तालिबान (Taliban) ने अफगानिस्तान (Afghanistan) पर कब्जा करने के बाद पहले क्रिकेट टेस्ट मैच (Cricket Test Match) को मंजूरी दे दी है, जिसके बाद उम्मीद की जा रही है कि कट्टरपंथी इस्लामिक कानून के दौरान भी अंतरराष्ट्रीय मैच हमेशा की तरह ही जारी रहेंगे. अफगानिस्तान क्रिकेट बोर्ड (Afghanistan Cricket Board) के मुख्य कार्यकारी हामिद शिनवारी ने बताया, 'हमें टीम को ऑस्ट्रेलिया भेजने की मंजूरी मिल गई है.' सत्ता में अपने पहले कार्यकाल के दौरान और 2001 में बेदखल होने से पहले तालिबान ने मनोरंजन के अधिकांश रूपों पर प्रतिबंध लगा दिया था, जिसमें कई खेल शामिल थे और स्टेडियमों को सार्वजनिक रूप से मौत की सजा देने के लिए इस्तेमाल किया गया था.
कट्टर इस्लामवादियों को क्रिकेट से कोई परेशानी नहीं है और यह खेल कई लड़ाकों के बीच भी काफी लोकप्रिय है. तालिबान ने पिछले महीने काबुल पर कब्जा करने के बाद इस बार इस्लामी कानून के कम सख्त संस्करण को लागू करने का वादा किया है.
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होबार्ट में 27 नवंबर से एक दिसंबर के मध्य खेले जाने वाला टेस्ट मैच पिछले साल निर्धारित किया गया था, हालांकि कोविड-19 महामारी और वैश्विक प्रतिबंधों के कारण इसे स्थगित कर दिया गया था.
अफगानिस्तान का ऑस्ट्रेलिया में यह पहला टेस्ट होगा. ऑस्ट्रेलिया दौरे से पूर्व अफगानिस्तान की टीम 17 अक्टूबर से 15 नवंबर तक संयुक्त अरब अमीरात में होने वाले टी-20 विश्व कप में हिस्सा लेगी.
इसके साथ ही शिनवारी ने इस बात की भी पुष्टि की है कि अफगानिस्तान की अंडर -19 क्रिकेट टीम इस महीने के आखिर में बांग्लादेश का दौरा करेगी.
तालिबान के पिछले महीने काबुल में घुसने के बाद से अमेरिका और नाटो सेनाओं की निकासी के बाद से ही यह आंशका जताई जा रही थी कि क्रिकेट और अन्य खेल प्रभावित होंगे.