तालिबान सामान्‍य नागरिक हैं, कोई सैन्‍य संगठन नहीं : इमरान खान

यह कहे जाने पर कि तालिबान के लिए पाकिस्‍तान सुरक्षित ठिकाना है, इमरान ने पूछा 'ये सुरक्षित ठिकाने कहां हैं. पाकिस्‍तान में 30 लाख शरणाथी हैं जो तालिबान के ही जाति समूह से हैं.'

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इमरान खान पर लंबे समय से तालिबान के समर्थक होने का आरोप लगता रहा है
वॉशिंगटन:

तालिबान (Taliban) सैन्‍य संगठन नहीं बल्कि सामान्‍य नागरिक हैं. पाकिस्‍तान (Pakistan) के प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) ने यह बात कही है. पाकिस्‍तान के पीएम ने इसके साथ ही सवाल किया कि जब बॉर्डर पर 30 लाख अफगान शरणार्थी हैं तो देश किस तरह से उनके 'शिकार' की उम्‍मीद करता है. गुरुवार रात को प्रसारित PBS NewsHour के साथ एक इंटरव्‍यू में इमरान ने यह भी कहा कि पाकिस्‍तान ने 30 लाख अफगान शरणार्थियों को शरण दी है जिसमें से ज्‍यादा पख्‍तून है, यह तालिबानी लड़ाकों की तरह ही जातीय समूह है.  

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पाकिस्‍तान के पीएम ने तर्क दिया, 'वहां अब पांच लाख लोगों के कैप हैं, वहां एक लाख लोगों के कैंप हैं. तालिबान सैन्‍य संगठन नहीं है वे सामान्‍य नागरिक हैं और यदि इन कैंपों में कुछ नागरिक है तो पाकिस्‍तान आखिर किस तरह इन लोगों को मारे? आप उन्‍हें 'सेंचुरीज (sanctuaries) कैसे कह सकते हैं.' यह कहे जाने पर कि तालिबान के लिए पाकिस्‍तान सुरक्षित ठिकाना (safe havens) है, इमरान ने पूछा 'ये सुरक्षित ठिकाने कहां हैं. पाकिस्‍तान में 30 लाख शरणाथी हैं जो तालिबान के ही जाति समूह से हैं.' गौरतलब है कि पाकिस्‍तान पर अफगानिस्‍तान सरकार के खिलाफ लंबे समय से तालिबान की सैन्‍य, आर्थिक और इटेंलीजेंस इनपुट मदद करने का आरोप लगता रहा है हालांकि इमरान  ने इन आरोपों को सिरे से नकार दिया और इसे पूरी तरह से अनुचित बताया. 

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इमरान ने कहा कि पाकिस्तान तालिबान का प्रवक्ता नहीं है और अमेरिका तथा उसके सहयोगियों के सैनिकों की वापसी के बाद अफगानिस्तान में आतंकी समूह की कार्रवाई के लिए इस्लामाबाद को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता. अफगान मीडिया प्रतिनिधियों के लिए अपनी टिप्पणियों में खान ने यह भी कहा कि अफगानिस्तान में जो भी रहेगा उसके साथ पाकिस्तान के अच्छे संबंध होंगे. ‘डॉन' अखबार के मुताबिक खान ने कहा, ‘‘तालिबान जो कर रहा है या नहीं कर रहा है उसका हमसे कोई लेना-देना नहीं है. हम इन सब चीजों के लिए जिम्मेदार नहीं हैं, न ही हम तालिबान के प्रवक्ता हैं.'' खान की यह टिप्पणी ऐसे वक्त आयी है जब पाकिस्तान बार-बार कह रहा है कि अफगान शांति प्रक्रिया में किसी भी अवरोध के लिए उसकी कोई जिम्मेदारी नहीं होगी. तालिबान से हुए समझौते के तहत अमेरिका और नाटो अपने सभी सैनिकों को बुलाएगा और तालिबान अपने नियंत्रण वाले क्षेत्र में आतंकी समूहों पर लगाम लगाएगा. अफगानिस्तान में हो रहे घटनाक्रम से पाकिस्तान को अलग करते हुए इमरान ने कहा, ‘‘हम सब अफगानिस्तान में अमन-चैन चाहते हैं.'' उन्होंने कहा कि अफगानों के पास विकल्प था कि या तो अमेरिका समर्थित सैन्य समाधान में संलिप्त रहे या एक राजनीतिक समझौता करना जहां एक समावेशी सरकार हो.'' उन्होंने कहा दूसरा विकल्प ही एकमात्र समाधान है.'' खान ने कहा, ‘‘पाकिस्तान में तीस लाख अफगान शरणार्थी हैं, उनमें से लगभग सभी पश्तून हैं और अधिकांश की तालिबान के साथ सहानुभूति होगी. पाकिस्तान कैसे देखेगा कि वहां कौन लड़ने जा रहा है, जब हर दिन 30,000 लोग सीमा पार कर रहे. पाकिस्तान कैसे इसे रोकेगा?''(भाषा से भी इनपुट)

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