Explainer: कुदरती कहर या 'ड्रैगन' की करतूत... तिब्बत में भूकंप से 128 मौत का कौन जिम्मेदार?

मेनलिंग तिब्बत की यारलुंग जांगबो नदी के निचले इलाकों में स्थित है, जहां चीन दुनिया का सबसे बड़ा हाइड्रो इलेक्ट्रिक डैम बनाने की योजना बना रहा है. इस प्रोजेक्ट को लेकर भारत ने भी अपनी चिंताएं जाहिर की हैं.

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नई दिल्ली:

चीन के तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र में आए शक्तिशाली भूकंप की वजह से मरने वालों की संख्या 128 हो गई है. 188 लोग जख्मी हुए हैं.  चीन की सरकारी न्यूज एजेंसी शिन्हुआ के मुताबिक, भूकंप मंगलवार सुबह 9:05 बजे (भारतीय समय के हिसाब से सुबह 6:30) आया. इसका केंद्र टिंगरी में था, जो एक ग्रामीण काउंटी है. इसे माउंट एवरेस्ट क्षेत्र के उत्तरी प्रवेश द्वार के रूप में जाना जाता है. भूकंप का केंद्र 10 किमी (6.2 मील) की गहराई पर था. अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्विस (US Geological Survey) ने भूकंप की तीव्रता 7.1 बताई है. भूकंप के झटके पड़ोसी नेपाल, भूटान और भारत के कुछ हिस्सों में भी महसूस किए गए. इस बीच तिब्बत में आए इस भूकंप ने एक बार चीन की इस क्षेत्र में एक बड़ा बांध बनाने की योजना को सवालों के घेरे में ला दिया है.

भूकंप का असर तिब्बत के शिगात्से क्षेत्र में महसूस किया गया, जहां 800,000 लोग रहते हैं. इस क्षेत्र का प्रशासन शिगात्से की ओर से किया जाता है. ये तिब्बती बौद्ध धर्म के सबसे महत्वपूर्ण व्यक्तियों में से एक पंचेन लामा का पारंपरिक निवास स्थान है.

एवरेस्ट से लगभग 80 किलोमीटर था भूकंप का केंद्र
चीन, नेपाल और उत्तरी भारत के दक्षिण-पश्चिमी हिस्से अक्सर भारतीय और यूरेशियाई टेक्टोनिक प्लेटों के टकराव के कारण भूकंप से प्रभावित होते हैं. मंगलवार का भूकंप का केंद्र माउंट एवरेस्ट से लगभग 80 किलोमीटर (50 मील) उत्तर में था, जो दुनिया का सबसे ऊंचा पर्वत है.

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भूकंप के बाद मची तबाही में 188 लोग जख्मी हुए हैं.

ल्हासा ब्लॉक में आ चुके 21 भूकंप
1950 से अब तक ल्हासा ब्लॉक में 6 या उससे अधिक तीव्रता के 21 भूकंप आ चुके हैं, जिनमें से सबसे बड़ा भूकंप 2017 में मेनलिंग में आया 6.9 तीव्रता का भूकंप था. 2015 में नेपाल की राजधानी काठमांडू के पास 7.8 तीव्रता का भूकंप आया था, जिसमें देश के अब तक के सबसे भयानक भूकंप में लगभग 9,000 लोग मारे गए थे. हज़ारों लोग घायल हुए थे. मृतकों में माउंट एवरेस्ट बेस कैंप में स्नोफॉल की चपेट में आने से कम से कम 18 लोग मारे गए थे.

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जांगबो नदी पर चीन बना रहा हाइड्रो इलेक्ट्रिक डैम 
मेनलिंग तिब्बत की यारलुंग जांगबो नदी के निचले इलाकों में स्थित है, जहां चीन दुनिया का सबसे बड़ा हाइड्रो इलेक्ट्रिक डैम बनाने की योजना बना रहा है. इस प्रोजेक्ट को लेकर भारत ने भी अपनी चिंताएं जाहिर की हैं. हालांकि बीजिंग अपनी योजना के साथ आगे बढ़ रहा है. 

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चीन ने किया अपने प्रोजेक्ट का बचाव
चीन ने सोमवार को कहा कि ब्रह्मपुत्र नदी पर बनने वाले डैम से भारत और बांग्लादेश पर कोई नेगेटिव इंपैक्ट नहीं पड़ेगा. यह बात नई दिल्ली द्वारा प्रस्तावित परियोजना पर अपना विरोध दर्ज कराने के बाद कही गई.

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चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गुओ जियाकुन ने एक मीडिया ब्रीफिंग में बताया, "यारलुंग त्सांगपो नदी (ब्रह्मपुत्र नदी का तिब्बती नाम) पर चीन द्वारा हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट का निर्माण कठोर साइंटिफिक वेरिफिकेशन से गुजरा है. इससे निचले देशों के इकोसिस्टम, पर्यावरण, भूविज्ञान और जल संसाधनों पर कोई नेगेटिव इंपैक्ट नहीं पड़ेगा."

1950 से अब तक ल्हासा ब्लॉक में 6 या उससे अधिक तीव्रता के 21 भूकंप आ चुके हैं.

जियाकुन ने कहा कि यह डैम कुछ हद तक डाउनस्ट्रीम आपदा की रोकथाम, शमन और जलवायु परिवर्तन प्रतिक्रिया में योगदान देगा.

भारत ने प्रोजेक्ट का किया था विरोध
इससे पहले भारत ने इस डैम प्रोजेक्ट को लेकर अपना विरोध जताया था. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने शुक्रवार को कहा, "हमने चीन के तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र में यारलुंग त्संगपो नदी (ब्रह्मपुत्र नदी) पर एक जलविद्युत परियोजना के संबंध में 25 दिसंबर 2024 को सिन्हुआ द्वारा जारी की गई सूचना देखी है. नदी के पानी पर हमारा अधिकार है. निचले तटवर्ती देश के रूप में, हमने लगातार विशेषज्ञ स्तर और कूटनीतिक चैनलों के माध्यम से चीनी पक्ष को उनके क्षेत्र में नदियों पर मेगा प्रोजेक्ट को लेकर अपने विचार और चिंताएं जाहिर की हैं."

जायसवाल ने कहा, "नवीनतम रिपोर्ट के बाद इन चिंताओं को दोहराया गया है, साथ ही पारदर्शिता और निचले देशों के साथ परामर्श की जरुरत पर भी जोर दिया गया है. चीनी पक्ष से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया गया है कि ब्रह्मपुत्र के निचले देशों के हितों को ऊपरी क्षेत्रों में गतिविधियों से नुकसान न पहुंचे. हम अपने हितों की रक्षा के लिए निगरानी करना और आवश्यक उपाय करना जारी रखेंगे."

लेवल-3 इमरजेंसी घोषित
भूकंप के बाद बड़ी संख्या में लोग मलबे में फंस गए हैं. रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है. चीन की स्टेट काउंसिल ने भूकंप प्रभावित इलाके में टास्क फोर्स भेजी है. इस बीच लेवल-3 इमरजेंसी घोषित कर दी है.

भूकंप का असर तिब्बत के शिगात्से क्षेत्र में महसूस किया गया, जहां 800,000 लोग रहते हैं.

इन्फ्रास्ट्रक्चर बुरी तरह डैमेज
भूकंप की वजह से इलाके का इन्फ्रास्ट्रक्चर बुरी तरह डैमेज हो गया है, जिससे यहां बिजली और पानी दोनों की सप्लाई पर असर पड़ा है.     

एवरेस्ट के टूरिस्ट पॉइंट को चीन ने किया बंद 
चीन ने तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र के डिंगरी काउंटी में आये 6.8 तीव्रता के भूकंप के बाद माउंट एवरेस्ट के अपने हिस्से के टूरिस्ट पॉइंट को बंद कर दिया है. माउंट एवरेस्ट को माउंट क्यूमोलंगमा के नाम से भी जाना जाता है. चीन-नेपाल सीमा पर स्थित, माउंट क्यूमोलंगमा 8,840 मीटर से अधिक ऊंचाई पर है, जिसका उत्तरी भाग तिब्बत में स्थित है। इसे चीन जिजांग कहता है. डिंगरी दुनिया की सबसे ऊंची चोटी का बेस कैंप हैं.

भूकंप के बाद कर्मचारी और पर्यटक सुरक्षित हैं. हालांकि, डिंगरी में स्थित चीनी विज्ञान अकादमी के वायुमंडलीय और पर्यावरण अनुसंधान के लिए क्यूमोलंगमा स्टेशन में बिजली गुल है. इसके बावजूद, सुविधाएं अच्छी स्थिति में हैं.

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