ब्रिटेन सरकार कश्मीर और खालिस्तानी समर्थकों की भारत विरोधी बयानबायी के खिलाफ सतर्क

ब्रिटेन में आतंकवाद को रोकने संबंधी योजना की समीक्षा, कश्मीर को लेकर ब्रिटिश मुसलमानों के कट्टरपंथी होने पर और खालिस्तान समर्थक अतिवाद को लेकर चिंता जताई गई

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प्रतीकात्मक फोटो.
लंदन:

ब्रिटेन सरकार की आतंकवाद को रोकने संबंधी एक योजना की समीक्षा में कश्मीर को लेकर ब्रिटिश मुसलमानों के कट्टरपंथी होने और ‘‘संभवत: खतरनाक'' खालिस्तान समर्थक अतिवाद को बढ़ती चिंता के रूप में चिह्नित किया है तथा देश के लिए ‘‘प्राथमिक खतरे'' के रूप में इस्लामी चरमपंथ से निपटने में सुधार की सिफारिशें की गई हैं.

सरकार की आतंकवाद-रोधी शुरुआती हस्तक्षेप रोकथाम रणनीति की इस सप्ताह प्रकाशित समीक्षा में चेतावनी दी गई कि ‘‘विशेष रूप से कश्मीर के विषय में भारत विरोधी भावना को भड़काने'' के संदर्भ में पाकिस्तान की बयानबाजी ब्रिटेन के मुस्लिम समुदायों को प्रभावित कर रही है.

‘पब्लिक अपाइंटमेंट्स' आयुक्त विलियम शॉक्रॉस द्वारा की गई इस समीक्षा में ब्रिटेन में ‘‘एक छोटी संख्या में'' सक्रिय खालिस्तान समर्थक समूहों द्वारा फैलाए जा रहे झूठे आख्यान के खिलाफ भी चेतावनी दी गई है.

समीक्षा में कहा गया, ‘‘मैंने ब्रिटेन के चरमपंथी समूहों से जुड़े साक्ष्य देखे हैं. साथ ही मैंने कश्मीर में हिंसा का आह्वान करने वाले एक पाकिस्तानी मौलवी के ब्रिटेन में समर्थक देखे हैं. मैंने ऐसे साक्ष्य भी देखे हैं, जो दिखाते हैं कि कश्मीर से संबंधित उकसावे में ब्रिटिश इस्लामियों की बहुत रुचि होती है.''

समीक्षा में कहा गया है कि इस बात पर विश्वास करने की कोई वजह मौजूद नहीं है कि यह मुद्दा ऐसे ही समाप्त हो जाएगा, क्योंकि इस्लामवादी आने वाले वर्षों में इसका फायदा उठाना चाहेंगे.

इसमें कहा गया, ‘‘इसकी रोकथाम संभवत: प्रासंगिक है, क्योंकि ब्रिटेन में आतंकवाद के अपराधों के कई ऐसे दोषी पाए गए हैं, जिन्होंने पहले कश्मीर में लड़ाई लड़ी थी. इसमें वे लोग भी शामिल हैं जो बाद में अल-कायदा में शामिल हो गए.''

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रिपोर्ट में खालिस्तान समर्थक अतिवाद के मुद्दे पर कहा गया, ‘‘ब्रिटेन के सिख समुदायों में उत्पन्न हो रहे खालिस्तान समर्थक चरमपंथ के प्रति भी सावधान रहना चाहिए. ब्रिटेन में सक्रिय खालिस्तान समर्थक समूहों की एक छोटी संख्या द्वारा यह झूठा आख्यान फैलाया जा रहा है कि सरकार सिखों को परेशान करने के लिए भारत में अपने समकक्ष के साथ मिलीभगत कर रही है.''

इसमें कहा गया, ‘‘ऐसे समूहों के आख्यान भारत में खालिस्तान समर्थक आंदोलन के दौरान की गई हिंसा का महिमामंडन करते हैं. वर्तमान में अभी खतरा कम है, लेकिन विदेशों में हुई हिंसा की प्रशंसा करना और साथ ही घरेलू स्तर पर सरकार की अगुवाई में दमन के अभियान में विश्वास करना भविष्य के लिए संभवत: खतरनाक हो सकता है.''

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समीक्षा में पाया गया कि इस्लामी चरमपंथ ब्रिटेन के लिए ‘‘आतंकवादी खतरे का प्राथमिक'' कारण हैं.

ब्रिटेन की गृह मंत्री सुएला ब्रेवरमैन ने बुधवार को ‘हाउस ऑफ कॉमन्स' में कहा कि वह ‘रोकथाम रणनीति' में समीक्षा की सभी सिफारिशों को ‘‘तेजी से लागू'' करने का इरादा रखती हैं. भारतीय मूल की मंत्री ने सांसदों से कहा, ‘‘सच यह है कि इस्लामाबाद से निपटने का अर्थ मुस्लिम-विरोधी होना नहीं है और यदि हमें इसे प्रभावी तरीके से करना है, तो हमें मुस्लिम समुदायों के साथ मिलकर काम करना जारी रखना चाहिए.''

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