अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद तालिबान (Taliban) का असली चेहरा सामने आने लगा है. तालिबान सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री ने काबुल यूनिवर्सिटी (Kabul university) में लेक्चरर्स के साथ एक मीटिंग के दौरान कहा है कि पिछले 20 साल में ग्रेजुएट हुए हजारों युवा उसके किसी काम के नहीं हैं. कार्यवाहक उच्च शिक्षा मंत्री अब्दुल बाकी हक्कानी ने कहा कि पिछले 20 सालों के दौरान कॉलेज और यूनिवर्सिटी जो भी युवक स्नातक हुए हैं, उनके लिए सरकार के पास कोई काम नहीं है.
TOLO news समेत अफगानिस्तान (Afghanistan) के स्थानीय मीडिया संगठनों ने यह बयान प्रमुखता से रिपोर्ट जारी की है.
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हक्कानी ने धार्मिक शिक्षा को प्राथमिकता बताया. उन्होंने जोर देकर कहा कि मदरसा (madrasas) और अन्य धार्मिक संस्थानों में पढे छात्रों के मुकाबले आधुनिक शिक्षा के ग्रेजुएट-पोस्ट ग्रेजुएट औऱ पीएचडी धारक की ज्यादा अहमियत नहीं है. हालांकि दुनिया भर में अफगानिस्तान के 2001 से 2020 के समय को शिक्षा के लिहाज से सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है.
इस दौरान लड़कों और लड़कियों की आधुनिक शिक्षा के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए गए. पाठ्यक्रमों में बदलाव किया गया, ताकि अफगानी छात्र भी कंप्यूटर, तकनीकी शिक्षा और अन्य क्षेत्रों में दूसरे देशों के युवाओं से प्रतिस्पर्धा कर सकें. मगर तालिबान के दोबारा नियंत्रण के बाद शिक्षा के क्षेत्र में मिली बढ़त खत्म होती दिख रही है. तालिबान ने अभी तक लड़कियों की स्कूलों को खोलने पर फैसला नहीं किया है. लड़के और लड़कियों की साथ पढ़ाई को पहले ही बंद कर दिया गया है.
गौरतलब है कि अमेरिका पर 2001 में हुए हमले के बाद तालिबान के शासन को उखाड़ फेंका गया था. वहां अमेरिकी अगुवाई वाली फौजों की मदद से हामिद करजई की सरकार बनी थी. उसके बाद से 20 सालों तक तालिबान सत्ता से बाहर रहे हैं.
हामिद करजई (Hamid Karzai) के बाद अशरफ गनी (Ashraf Ghani) अफगान राष्ट्रपति रहे हैं. हक्कानी ने कहा कि तालिबान सरकार ऐसे टीचर भर्ती करेगी जो देश के मूल्यों के बारे में छात्रों और आने वाली पीढ़ियों को शिक्षित कर सकें. ऐसे शिक्षकों से पढ़े छात्रों की प्रतिभाओं का अफगानिस्तान भविष्य में इस्तेमाल कर सकेगा.