रांसीसी कदम और आंतरिक राजनीतिक दबावों के बाद इस समय ब्रिटिश सरकार की स्थिति में बदलाव, हमास के लिए एक इनाम है और गाजा में युद्धविराम और बंधकों की रिहाई के लिए एक रूपरेखा हासिल करने के प्रयासों को नुकसान पहुंचाता है."

इजरायल पर बढ़ रहा दबाव

पिछले हफ्ते फ्रांस ने भी घोषणा की थी कि वह सितंबर में आधिकारिक तौर पर फिलिस्तीनी राज्य को मान्यता देगा. फ्रांस ऐसा करने वाला दुनिया के सबसे अमीर देशों के जी7 समूह में से पहला देश होगा. मौजूदा इजरायली सरकार टू-स्टेस सॉल्यूशन की दिशा में किसी भी प्रगति का विरोध कर रही है, इसलिए इसकी शर्तों पर सहमत होने की संभावना बहुत कम है. लेकिन दिख रहा है कि गाजा की मौजूदा स्थिति पर उसपर दबाव बढ़ रहा है. अधिकांश देश - कुल मिलाकर लगभग 139 - औपचारिक रूप से फिलिस्तीनी राज्य को आधिकारिक तौर पर मान्यता देते हैं. गाजा में युद्धविराम सुनिश्चित करने के लिए राजनयिक दबाव डालने की उम्मीद से स्पेन, आयरलैंड और नॉर्वे ने पिछले साल यह कदम उठाया था.

गाजा पट्टी में युद्ध और मानवीय संकट चरम पर है. ऐसे में फ्रांस और ब्रिटेन का यह कदम भले केवल एक प्रतिकात्मक कदम होगा लेकिन उसका फिलिस्तीन को मान्यता देना इजराइल पर अतिरिक्त राजनयिक दबाव डालेगा. 

फिलिस्तीनी प्रतिनिधियों के पास वर्तमान में संयुक्त राष्ट्र की गतिविधि में भाग लेने के सीमित अधिकार हैं, और इस क्षेत्र को अरब लीग सहित विभिन्न अंतरराष्ट्रीय संगठनों द्वारा भी मान्यता प्राप्त है.

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