- इजराइली प्रधानमंत्री नेतन्याहू से कूटनीतिक बैठक की और रिश्ते बनाए रखने का संकेत दिया.
- यूएई का तर्क था कि यह बैठक गाजा युद्ध को समाप्त करने की आवश्यकता को रेखांकित करने के लिए आयोजित की गई थी.
- मुस्लिम देशों ने इजराइल के खिलाफ विरोध जताया, जबकि यूएई के प्रतिनिधि नेतन्याहू के भाषण के दौरान मौजूद रहे.
जब अरब और इस्लामिक देश गाजा पर इजराइली हमलों को लेकर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर विरोध दर्ज करवा रहे हैं. ऐसे वक्त में यूएई ने इजराइल से अपने कूटनीतिक रिश्ते जारी रखने का साफ संकेत दिया है. न्यूयॉर्क में यूएन महासभा (UNGA) के इतर यूएई के विदेश मंत्री शेख अब्दुल्ला बिन जायेद ने इजराइली प्रधानमंत्री नेतन्याहू से मुलाकात की. यूएई का तर्क था कि यह बैठक गाजा युद्ध को खत्म करने की ‘जरूरत' पर जोर देने के लिए थी.
लेकिन अरब जगत में इसे अलग नजरिये से देखा जा रहा है. बैठक ऐसे समय पर हुई जब गाजा में हालात बद से बदतर हैं और कई देशों ने इजराइल के रुख को 'मानवता के खिलाफ अपराध' बताया है. नेतन्याहू के यूएन भाषण के दौरान भी एक बड़ा विरोध देखा गया. जहां कई अरब और मुस्लिम देशों के प्रतिनिधियों ने वॉकआउट कर अपना विरोध दर्ज किया, वहीं रिपोर्ट्स बताती हैं कि यूएई के प्रतिनिधि वहीं बैठे रहे.
यूएई के वरिष्ठ सलाहकार अनवर गर्गाश ने भी इस कूटनीतिक रुख का समर्थन करते हुए ट्वीट किया, “यूएई की कूटनीति एक सिद्धांत पर आधारित है: संवाद ज़रूरी है. यही कारण है कि हम नेतन्याहू से मिले.”
यूएई विदेश मंत्रालय ने भी अपने आधिकारिक हैंडल से लिखा, “ग़ाज़ा में युद्ध समाप्त करने की आवश्यकता को रेखांकित करने के लिए मुलाकात की गई.”
अब सवाल ये उठ रहे हैं कि क्या यूएई अब्राहम समझौते के तहत अपने इज़राइल रिश्तों को प्राथमिकता दे रहा है, भले ही बाकी मुस्लिम दुनिया फिलिस्तीन के समर्थन में एकजुट क्यों न हो? ऐसे समय में यूएई का यह रुख केवल फिलिस्तीनियों ही नहीं, बल्कि अरब एकता पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है.