तुर्की में सोमवार को 7.8 तीव्रता से आए भूकंप और कई बार धरती के कांपने के बाद से हालात बदतर होते जा रहे हैं. हर तरफ तबाही का मंज़र है. मलबे में लाशें दबी हुई हैं. इमारतें ताश के पत्तों की तरह ढह गई हैं. जिसके चलते हजारों लोग बेघर हो गये. कड़ाके की सर्दी के कारण कई लोगों की मौत हो गयी है. तापमान कम होने से रेस्क्यू ऑपरेशन में भी दिक्कत आ रही है. वास्तुशिल्प इतिहास की विद्वान कुबरा हैलिसी ने इस्तांबुल से यह जानकारी दी. तुर्की में भयंकर सर्दी के बीच बर्फबारी भी हो रही है. कई शहरों में तापमान 9 से माइनस 2 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया है. हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि ऐसी स्थिति में लोगों को हाइपोथर्मिया होना का खतरा है.
पीटीआई सोशल मीडिया के जरिए कुबरा हालिसी तक पहुंची थी. इस्तांबुल में भूकंप से पीड़ित कुबरा हैलिसी ने समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा, 'भूकंप के बाद बड़ी संख्या में लोग बेघर हो गए हैं. मौसम खराब होने के कारण उन्हें शेल्टर होम नहीं ले जाया जा सका.' तुर्की नागरिक ने कहा, "हालांकि हम भूकंप के एपिसेंटर से दूर थे. फिर भी हमने कई झटके महसूस किए."
बातचीत में उन्होंने कहा, 'मैं और मेरे परिवार के सदस्य सुरक्षित हैं, लेकिन मेरे देश के टुकड़े-टुकड़े हो गए है. हर तरफ तबाही ही तबाही है. भूकंप से 10 प्रांत प्रभावित हुए हैं. हम लोकल और इंटरनेशल मीडिया में केवल मौत और तबाही के दृश्य देख रहे हैं. घर और इमारतें ताश के पत्तों की तरह ढह गए. कई लोग जो मलबे में दब गए थे, उनकी भीषण ठंड में मौत हो गई."
सोमवार को आए भूकंप ने तुर्की और पड़ोसी देश सीरिया में हजारों लोगों की जान ले ली. हजारों इमारतें भरभराकर गिर गईं. उन्होंने कहा, ‘‘हम कई ऐसे लोगों को जानते हैं जो अपने परिजनों के पास जाने में अक्षम हैं, क्योंकि देश में 7.8 तीव्रता का जबरदस्त भूकंप आया. उसके बाद 7.5 तीव्रता के झटके महसूस किये गये.'' उन्होंने कहा, ‘‘हमें इस बात का अहसास है कि कई देश हमारी मदद कर रहे हैं .''
भारत ने मंगलवार को चार सी -17 ग्लोबमास्टर सैन्य परिवहन विमानों के जरिये राहत सामग्री तुर्की को भेजी. भारत ने एक मोबाइल अस्पताल और स्पेशल सर्च व रेस्क्यू टीम भी वहां भेजा है. बुधवार को भारत ने भूकंप प्रभावित सीरिया को आवश्यक दवाओं और चिकित्सा उपकरणों सहित छह टन राहत सामग्री सौंपी.
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